जीजा ने की सलवार खोल कर चुदाई- Jija Sali ki Chudai

Jija Sali Sex
Antarvasna Sex Story

हाय दोस्तों, मैं मानसी आप सभी का हॉट सेक्स स्टोरी में स्वागत करती हूँ। दोस्तों, कुछ ही महीने पहले मुझे हॉट सेक्स स्टोरी के बारे में पता चला। जब मैंने यहाँ की मस्त सेक्सी स्टोरी पढ़ी तो मेरी चूत बिलकुल गीली हो गयी। इसलिए मैंने फैसला किया की जो काण्ड मैंने अभी तक किये है, उसके बारे में आप लोगो को जरुर बताउंगी। ५ महीने पहले मेरे जीजा जी मेरे घर आये।

वो एक बड़ी कम्पनी में इंजीनियर है। गर्मी की छुट्टी में मेरी दीदी और बच्चों को लेकर वो हमारे घर आये। जब जीजा मुझे देखते तो मुझसे चिपकने लग जाते। तरह तरह का कॉम्प्लीमेंट मुझको देते। “मानसी !! साली जी ! तुम बहुत सुंदर हो। मेरी शादी तुम्हारी दीदी ने नही बल्कि तुमसे होनी चाहिए” जीजू बोले। फिर वो मुझे रोज कहीं कहीं घुमाने ले जाते। कभी आइस क्रीम खाने ले जाते।

धीरे धीरे जीजा मुझे पसंद आने लगे। अब वो मेरे घर के मेम्बर्स से छुपकर मुझे छूने लगे। मेरे नये नये छोटे छोटे बूब्स को जीजा हाथ लागने लगे। फिर एक दिन जब मेरे सारे घर वाले किसी मन्दिर के दर्शन करने गये थे, जीजा ने मुझे पकड़ लिया और गले लगा लिया। मुझे भी ये सब बहुत अच्छा लग रहा था।

मैंने भी जीजा को दोनों हाथों से पकड़ लिया और उनका आलिंगन करने लगी। धीरे धीरे हम अपनी मर्यादा भूल गये और एक दुसरे को चूमने चाटने लगा। जीजा ने मेरी नाजुक गुलाब के पंखुड़ी जैसे कुवारे होठो को पहने हाथ से छुआ। फिर अपने होठ मेरे कुवारे होठो पर रख दिए। फिर जीजा मुझे चूमने लगे और मेरे होठ पीने लगे। मैंने उसके साथ सारी हदे पार करती चली गयी।

जैसे मैं उनके वश में आ गयी थी। धीरे धीरे वो मेरे कान को चबाने लगे। मुझे गुदगुदी होने लगी। बड़ा अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे जीजा मेरे गले की पतली खाल को हल्का हल्का दांत से कुतरने लगे।

मुझे तो पुरे शरीर में झुनझुनाहट होने लगी। जीजा आगे बढ़ने लगे। मुझे उनको इसी वक़्त रोक देना चाहिए। पर ना जाने क्यों मैं कमजोर हो गयी थी। जीजा ने मेरा दुप्पटा मेरे सीने से निकाल कर हटा दिया। मेरा यौवन मेरी छातियों पर उनके हाथ ना जाने कहाँ से आ गये। मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था।

धीरे धीरे जीजा आगे बढ़ते चले गये। आगे।।और आगे। वो जोर जोर से मेरे नीबू जैसे दूध दाबने लगे। मैंने उनको कुछ ना कहा। जबकि मुझे मुझे उनको इसी समय रोक देना चाहिए था। हम दोनों अपनी अपनी हदे पार कर गये। फिर जीजा मुझे बिस्तर पर ले गये। हमारे घर में कोई नही था। क्यूंकि सभी लोग मन्दिर दर्शन करने गये थे।

इधर मेरे जीजा मेरी चूत का दर्शन करना चाहते थे। सायद मैं भी ये सब चाहती थी। उन्होंने मेरे दोनों हाथ उपर कर दिए। मैं जानती थी क्यूँ। फिर जीजा ने मेरा सफ़ेद रंग का सूट निकाल दिया। जैसे ही सूट उतरा मैंने दोनों हाथों से अपने दूध छुपाने की कोशिश की। मैंने लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी। ३० साइज़ था इसका। जीजा मुझे चूमने लगी।

मैं सब समझ रही थी। वो चाहते थे की मैं अपने हाथ अपनी इज्जत अपनी कड़क छातियों से हटा लूँ। पर मैंने ऐसा नही किया। जीजा मुझे लाख चुमते चाटते रहे, पर मैंने अपने हाथ नही हटाये।

“साली जी !! क्या तुम चुदाई के बारे में कुछ जानती हो??’ जीजा ने मेरे काम में फुसफुसाकर बोला। मैं कुछ नही बोली। पर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। मैंने ना में सर हिला दिया।

“अरे साली जी !! चुदाई दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज होती है! जिन्दगी में तुमको एक बार जरुर चुदवाना चाहिए। दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज को क्या तुम नही पाना चाहती हो??’ जीजा बोले।

“हाँ !! जीजा जी ! मैं चुदवाना चाहती हो” मैंने कहा

“।।।तो साली जी ! अपने हाथ हटाओ अपनी नर्म नर्म छातियों से” जीजा बोले। तो दोस्तों, मुझे ना चाहते हुए भी अपनी नर्म नर्म नई नई कड़क छातियों से हाथ हटाने पड़े। जीजा ने मेरी पीठ में हाथ डाल दिया और मेरी ब्रा निकाल दिए। हाय दोस्तों, कितनी बड़ी बात थी। एक भारतीय लड़की किसी के सामने बिना कपड़ों के नहीं आती है।

और मैंने अपनी इज्जत जीजा के सामने रख दी। मेरे हाथ तुरंत मेरी दोनों नंगी बेहद नर्म मलाई जैसी खूबसूरत छातियों को छिपाने दौड़े पर जीजा के हाथ वहां उससे पहले पहुच गये। उन्होंने मेरी छातियों पर अपने हाथ रख दिए। मेरा जिया धक्क से हो गया। जीजा धीरे धीरे मेरी नंगी नर्म छातियों पर हाथ फेरने लगे।

उन्होंने मेरे हाथ निचे कर दिए। ये सब रंगरेलियां चलती रही। बड़ी देर बाद मैं नार्मल फील कर पायी। अब मैंने पाया की जीजा धीरे धीरे मेरे दूध को दबा रहे थे। एक अजीब सी झनझनाहट पुरे बदन में हो रही थी। जैसे कोई चीटी निचे से उपर तक काट रही थी।

जीजू आगे बढ़ने लगे। मेरी छोटी छातियों को दाबने लगे। मुझे नही मालूम था की लड़के लडकियों की छाती की दबाते है।

“जीजा !! क्या दीदी ने भी आपसे अपनी नर्म छातियाँ इसी तरह दबवाई थी???’ मैंने झुकी पलकों से पूछ लिया। जीजू को मुझपर प्यार आ गया। उन्होंने करीना कपूर जैसी मेरी खूबसूरत आँखे चूम ली।

“हाँ !! साली जी !! सुहागरात में तुम्हारी दीदी ने अपनी नर्म छातियाँ मुझसे इसी तरह दबवाई थी” जीजा बोले। ये जानने के बाद मैं थोडा कम्फरटेबल फील कर रही थी। मैंने जीजू ने खुल गयी थी।

मैंने अपने हाथ निचे कर लिए जिससे जीजा मेरे बूब्स दबा सके। फिर क्या था दोस्तों, जीजा ने मेरे छोटे छोटे नीबू अपने ताकतवर हाथ में पकड़ लिए और जोर जोर से दाबने लगे। मेरे पुरे बदन में झुनझुनी होने लगी।

जीजा के हाथ थे की फौलाद थे। मेरे नीबू को पकड़कर वो जैसे निचोड़ने लगे। दोस्तों मेरी तो जान ही जाने लगी। जीजा मेरे साथ फुल रोमांस, फुल मजा करना चाहते थे।

वो जोर जोर से मेरे टिकोरे को दबा रहे थे। और मेरे गोरे गोरे गाल को चूमने लगे। फिर सारी हदे जब पार हो गयी जब उन्होंने मुझसे बिस्तर पर लिटा दिया। एक साथ जीजू मेरे होठ पीने लगे और मेरी नर्म नर्म छातियाँ अपने पंजे में भरके दाबने लगे। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था।

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इसलिए मैं चाहकर भी उनको रोक नही पाई। मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी की मैं अपनी दीदी की तरह अपने जीजा ने चुदवाने जा रही थी। जबकि मुझे चोदने का लाइसेंस जीजू के पास नही था। उनके पास तो सिर्फ दीदी को चोदने का लाइसेंस था। पर वो कहावत है ना की साली आधी घरवाली होती है, इसलिए मेरे जीजा आज मुझे चोदने जा रहे थे।

जीजा बड़ी देर तक मेरी नंगी छोटी छोटी छातियों को दबा दबा कर मजा लेते रहे। इस दौरान मैंने भी जिन्दगी का मजा लिया। छातियाँ दबवाने के दौरान मेरी चूत ढीली होकर गीली होने लगी।

दिल हुआ की जीजू से कह दु की भोसड़ी के क्या सिर्फ मेरी चुचि ही मीन्जोगे या मुझे चोदोगे भी। मुझे मत तड़पाओ जीजा, आज जी भरके चोद ली अपनी जवान साली को। आज घर में कोई नही है जीजा। चोद लो ।।तुम अपनी चुदासी लंड की प्यासी साली को। पर दोस्तों मैं ये सब कह नही पाई। धीरे धीरे जीजा मुझे चोदने की तैयारी करने लगे।

मेरा कलेजा धक धक करने लगा। कैसा लगेगा चुदकर। मैं यही सोचने लगी। जीजा का हाथ धीरे धीरे मेरी टांग से होता हुआ मेरी जांघो पर चला गया। वो मेरी जांघ सहलाने लगी। वो मेरे उपर चढ़ गये और मेरी नर्म नर्म छातियों को अपने मुँह में भरके मेरी चूचीयां पीने लगे। मुझे जाने कैसा लगा।

बड़ा अजीब सा सुख मिला मुझे। लगा जैसा आज मेरी स्त्री होना पूरा हो गया। यही अहसास हुआ मुझे। जीजा मेरी नर्म नर्म छोटी नीबू की आकार की छातियाँ पीने लगे। मैंने आँखें बंद कर ली। एक अजीब सा नशा मुझे चढ़ गया। मजा तो बहुत आने लगा दोस्तों। आज मुझे पता चला की किसी मर्द को चुचि पिलाने में कितना सुख मिलता है।

जीजा हपर हपर करके मेरी चुचुक पीने लगे। आज तो मेरा एक स्त्री होना पूरा हो गया। धीरे धीरे जीजा मेरी गोरी चिकनी जांघे सहला रहे थे। वो एक के बाद एक चुचि अपने मुँह में भर लेते थे और किसी छोटे बच्चे की तरह आवाज कर करके पीते थे। इस दौरान मुझे पुरे शरीर में सनसनी होने लगी थी। अब तो यही मन था की जीजा मुझे जल्दी से चोदे।

मेरी मुलायम बुर में अपना पत्थर जैसा लौड़ा डाल के मुझे इतना चोदे की मेरी मा चुद जाए। मेरी माँ बहन एक हो जाए। यही मेरा दिल कर रहा था। इस दौरान मेरी नजरे झुकी रही। जीजा मेरे दूध बदल बदल कर पीते रहे। फिर उनका हाथ मेरी सलवार के नारे तक आ पंहुचा। मैं जानती थी की अब आगे क्या होगा। जीजा ने मेरी सलवार की गोरी ऊँगली में फसाकर खिंच दी। डोरी सर्रर्र की आवाज करते हुए खुल गयी।

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जीजा मेरी सलवार धीरे धीरे नीचे करने लगे। “नही जीजा !! ।।आज नही! फिर कभी” मैंने मना कर दिया। पर अंदर से मेरा चुदवाने के पूरा मन था। जीजा ने मेरी बात नही सुनी। मेरे दूध पीते पीते सलवार नीचे सरका दी। मैंने गुलाबी रंग की पेंटी पहन रखी थी। मेरी दीदी ने मुझे ये गिफ्ट की थी।

“अरे !! साली जी !! ये पेंटी तो मैं तुम्हारी दीदी के लिए खरीद कर लाया था!” जीजा बोले

“हां! जीजा ! दीदी ने मुझे ये गिफ्ट कर दी थी” मैंने कहा।

जीजा मुस्कुरा दिए। उनकी आंखों में सिर्फ और सिर्फ वासना थी। मुझे चोदने की वासना उनकी आँखों में तैर रही थी। मेरी नाजुक चूत में वो अपना पत्थर जैसा लंड डाल के मुझे वो रगड़ के चोदना चाहते थे।

मैं ये बात अच्छी तरह जानती थी। जीजू मेरे नर्म दूध पीने रहे। उनका हाथ मेरी पेंटी पर आ गया। मेरी चूत के उपर पेंटी पर वो जोर जोर से ऊँगली रगड़ने लगे। दोस्तों, मेरी तो माँ चुदने लगी। मुझे बिजली के झटके लगने लगे। मेरे पुरे बदन में करेंट दौड़ने लगा। जीजा जोर जोर से मेरी पेंटी अपनी ऊँगली से घिसने लगे। मेरी चूत घिसने लगे। मैंने अपने हाथ पाँव पटकने लगी।

जीजा ने मेरे दोनों हाथ पैर पकड़ लिए। बड़ी देर तक यही तो करते रहे। बदल बदलकर मेरे नर्म नर्म कुवारे दूध वो पीते और पेंटी के उपर से मेरी चूत घिसते। मेरी तो गांड फट गयी दोस्तों। फिर जीजा ने मुझे कुछ सेकंड के लिए छोड़ दिया। एक एक कर अपने सारे कपड़े निकाल दिए। अपना अंडरविअर भी निकाल दिया।

जीजू ने मेरी पेंटी आखिर ऊँगली से खींचकर निकाल दी। हाय राम ,अपने जीजा के सामने मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरी इज्जत उनके हाथ में थी। जीजा ने मेरी चूत देखी तो वो आँखों से मेरी चूत चोदने लगे। इतनी घूर घूर के मेरी गुलाबी चूत देख रहे थे जैसे अभी उसको खा जाएँगे। बड़ी देर तक जीजू मेरी चूत के दर्शन करते रहे। फिर उन्होंने मेरी दोनों पैर खोल दिए।

मैंने शर्म और ह्या ने अपने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रख लिए। जीजा ने अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और मेरी चूत पीने लगे। मेरे पुरे जिस्म पर आग की लपटें उठ रही थी। जीजा मेरी चूत पी रहे थे। कितनी अजीब बात थी। शादी से पहले ही मैं चुदने वाली थी। शादी से पहले मैं शादी का मजा मारने वाली थी। मैं अपनी आँखें नही खोली।

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अपने दोनों हाथों से अपना मुँह ढके रही। जीजा मेरी बुर का चूतपान करने लगे। वो मजे ले लेकर मेरी कुवारी चूत पी रहे थे। जीजा का लंड धीरे धीरे बड़ा ठोस होता जा रहा था। मैं जानती थी जितना उनका लंड ठोस होगा, उतना ही चुदवाने में मुझे मजा आएगा। दोस्तों, मैं ये बात अच्छे से जानती थी। जीजा अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत लपर लपर करके पीने लगे। मैं जन्नत की सैर करने लगी। चाँद तारों में मैं उड़ने लगी। मेरी चूत बिलकुल पानी पानी हो गयी थी।

जीजा से मेरी मीठी नमकीन चूत का खूब मजा लिया। फिर उन्होंने ऊँगली से मेरी नाजुक चूत खोलकर देखी। उनको एक बंद झिल्ली दिखाई दी।

“साली जी !! क्या आपको किसी ने अभी तक चोदा नहीं” जीजा ने पूछा। मैं कुछ नही बोली। मैंने सिर्फ ना में सर हिला दिया। जीजा ने अपना लौड़ा सेट किया। हाथ से २ ४ बार मुठ मारने लगा। उनका लंड कोई ८ इंच का लम्बा था और २ इंच का मोटा था। जीजा ने मेरी चूत पर लंड रख दिया और धक्का जोर से मारा। मेरी माँ चुद गयी।

उनका लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ अंदर घुस गया। मैंने जीजा को मना करना चाहती थी। पर वो बड़े चालाक निकले। उन्होंने मेरे छोटे से मुँह पर अपना ताकतवर हाथ रख दिया। इससे मैं दर्द से चिल्ला भी न पाई। जीजा मुझे दनादन चोदने लगे। मेरी खूबसूरत कांच जैसी आँखों से मोतियों की तरह मेरे आंशू बह रहे थे और नीचे लुढ़क रहे थे। मेरी गाल से लुढ़कते हुए मेरे गाल तक जा रहे थे। मैं रो रही थी और जीजू से चुद रही थी।

पुरे १५ मिनटों तक जीजा ने मेरे छोटे से मुँह पर अपना बड़ा सा ताकतवर पंजा दबाये रखा और मुझे किसी घर की माल की तरह चोदते रहे। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। मेरी चूत पर सब ओर खून ही खून लगा हुआ था। मेरे जीजू का लौड़ा मेरी चूत की लाल स्याही से रंग चूका था। जीजा मुझे फट फट करके चोद रहे थे।

वो तो ऐश कर रहे थे, मजे लूट रहे थे और इधर मैं चुद रही थी। मुझे दर्द हो रहा था। जीजा का लौड़ा बड़ा ताकतवर निकला। मुझे आधे घंटे चोदते रहे पर एक बार भी नही झड़े। इधर मैं एक बार झड़ चुकी थी। मैंने अपना माल जीजा के लौड़े पर ही छोड़ दिया था। आधे घंटे बाद जीजा ने अपना हाथ निकाल लिया और लंड भी कुछ देर के लिए निकाल लिया।

“क्यों साली जी ।।मजा आया की नही????’ जीजा बोले

“हाँ जीजा मजा तो आया !! पर दर्द बहुत हुआ” मैंने कहा

“कोई बात नही ।धीरे धीरे तुम्हारा दर्द खत्म हो जाएगा!” जीजा बोले।

फिर वो मेरी चूत पीने लगे। फिर उन्होंने अभी अभी चुदी चूत में ऊँगली डाल दी और फेटने लगे। मुझे पुरे बदन में सनसनी होने लगी। जैसे ना जाने क्या मेरे साथ हो रहा है। जीजा बड़ी देर तक मेरी चूत में जल्दी जल्दी ऊँगली करते रहे।

फिर अपना मुँह लगाकर मेरी बुर पीने लगे। अब मैं कुवारी लड़की नही रह गयी थी। अपने जीजा के साथ मैंने अपने कुंवारेपन को खत्म कर दिया था। फिर जीजा ने फिर से मेरी नाजुक जान से प्यारी चूत में अपना लोहे जैसा लंड डाल दिया और मुझे चोदने लगे। शुरू शुरू में मुझे दर्द हुआ, पर धीरे धीरे दर्द खत्म हो गया।

कुछ देर बाद जीजा तो मुझे ऐसे चोदने लगे जैसे मैं कोई रंडी छिनाल हूँ। उन्होंने किसी नुची मुर्गी की तरह अपने पंख फैलाकर पड़ी हुई थी। जीजा अपना पिछवाड़ा बड़ी जोर जोर से चला रहे थे और गच गच्च करके मुझे पेल रहे थे। मेरी चूत से पक पक की आवाज आ रही थी। मैं अपने जीजा से चुद रही थी।

फिर जीजा किसी मशीन की तरह मुझे बिजली की रफ्तार से पक पक पेलने लगे। मेरे नीबू अब चुदने के दौरान बड़े हो गये थे। ३५ मिनट बाद जीजा ने मेरी खौलती चूत में अपना माल छोड़ दिया। १५ दिन बाद मेरी एम सी रुक गयी और प्रेगनेंसी टेस्ट करने पर मालूम पड़ा मैं पेट से हूँ। अब मेरे समझ में नही आ रहा है की क्या करू।

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