सुहानी की चूत चोदकर लाल कर डाली- Girlfriend ki Chudai

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आकांक्षा और मैं एक दूसरे को पिछले 5 सालों से डेट कर रहे थे और हम दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन आकांक्षा का बदलता हुआ व्यवहार हम दोनों के बीच में खटास पैदा कर चुका था और आकांक्षा मुझसे अलग होना चाहती थी ना जाने आकांक्षा के दिल में ऐसा क्या चल रहा था परन्तु मैं यह जानना चाहता था।

मुझे जब इस बारे में जानकारी मिली कि आकांक्षा किसी अमीर लड़के के साथ अब रिलेशन में है और वह उसके साथ ही शादी करना चाहती है तो मेरा दिल पूरी तरीके से टूट चुका था। आकांक्षा मेरी जिंदगी से बहुत दूर जा चुकी थी उसे वापस पाना बहुत ही मुश्किल था इसलिए मैंने भी आकांशा के बारे में छोड़ कर अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाना शुरू किया।

मैं कंपनी में जॉब करता हूं मैं जब भी आकांशा और अपने पुराने दिनों को याद करता तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगता। आकांक्षा को काफी ज्यादा खुशी होती थी जिस प्रकार से मैं और आकांक्षा एक दूसरे के साथ समय बिताया करते थे लेकिन अब आकांक्षा मेरी जिंदगी से काफी दूर हो चुकी थी और मुझे उसे भुलाना था लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था मैं उसे भुला नहीं पा रहा था।

आकांक्षा को मैं भुला नहीं पाया था और ना ही आकांक्षा मेरे दिल से निकल पाई थी। एक दिन मैं घर पर ही था उस दिन पापा की तबीयत ठीक नहीं थी वह मुझे कहने लगे कि अरशद बेटा मुझे हॉस्पिटल ले चलो। मैं उस दिन पापा को हॉस्पिटल लेकर गया, मां काफी चिंतित थी और उस दिन पापा को मैंने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने उन्हें रेस्ट करने के लिए कहा।

पापा ने अपने ऑफिस से कुछ दिनों की छुट्टी ले ली थी और वह घर पर ही थे लेकिन मैं काफी ज्यादा परेशान था मैं सिर्फ आकांक्षा के बारे में सोचा करता था। मैं चाहता था कि मैं किसी भी प्रकार से आकांक्षा को भूल जाऊं लेकिन मैं आकांशा को भुला नहीं पा रहा था।

एक दिन हमारे ऑफिस में काम करने वाले रोहन का जन्मदिन था उस दिन उसने मुझे अपने जन्मदिन की पार्टी में इनवाइट किया और मैं उसके जन्मदिन की पार्टी में गया हुआ था। मैं जब रोहन की पार्टी में गया तो वहां पर मैं सुहानी से मिला सुहानी से मिलकर मुझे अच्छा लगा।

मुझे रोहन ने हीं सुहानी से मिलवाया था सुहानी का भी ब्रेकअप कुछ समय पहले ही हुआ था और मैं भी अब सुहानी का नंबर ले चुका था उसके बाद मैं सुहानी से बात करने लगा था। मुझे सुहानी का साथ अच्छा लगने लगा था और सुहानी को मैंने अपने और आकांक्षा के बारे में भी बता दिया था। सुहानी और मैं कहीं ना कहीं एक ही नाव में सवार थे इसलिए हम दोनों ने एक दूसरे का साथ देने का फैसला किया।

सुहानी और मैं अब एक दूसरे को डेट करने लगे थे हम दोनों एक दूसरे को काफी ज्यादा पसंद करने लगे थे और मैं बहुत ज्यादा खुश था कि मैं और सुहानी साथ में है। हम दोनों साथ में काफी अच्छा समय बिताया करते और जब भी हम साथ में होते तो हम दोनों काफी खुश रहते।

सुहानी भी बहुत खुश थी कि उसे मेरा साथ मिल चुका है सुहानी और मेरी जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन तभी मुझे मुंबई से एक कंपनी का ऑफर आया तो मैंने भी वहां जॉब करने की सोच लू और मैं कुछ समय बाद ही मुंबई चला गया। मैं जब मुंबई गया तो मेरी और सुहानी की बात फोन पर ही हो पाती थी लेकिन मैं अपनी नौकरी से काफी खुश था क्योंकि मुझे अब एक अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल चुकी थी और मेरी जॉब से मैं काफी ज्यादा खुश था।

मैं चाहता था कि मैं सुहानी के साथ शादी करूं, मैंने सुहानी के साथ शादी के सपने भी देख लिए थे हम दोनों की जिंदगी में काफी खुशियां थी। मेरी जिंदगी में जब से सुहानी आई तब से मैं आकांक्षा को भूलने लगा था सुहानी मेरी हमेशा ही मदद करती और इस बात से मुझे भी बहुत अच्छा लगता था। सुहानी की फैमिली को भी मेरे और सुहानी के रिश्ते से कोई एतराज नहीं था इसलिए जब भी मैं घर जाता तो मैं सुहानी से अक्सर मिला करता।

सुहानी के घर पर भी मेरा आना जाना हो चुका था उसने मुझे अपने परिवार वालो से मिलवा दिया था उन्हें भी कोई एतराज नहीं था और मेरी फैमिली को भी इस बारे में पता चल चुका था। मेरे परिवार को सुहानी और मेरे बारे में मालूम चल चुका था इस बात से मैं काफी खुश था कि उन्हें इस बारे में मालूम चल चुका है।

सुहानी और मैं एक दूसरे के साथ शादी करना चाहते थे लेकिन मुझे लगता था की मुझे कुछ समय और चाहिए इसलिए मैंने फिलहाल सुहानी से शादी नहीं की। सुहानी ने भी मुझे कहा कि ठीक है जैसा तुम्हे ठीक लगता है इसलिए सुहानी और मैंने एक दूसरे से अब तक शादी नहीं की थी लेकिन हम दोनों के बीच प्यार बहुत ज्यादा है और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी खुश हैं। मैं सुहानी के साथ जब भी होता तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और सुहानी को भी काफी अच्छा लगता था।

एक दिन सुहानी और मैं साथ में थे उस दिन मैंने सुहानी को कहा कि सुहानी आज हम लोग कहीं घूम आते हैं और उस दिन हम दोनों मूवी देखने के लिए चले गए। जब हम दोनों मूवी देखने के लिए गए तो सुहानी और मैं साथ में काफी अच्छा टाइम स्पेंड कर रहे थे हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत ज्यादा खुश थे।

जब मूवी खत्म हुई तो उसके बाद मैं सुहानी को छोड़ने के लिए उसके घर पर गया। मुझे कुछ दिनों बाद ही मुंबई जाना था इसलिए मैंने सुहानी को कहा कि मैं कुछ दिन बाद मुंबई चला जाऊंगा सुहानी मुझे कहने लगी कि रजत तुम यहां रहकर ही कोई जॉब क्यों नहीं कर लेते।

मैंने सुहानी को कहा सुहानी तुम तो जानती ही हो कि मैं अपनी जॉब से बहुत खुश हूं और मुझे काफी अच्छी तनख्वाह भी मिल रही है इसलिए मैं मुम्बई में ही जॉब करना चाहता हूँ और मैं अपनी जॉब से बहुत खुश हूं। सुहानी अब अपने घर जा चुकी थी अगले दिन भी हम दोनों एक दूसरे को मिले।

मैं सुहानी को मिलने के लिए उसके घर पर गया तो वह घर पर अकेली थी। मैंने सुहानी को कहा क्या घर पर कोई भी नहीं है वह कहने लगी नहीं घर पर कोई नहीं है मैंने सुहानी को कहा सुहानी मेरे लिए चाय बना दो। सुहानी ने मेरे लिए चाय बनाई और हम दोनों चाय पीने के बाद साथ में बैठे हुए थे। हम दोनो एक दूसरे से बातें कर रहे थे सुहानी और मेरे बीच उस दिन किस हुआ। सुहानी और मेरे बीच किस हुआ तो हम दोनों के बदन की गर्मी बढ़ने लगी थी।

अब हमारी गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि सुहानी अपने आपको रोक नहीं पाई और ना ही मैं अपने आपको रोक पाया। मैंने अपने लंड को बाहर निकालते हुए उसे हिलाना शुरू किया। मैंने जब सुहानी से कहा तुम मेरे मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर इससे सकिंग करो। सुहानी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया। उसे बहुत ज्यादा मजा आने लगा था और मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था।

वह मेरे लंड को मुंह में लेकर बहुत ज्यादा खुश हो गई थी। मेरे और सुहानी के बीच अब गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि हम दोनों ही एक दूसरे के साथ अब संभोग का मजा लेना चाहते थे। मैने सुहानी के कपड़े उतारकर उसकी ब्रा को उतार दिया। जब उसकी ब्रा उतारकर मैंने उसके स्तनों के बीच में लंड रगडना शुरु किया।

मेरा लंड मेरे वीर्य को बाहर की तरफ गिराने लगा था। मैंने सुहानी के मुंह पर अपने वीर्य को गिराया तो तो मैं अपने आपको रोक नहीं पाया मेरा वीर्य सुहानी के मुंह के ऊपर गिर चुका था। उसने अपने मुंह को साफ करते हुए कहा तुम मेरी चूत मैं अपने मोटे लंड को घुसा दो। मैंने जब सुहानी की चूत को चाटना शुरू किया तो उसे अच्छा लगने लगा और वह तड़पने लगी।

मैं अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाना शुरू किया धीरे-धीरे मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया और सुहानी की चूत से खून बाहर को निकलने लगा। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा था जब मैंने सुहाने की चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दिया था। मेरा लंड सुहानी की चूत की गहराई में कहीं खो चुका था। मैने सुहानी की चूत को अपना बना लिया था। मैं जिस प्रकार से उसकी योनि का मजा लेकर उसे चोद रहा था उससे वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी।

वह मुझे कहने लगी मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा है। सुहानी के अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी सुहानी और मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था और हम दोनों के अंदर की गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी कि हम दोनों ने एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा लिया और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी देर तक चुदाई की।

मैने जब सुहानी को कहा मुझे काफी अच्छा लग रहा है तो वह कहने लगी मुझे भी अच्छा लग रहा है। मैने सुहानी को कहा मेरा माल तुम्हारी में योनि के अंदर गिरने वाला है। मैंने सुहानी की चूत में अपने माल को गिरा दिया था। अब सुहानी की योनि में मेरा माल गिर चुका था और मुझे काफी ज्यादा अच्छा लगा जब मैंने उसकी कोमल चूत मे अपने माल को गिरा दिया था।

मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो उसकी योनि से मेरा वीर्य बाहर निकाल रहा था। सुहानी ने मुझे कहा मुझे तुम्हारे साथ दोबारा से सेक्स के मज़े लेने हैं मैंने सुहानी को बिस्तर पर लेटा दिया और अपने मोटे लंड पर तेल की मालिश करते हुए सुहानी की चूत के अंदर लंड को घुसाया।

सुहानी की चूत में मेरा लंड अंदर जा चुका था और मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मारने लगा। वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है मैं उसे बहुत ही ज्यादा तेजी से धक्के मार रहा था जिससे कि वह तेज सिसकारियां ले रही थी और मुझे कहने लगी तुम मुझे बस ऐसे ही धक्के मारते रहो। मैंने उसे कहा मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है सुहानी कहने लगी मुझे भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा है तुम ऐसे ही मुझे चोदते रहो।

सुहानी अपनी चूतडो को उठाने की कोशिश करती तो मैं उसे तेजी से धक्के मारकर उसकी गर्मी को शांत करने की कोशिश करता लेकिन वह अब इतनी ज्यादा गरम हो चुकी थी कि मैंने उसकी योनि में अपने माल को गिराकर उसकी इच्छा को पूरा किया और वह खुश हो गई। जब मैंने उसकी इच्छा को पूरा किया तो वह मुझे कहने लगी आज मुझे मजा आ गया जिस प्रकार से तुमने मुझे चोदा है।

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