गर्मी के मौसम में भाभी की चूत मारी – devar bhabhi ki chudai ki kahani
- By : Hindi Kahani
- Category : Bhabhi Dever Sex

devar bhabhi ki chudai ki kahani – गाँव में मई की दोपहरी थी। सूरज आसमान से आग बरसा रहा था, और हवा में गर्मी की लपटें तैर रही थीं। मैं, अजय, 24 साल का जवान लड़का, अपने घर की छत पर लेटा था। पसीने से मेरी बनियान भीग चुकी थी, और मेरा 7 इंच का लंड पजामे में सख्त होकर तंबू बना रहा था। खेत से काम खत्म करके लौटा था, और अब बस एक ठंडी छाँव और किसी की गर्म चूत की तलाश थी। तभी मेरी नज़र भाभी पर पड़ी।
भाभी, यानी सुलेखा, मेरे बड़े भैया की बीवी। 28 साल की थी वो, गोरी, मस्त और रसीली। उसकी चूचियाँ बड़ी और गोल थीं, जैसे दो पके तरबूज, जो उसकी पतली सी साड़ी में हमेशा उभरे रहते थे। उसके निप्पल साड़ी के ऊपर से भी हल्के-हल्के दिखते थे, जैसे दो छोटे-छोटे कंकड़। उसकी कमर पतली थी, और उसकी गाँड मोटी और गोल थी, जो चलते वक्त लचकती थी। उसकी जाँघें मोटी और चिकनी थीं, और उसकी चूत की गर्मी साड़ी के नीचे से भी महसूस होती थी। भैया खेत में थे, और भाभी घर में अकेली थी।

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मैं छत से नीचे उतरा और आँगन में गया। भाभी वहाँ बैठी थी, पसीने से तर। उसकी साड़ी का पल्लू सरक गया था, और उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ में से बाहर झाँक रही थीं। पसीने की बूँदें उसकी चूचियों की दरार में लुढ़क रही थीं, और उसकी साँसें तेज़ थीं। “भाभी, गर्मी बहुत है ना?” मैंने कहा, और उसकी ओर देखते हुए अपना लंड पजामे में ठीक किया। “हाँ अजय, बदन जल रहा है,” उसने कहा और अपनी साड़ी से पसीना पोंछा। उसकी आँखें मेरे लंड के उभार पर ठहर गईं, और एक हल्की सी मुस्कान उसके होंठों पर आ गई। Bhabhi ki Chudai Kahani
“भाभी, पानी पिलाओ ना,” मैंने कहा और उसके पास बैठ गया। वो उठी और मटके से पानी लाई। पानी का गिलास देते वक्त उसकी उंगलियाँ मेरे हाथ से टकराईं, और मेरे लंड में करंट दौड़ गया। “भाभी, तुम भी तो पसीने से तर हो,” मैंने कहा और उसके चेहरे पर बहते पसीने को अपने हाथ से पोंछ दिया। उसकी आँखों में एक चमक थी। “अजय, गर्मी तो अंदर से भी लग रही है,” उसने धीरे से कहा और अपनी साड़ी का पल्लू और नीचे सरका दिया। उसकी चूचियाँ अब ब्लाउज़ में कैद होने को तड़प रही थीं।
मैं समझ गया कि भाभी की चूत में भी आग लगी है। मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे अपनी ओर खींच लिया। “भाभी, ये गर्मी मैं बुझा दूँ?” मैंने कहा और उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया। उसने कुछ नहीं कहा, बस उसकी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने उसके ब्लाउज़ के बटन खोले, और उसकी चूचियाँ नंगी हो गईं। वो गोरी, गोल और मस्त थीं, और उसके निप्पल गुलाबी और सख्त थे। “भाभी, तुम्हारी चूचियाँ तो माल हैं,” मैंने कहा और एक चूची को मुँह में ले लिया। मैं उसके निप्पल को चूसने लगा, और दूसरी चूची को जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह… अजय… धीरे…” वो सिसक रही थी।

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मैंने उसकी साड़ी ऊपर उठाई। उसकी जाँघें नंगी हो गईं, और उसकी चूत साड़ी के नीचे से गीली दिख रही थी। मैंने उसकी साड़ी पूरी खोल दी, और वो मेरे सामने नंगी थी। उसकी चूत की हल्की झाँटें पसीने से चिपक गई थीं, और उसकी फाँकें गीली होकर चमक रही थीं। “भाभी, तुम्हारी चूत तो आग उगल रही है,” मैंने कहा और अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी। “आह्ह… अजय…” वो चीख पड़ी। उसकी चूत गर्म और टाइट थी, और मेरी उंगली को चूस रही थी। मैंने दो उंगलियाँ डालीं और उसकी चूत को चोदने लगा। “अजय, चोदो ना… मेरी चूत तड़प रही है,” वो बोली।
मैंने अपना पजामा उतारा। मेरा 7 इंच का लंड सख्त और मोटा था, और उसकी टोपी गीली होकर चमक रही थी। मैंने भाभी को ज़मीन पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कर दीं। उसकी चूत पूरी तरह खुल गई। उसकी जाँघें मोटी और गोरी थीं, और उसकी गाँड नरम और गोल थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा। “भाभी, ले लो मेरा लंड,” मैंने कहा और एक धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस गया। “आह्ह… अजय… मर गई…” वो चिल्लाई। मैंने उसकी चूचियाँ दबाते हुए चुदाई शुरू कर दी। “भाभी, तुम्हारी चूत कितनी गर्म है… लंड जल रहा है,” मैं बोला।
मेरा लंड उसकी चूत को चीर रहा था। हर धक्के के साथ उसकी गाँड हवा में उछल रही थी। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसके मुँह से “आह्ह… ओह्ह… अजय… चोदो… और जोर से” निकल रहा था। “भाभी, तेरी चूत का भोसड़ा बना दूँगा,” मैंने कहा और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रख लीं। अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई तक जा रहा था। “अजय, मेरी चूत फाड़ दो… लंड पूरा डालो… आह्ह…” वो चीख रही थी। उसकी चूत गीली होकर लाल हो गई थी, और उसका पानी मेरे लंड पर चिपक रहा था।
करीब आधे घंटे तक मैंने उसकी चूत चोदी। फिर मैंने उसे पलटा। उसकी गाँड मेरे सामने थी। उसकी गाँड की दरार में पसीना चमक रहा था, और उसका छेद टाइट और गुलाबी था। “भाभी, तेरी गाँड भी चोदूँगा,” मैंने कहा और उसकी गाँड पर थूक दिया। मैंने अपना लंड उसकी गाँड की छेद पर रखा और एक धक्का मारा। “आह्ह… अजय… फट गई…” वो रो पड़ी, लेकिन मैं रुका नहीं। मेरा लंड उसकी गाँड में पूरा घुस गया, और मैं उसे कुत्तिया की तरह चोदने लगा। “भाभी, तेरी गाँड मस्त है… लंड को मज़ा आ रहा है,” मैं बोला और उसकी चूचियाँ पीछे से मसलने लगा। Desi Bhabhi ki Chudai ki Kahani


उसकी गाँड में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। “अजय, और जोर से… मेरी गाँड मारो… आह्ह…” वो चिल्ला रही थी। मैंने उसकी गाँड पर चपत मारी और बोला, “भाभी, तेरी गाँड फाड़ दूँगा।” उसकी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं, और मैं उन्हें पीछे से पकड़कर मसल रहा था। फिर मैंने उसे फिर से सीधा किया और उसकी चूत में लंड डाल दिया। “भाभी, तेरी चूत में झड़ूँगा,” मैंने कहा और इतने जोर से चोदा कि उसकी चूत से पानी की पिचकारी छूट गई। “अजय, मैं गई…” वो चीखी, और उसकी चूत से पानी निकलने लगा। मेरा लंड फटा, और मैंने अपना माल उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों पसीने से तर होकर लेट गए। “अजय, ये गर्मी फिर लगेगी,” भाभी ने हँसते हुए कहा। मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और बोला, “भाभी, जब चूत गर्म होगी, मेरा लंड तैयार रहेगा।”
शाम होने से पहले भाभी फिर तैयार थी। उसने साड़ी पहनी, लेकिन नीचे कुछ नहीं। “अजय, खेत की मेड़ पर चलो,” उसने कहा। हम खेत में गए। वहाँ भाभी ने साड़ी उठाई और अपनी चूत मेरे सामने कर दी। “चोदो ना,” वो बोली। मैंने उसे मेड़ पर लिटाया और उसकी चूत में लंड पेल दिया। “भाभी, तेरी चूत गर्मी में भी मस्त है,” मैंने कहा और भाभी को चोदा। उसकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, और उसकी गाँड मिट्टी में दब रही थी। हमने खेत में भी चुदाई की, और उसकी चूत फिर मेरे माल से भर गई।
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