पति से नाखुश मुस्लिम आंटी को दिया सहारा – hindu muslim sex story
- By : Hindi Kahani
- Category : Muslim Sex Story

Hindu Muslim Sex Story में पढ़े की एक बेसहरा मुस्लिम आंटी मुझे हॉस्पिटल में मिली और हर दोनों फिर एक दूसरे का सहारा बने और खूब चुदाई की.
नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम अमित सिंह है.
मै उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के एक गांव का रहने वाला हूँ।
मैं मेरे मां बाप की इकलौती संतान था।
वर्तमान समय में मेरी उम्र 38 साल है .
हाइट 5 फीट 10 इंच हैं और मेरे लिंग का साइज 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है।
मेरी छाती पर बाल आते है, और मुझे मूँछ रखने का शौक हैं। muslim sex story
जब मैं छोटा था तभी मेरे पिताजी एक जमीनी विवाद में मारे गए थे क्योंकि मेरे पिताजी खेती करते थे, हमारे खेत थे।
किसी तरह मां ने मुझे पाला।
मैं बचपन से ही बलिष्ठ रहा हूं कयोंकि मैं घर का दूध, घी खाकर बडा हुआ हूँ।
जब मैं कुछ बड़ा हुआ तो मां के साथ खेती करने में उनकी मदद करने लगा।
मेहनत करने की वजह से मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी हूं और मेरी परसनालिटी एक अलग ही छाप छोडती हैं।
जब मैं 22 साल का हुआ तो मां ने मेरी शादी पड़ोस के गांव में कर दी।
मां अब बूढी हो गई थी इसलिए उन्हें बहू भी ज्यादा जरूरत थी।
सुहागरात में मुझे एक सील पैक लड़की मिली।
सील पैक होने के साथ साथ वो खूबसूरत भी थी।
मैने पहले कभी सैक्स नहीं किया था और ना ही उसने पहले कभी सैक्स किया था।
जैसे तैसे करके मैने उसकी कुंवारी चूत को अपने फोलादी लिंग से फाड़ दिया।
चूत से निकले खून को देखकर वह बेहोश हो गई थी लेकिन मैं रुका नहीं और लगातार उसे चोदता रहा।
थोडी देर मैं वो नॉर्मल हो गई।
मेरा पहली बार था तो मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और झड़ गया वह भी मेरे साथ झड़ गई।
मैं उसे और चोदना चाहता था पर एक चुदाई में ही उसकी हालत ख़राब हो गई थी इसलिए मैने सोचा कि आज के बाद तो यह मेरी ही है, कल से खूब चोदुंगा।
मै उसे बाहों में लेकर सो गया।
अगली सुबह मेरी आँख किसी की चिल्लाने की आवाज़ के साथ खुली।
मेरी पत्नी पहले ही उठ चुकी थी मैं जैसे ही बाहर आंगन में आया तो मैने देखा दस बारह आदमी मेरी मां के पास खडे थे।
उनमेसे एक दबंग सा दिखने वाला आदमी मां से कह रहा था कि जब तो यह जमीन मैं तेरे पति से नहीं ले सका वह मैं अब लेकर रहुंगा।
मैने मेरे रिश्तेदार की बेटी से इसी वजह से तेरे बेटे की शादी की है।
अब यह लड़की तुम्हारे खिलाफ दहेज और मारपीट का मुकदमा दर्ज करेगी, या तुम चुपचाप यह जमीन मेरे हवाले कर दो और यहां से कहीं और चले जाओ।
मैने देखा मेरी बीवी भी उनकी हां में हां मिला रही थी।
मैं और मेरी मां समझ गए कि जिसे हम शादी हुई समझ रहे थे वो एक धोखा हुआ था हमारे साथ।
मेरी मां ने कहा कि अपने जीते जी में यह जमीन तुम्हें नहीं दूंगी।
वे हमे अंजाम भुगतने की धमकी देते हुए चले गए और मेरी पत्नी को भी ले गए।
रात में मुझे पुलिस उठा कर लें गई और दहेज और मारपीट के झूठे केस में जेल में भेज दिया। हमारे पास इतने पैसे नहीं थे कि दहेज और उतपिडन जैसे बडे केस में जमानत करा लेते।
बस थोड़ी बहुत जमीन ही थी हमारे पास, जिसपे हम खेती करके अपना गुजर बसर कर रहे थे।
6 साल कोर्ट में केस चला मगर सुबूतो के अभाव में मुझे रिहा करना पड़ा क्योंकि केस झूठा था। जेल में भी मां ने मेरा घी नहीं टूटने दिया।
मैं जेल में अपना समय काटने लिए मै कसरत करता था जिसकी वजह से मेरी अच्छी बॉडी बन गई।
बीते 6 सालो में मां की तबीयत बहुत ख़राब रहने लगी थी और जेल से आने के कुछ दिनों बाद मां का स्वर्गवास हो गया था।
मैं इस भरी दुनिया में अकेला रह गया था।
अब मेरा गाँव में भी कोई नहीं था, तो सबसे पहले मैने वो घर और ज़मीन बेच दी जिसकी वजह से आज मै अकेला हो गया था और सब पैसा बैंक में जमा कर दिया कि अगर किसी अच्छे काम के लिये जरूरत होगी तो निकाल लूंगा और दिल्ली आ गया और एक कपडा रंगाई फैक्टरी में काम करने लगा।
जिस फैक्टरी में मै काम करता था वहां सब वर्कर बिहार के रहने वाले थे।
मेरे मिलनसार व्यवहार की वजह से मेरी सब से अच्छी बनती थी।
उन वर्करो में एक चाचा थे।
उनका भी कोई नहीं था संसार में कोई नहीं था।
उनसे ज्यादा लगाव था मुझे।
पर वे शराब बहुत पीते थे, शायद अकेलेपन की वजह से ज्यादा पीते थे।
मैं 28 साल का हो गया था।
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भरपूर जवानी अकेले ही काट रहा था।
मन तो मेरा भी बहुत होता था कि कोई मिले जिसे मैं रात भर चोदू।
जेल से आए अभी 3 महीने ही हुए थे इसीलिए अभी किसी से मेरी सेटिंग नहीं हुई थी और किसी धंधे वाली के पास मैं जाना नहीं चाहता था।
जब कभी जवानी ज्यादा जोश मारती थी तो हस्तमैथुन कर लेता था।
एक दिन सुबह सुबह काम के समय चाचा ने ज्यादा पी ली और जहां गरम पानी में कपडा रंगाई करते थे.
चाचा उसी खोलते पानी में गिर गए।
किसी तरह चाचा को पानी से बाहर निकाला लेकिन वे कई जगह से झुलस गए थे।
जब तक फैक्टरी मालिक नही आये थे और चाचा दर्द से चिल्ला रहे थे।
उनकी तड़प मुझसे देखी ना गई और मैं उन्हें ऑटो करके दिल्ली के लोकनायक हॉस्पिटल ले गया जहां उन्हें तुरंत भर्ती कर लिया।
मरहमपट्टी के बाद उन्हें एक वार्ड में शिफ्ट कर दिया और डाक्टर ने बताया कि दो तीन दिन में छुट्टी मिल जाएगी।
मैंने यह बात फोन करके फैक्ट्री मालिक को बताई।
उन्होंने मुझसे कहा कि मैं चाचा के पास ही रहूं।
मैं उनकी बात मान गया।
मैं चाचा से बात की तो उन्होंने कहा कि अब वे ठीक है।
बहुत देर चाचा के पास बैठा रहा।
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मैं चाचा को सुबह 8 बजे हॉस्पिटल मे लाया था और अब दोपहर का 1:00 बज रहा था।
सर्दी के दिन थे तो टाइम का पता नहीं लगा।
मुझे अब भूख लगने लगी थी तो मैं चाचा से कुछ खाने के लिए लाने का बोलके अस्पताल से बाहर आ गया।
आपकी जानकारी के लिए बता दूं, लोकनायक हॉस्पिटल दिल्ली का बहुत बड़ा सरकारी हॉस्पिटल है जहा हजारों लोग इलाज के लिए आते हैं।
हॉस्पिटल के बाहर मरीज और मरीज के साथ आए तीमारदारो के लिए चाय, दूध, जूस, फल, अंडा, आमलेट, रोटी- सब्जी आदि की सैकड़ों रेहडी और दुकान लगी रहती है और इन दुकानो पर बहुत भीड़ रहती हैं क्योंकि दूर दराज से आए लोगों को सस्ते में खाना और दूसरी जरूरत की चीज मिल जाती है और फिर कोई अपने मरीज को छोड़कर दूर भी नहीं जा सकता।
मैं खाने के ठेले पर गया वहां भी भीड़ थी।
मेरे आगे एक milf आंटी खड़ी हुई थी।
पहनावे से वे मुस्लिम लग रही थी।
वे बार बार दुकानदार से दो अंडो की ऑमलेट देने के लिए कह रही थी।
मैने Muslim Aunty के हाथ में सौ का नोट देखा था जिसे वे बार बार दुकानदार की तरफ करके ऑमलेट देने के लिए कह रही थी।

ऑमलेट लेने के बाद वे बाकी पैसे लिए बिना चल दी।
मेरा खाना भी पैक हो गया था तो मैने दुकानदार से कहा कि वे आंटी मेरे साथ है और उससे आंटी के बाकी पैसे लेकर तेज कदमों से चलते हुए आंटी के करीब जाकर मैंने उनसे बोला कि आप शायद पैसे लेना भूल गई थी।
उन्होंने एक निगाह मेरे उपर डाली और अपने पैसे लेते हुए बोली कि आजकल टेंशन की वजह से कुछ ध्यान नहीं रहता।
मैंने उनके पैसे उन्हें देते हुए बोला कि आप भगवान पे भरोसा रखिये, सब ठीक हो जाएगा।
मेरी बात सुनकर वे बोली कि लगता नहीं कि सब ठीक हो जाएगा।
मैने उनकी तरफ देखा तो उनकी आँखों से आंसू निकलकर उनके गालो से टपक रहे थे।
ये देखकर मैं भी भावुक हो गया कयोंकि मुझसे किसी का दुःख देखा नही जाता।
मैने उनसे कहा कि प्लीज आप रोईये मत और उन्हें पीने के लिए पानी दिया और कहा कि आप मुझे बता सकती हैं कि क्या हुआ कयोंकि बताने से मन हलका हो जाता है।
मेरी बात सुनकर उनहोनें अपने आंसू पोंछ लिए और पास में पडी बैंच पर बैठ गई।
मैं भी उनके पास बैठ गया।
मैने पूछा कि आप यहां होसपिटल में कैसे हो तो वे बोली कि मेरा नाम यास्मीन हैं, मै पानीपत से अपने पति को लेकर आई हूँ।
मैं : कया हुआ अंकल को।
आंटी : बहुत ज्यादा शराब पीने की वजह से दोनों किडनी खराब हो गई और अब लास्ट स्टेज है. डॉक्टर ने बताया कि अब कभी भी दुनिया छोड़ सकते हैं।
कुछ देर रूक कर वे बोली कि अच्छा ही हो कि अल्लाह उन्हें उठा ले।
मैं : आप ऐसा क्यों कह रही हो।
आंटी : जिसने जिंदगी भर कोई सुख ना दिया और सारी जिंदगी शराब के लिए गुजार दी़।
ना अच्छे पति बन सके ना अच्छे पिता तो ऐसे शख्स के लिए दिल से यही निकलता है कि अल्लाह उन्हें उठा ले तो अच्छा है।
मैं : कितने बच्चे हैं आपके। muslim aunty ki chudai kahani
आंटी – 3 बेटी और एक बेटा हैं।
बडी बेटी का नाम रिहाना हैं उसकी उम्र 21 साल और बेटे का नाम रिहान हैं.
उसकी उम्र 19 साल है।
उसके बाद बेटी साजिदा 17 साल और शाइन की उम्र 14 साल है।
रिहाना की शादी जैसे तैसे करके मैने एक साल पहले की थी लेकिन उसके ससुराल वालो ने शादी के कुछ दिनों बाद तलाक दे दिया.
क्योंकि मैं उनके द्वारा मांगी हुई दहेज की रकम अदा नहीं कर पाई।
एक तरह से उनहोनें मेरी बेटी को इस्तेमाल करके छोड़ दिया।
ये सुनकर मुझे बड़ा दुख हुआ।
मैं : आपका बेटा पढ रहा है या कोई काम करता है?
यास्मीन: बेटा बचपन से ही बाप की शराब चुरा कर पीने लगा था और आज बाप के नक्शे कदम पर चलते हुए वह भी शराबी बन गया है और कुछ काम भी नहीं करता।
कमा के देने के बजाय और हमसे ही वापस पैसे लेता है शराब पीने के लिए।
मैं : तो आपके घर का खर्चा कैसे चलता है।
आंटी : हम मां बेटी मिल कर सिलाई, कढाई करके कुछ पैसे कमा लेते हैं जिससे घर का खर्चा चल जाता है।
हम लोग बात कर ही रहे थे कि आंटी का फोन बज उठा।
उनका कीपैड का फोन था।
फोन पर धागा लिपटा था मतलब फोन टूटा हुआ था जिसको उनहोनें स्पीकर मोड पे डालके बात की।
उधर से उनकी बेटी की आवाज आई जो कह रही थी अम्मी मकान मालकिन आई है वह कह रही है कि उनको दूसरे किराएदार मिल गए हैं जो टाइम से किराया दिया करेंगे इसलिए या तो इनका पूरा किराया दो वरना घर खाली कर दो।
आंटी ने कहा कि उनसे कहो कि दो तीन दिन में पापा को छुट्टी मिल जाएगी अस्पताल से जब मैं आ जाउंगी तब बात करेंगे।
उनकी बातें सुनकर मुझे बड़ा दुख हुआ।
मैंने सोचा कि आंटी को ना तो पति का प्यार मिल सका और ना ही बेटे का कुछ सुख हुआ और ना दामाद अच्छा मिला।
मैंने सोचा अगर मैं उनके कुछ काम आ सका तो मेरा जीवन सफल हो जाएगा।
मुझ अनाथ को भी एक परिवार मिल जाएगा क्योंकि वैसे भी मेरा कोई नहीं था।
मैंने सोचा अगर यास्मीन मुझे एक प्रेमी के तौर पर अपनाएगी तो मैं जीवन भर एक सच्चे प्रेमी की तरह उनका साथ दुंगा।
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि मेरी और उनकी उम्र में कोई ज्यादा फर्क नहीं था वह मुझसे बहुत 10 साल बड़ी थी और कहीं ना कहीं वह शारीरिक सुख से वंचित भी थी।
और अगर मुझे दामाद के रूप में स्वीकार करेगी तो मैं उनकी तलाकशुदा बेटी को अपना लूंगा और एक दामाद के रूप में उनकी मदद करता रहूंगा।
और नहीं तो एक बेटे की तरह उनकी सेवा करूंगा और उनके कांटेक्ट में रहूंगा।

मैं अपनी उधेड़बुन में लगा था।
उधर आंटी ने अपनी बेटी से बात खत्म करके फोन काट दिया और बोली कि बातों बातों मे बहुत देर हो गई।
अब मुझे चलना चाहिए और उठकर जाने लगी।
मैं भी उनके साथ चलने लगा।
पहली बार आंटी को मैंने ध्यान से देखा।
उनकी हाइट 5 फुट थी।
रंग गोरा जैसे कशमिरी सेब।
घुंघराले बाल और 36- 32- 37 का लाजवाब फिगर था।
उनके लंबे बालों की चोटी उनके कुलहो तक आ रही थी।
वे कुछ कुछ फिल्म अभिनेत्री राखी गुलजार की तरह लगती थी।
चलते चलते मैंने उनसे पूछा कि आपके पति किस वार्ड में हैं तो उन्होंने जो बताया उसे सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि मेरे साथ वाले चाचा भी उसी वार्ड में भर्ती थे।
बात करते-करते हम वार्ड के अंदर आ गए।
मैंने देखा आंटी के पति का बेड़ चाचा के बेड से 4 बेड छोड़कर था।
मैंने चाचा को खाना खिलाया और खाने के बाद उनको मेडिसिन दी।
आंटी ने भी अपने पति को आमलेट खिला दी और मेडिसिन दी।
मेडिसिन लेने के थोड़ी देर बाद चाचा सो गए और आंटी के पति भी सो गए।
मुझे ऐसा लगा की मेडिसिन में कोई नींद की टैबलेट मिक्स करते हैं जिससे मरीज को नींद आ जाए।
सर्दी के दिन थे तो वार्ड के अंदर बैठे-बैठे मुझे हल्की ठंड महसूस हुई तो मैने चाय पीने की सोची।
मैं आंटी के पास जाकर उनसे चाय के लिए पूछा तो पहले तो वे मना करने लगी पर कुछ सोचकर वे बोली कि चलो।
अस्पताल परिसर के अंदर ही बनी कैंटीन से मैं चाय ले आया और एक ब्रेंच पर धूप में बैठकर चाय पीने लगे।
चाय पीने के बाद आंटी ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ तुम्हारे पापा को और अब कैसी तबीयत हैं उनकी तो मैंने बताया कि ये मेरे पापा नहीं है।
ये तो मेरे साथ काम करते हैं और उनके परिवार में कोई नहीं है इसलिए इलाज के लिए यहां ले आया।
उन्होंने पूछा तुम्हारा परिवार कहां है तुम कहां के हो तो मैंने उन्हें शुरू से लेकर आखिर तक अपनी पूरी कहानी बता दी.
जिसे सुनकर वे बोली कि अमित मैं समझ गई थी कि तुम एक अच्छे इंसान हो जब तुमने मेरे पैसे लौटाए।
और अब मेरे दिल में तुम्हारे लिए इज्जत और बढ़ गई कि तुम निस्वार्थ ही दूसरो के काम आते हो।
मैं : मुझे अगर आप मौका दे तो मैं आपकी भी कुछ सेवा करना चाहता हूं।
आंटी : मैं कुछ समझी नहीं
मैं : मैं आपके मकान का किराया में देना चाहता हूं।
मैंने सुन लिया कि अगर तुमने मकान का किराया नहीं दिया तो तुम्हें मकान खाली करना पड़ जाएगा।
आंटी : नहीं मैं आपसे पैसे नहीं ले सकती क्योंकि हम अभी मिले हैं, और मैं तुम्हें जानती भी नहीं फिर मैं कैसे आपके पैसे लौटाऊंगी।
मैं : मैं तुम्हें पैसे उधार नहीं दे रहा हूं जो तुम्हें लौटाने पड़ेंगे मैं आपकी मदद कर रहा हूं।
बेशक हम अभी मिले हो पर तुमने मुझे और मैंने तुम्हें अपनी सब बात बता दी।
अब हम एक दूसरे के दोस्त बन सकते हैं।
क्या आप मेरी दोस्त बनोगी।
आंटी : मैं खुद को खुश किस्मत समझेगी अगर तुम जैसा नेक शख्स मेरा दोस्त हो।
मैं : तो फिर दोस्ती के नाते ही मुझे आपकी मदद करने दीजिए।
बहुत ना नुकर के बाद वह मान गई। मैंने पूछा कितना किराया है।
आंटी : 5 महीने हो गए, 2 हजार रुपए महीना किराया है टोटल 10000 हो गए।
मैं : आप चिंता ना करें मैं शाम के टाइम जाऊंगा एटीएम से पैसे निकाल लाउंगा।
बहुत देर हम इधर-उधर की बातें करते रहे और फिर हॉस्पिटल के वार्ड के अंदर आ गए और अपने-अपने मरीजों की देखरेख में लग गए।
अब यास्मीन आंटी मुझसे काफी खुल गई थी और बीच-बीच में मेरी तरफ देखकर स्माइल कर देती.
शायद मेरी आंखों में उनके लिए उमड रहे प्यार को उनहोने देख लिया था।
मैं भी उसकी तरफ स्माइल कर देता।
थोड़ी देर बाद मैं चाचा को बता कर फैक्ट्री आ गया क्योंकि सर्दी का टाइम था मैं अपनी जैकेट वगैरा लेने आया था।
जब मैं आंटी से बात कर रहा था तो मैंने नोट किया था कि जैसे उनहोने तीन-चार दिन से कपड़े नहीं बदले या शायद उसके पास बदलने के लिए कपड़े है ना हो।

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मैं मार्केट गया और क्योंकि वह मुस्लिम थी तो उनके लिए रेडीमेड दो जोड़ी सलवार कमीज और एक स्मार्टफोन खरीदा।
जब मैं हॉस्पिटल पहुंचा तो वे बार-बार दरवाजे की तरफ देख रही थी।
उनका चेहरा बता रहा था कि वे मेरा ही इंतजार कर रही हैं।
मुझे देखकर उनके चेहरे पर खूबसूरत स्माइल आ गई थी।
मैंने थोड़ी देर चाचा से बात की और आंटी को इशारा करके बाहर आ गया।
थोड़ी देर बाद मे वे भी बाहर आ गई।
मुझे पता था कि वह आसानी से फोन नहीं लेंगी तो मैने उनके हाथ में कपड़ों की पॉलिथीन देते हुए कहा कि अगर आप वाकई मुझे अपना दोस्त समझती है तो यह सामान स्वीकार कर लेगी। उन्होंने पॉलिथीन मेरे हाथ से लेते हुए उसमें से कपड़े और फोन निकाल कर देखा और बोली आखिर आप मेरी इतनी मदद क्यों करना चाहते हो मैं तो तुमसे उम्र में बड़ी हूं और शादीशुदा भी हूं।
मैं : आप मुझसे उम्र में बड़ी हो या आप शादीशुदा हो इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पडता। आपके परिवार को एक पुरुष रूपी छत की जरूरत है और वह छत मे बनना चाहता हूं।
वे बोली ये तुम क्या कह रहे हो।
मैं : मैं अकेला हूं संसार में, मुझे एक परिवार चाहिए और और आपको भी सहारे की जरूरत है तो क्यूँ ना हम एक दूसरे का सहारा बन जाए।
मैने कहा कि अगर आप को मेरी बात बुरी लगी तो मैं माफी चाहता हूं।
ये बोलकर मैं मुडकर जाने लगा तो आंटी ने मेरा हाथ पकड लिया।
आंटी : अमित, मुझे इतनी खुशी आजतक नहीं मिली जितनी खुशी तुम मुझे देना चाहते हो इसलिए डर रही हूँ कि कहीं ये खुशी चंद पलों की ना हो.
कही तुम भी मुझे इस्तेमाल करके छोड़ ना दो जैसे मेरी बेटी को छोड़ दिया इस्तेमाल करके।
मैं :जिसे जिंदगी ने धोखा दिया हो वो किसी को कया धोखा देगा।
मैने उन्हें गले से लगा लिया और वे भी खुशी खुशी मेरे गले लग गयी।
उनके नर्म और गुदाज शरीर की गरमी पाकर मेरा लिंग करवटे बदलने लगा।
लोग आ जा रहे थे तो मैने उनसे कहा कि आप अंदर जाकर कपड़े बदल लीजिए और अपना फोन मुझे दे दीजिए ताकि मैं आपकी सिम इस फोन में डाल दूं।
उन्होंने मेरी बात मान ली और कपड़े बदलने के लिए वार्ड में बने बाथरूम में चली गई तब तक मैंने उनकी सिम चेंज कर दी।
जब वे बाहर निकली तो मैं देखता रह गया।
कॉफी कलर के सलवार कमीज जो मैं लाया था में वे बहुत खूबसूरत लग रही थी।
उन्हें देखकर मेरा लिंग फिर करवटें बदलने लगा।
शाम हो गई थी तो खाना लाने के बहाने आंटी और मै बाहर आ गए।
मैंने उन्हें न्यू फोन दिया।
फोन लेकर वे बोली कि यह तो मुझे चलाना भी नहीं आता।
फिर मैं वहीं बैठकर उन्हें थोड़ा बहुत फोन चलाना सिखाया।
जब मैं उन्हें फोन चलाना सीखा रहा था तब वह मुझसे लग कर बैठी हुई थी.
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बहुत दिनों के बाद किसी स्त्री का स्पर्श पाकर मैं उत्तेजित होने लगा था शायद यही हाल आंटी का भी था क्योंकि उनकी सांस तेज चलने लगी थी।
यह देखने के लिए कि वह मुझे पसंद करती है या नहीं, मैंने एक हाथ उनके हाथ पर रख दिया और उसके हाथ को चूम लिया।
उन्होंने कुछ नहीं कहा बस मंद मंद मुस्कुराने लगी।
हम जहां बैठे थे वहां से लोग आ जा रहे थे।
वे बोली कि रोड के उस पार होटल है, वहां अच्छा खाना मिलता है, चलो वही से खाना लायेंगें। दिल्ली में रोड पर ट्रेंफिक बहुत होता है इसलिए रोड क्रॉस करने के लिए अंडरपास बना हुआ है।
शाम के 8 बज गए थे।
सर्दी का मौसम था इसीलिए अंडरपास सूना पडा था।
अंडरपास में नीचे जाकर मैने आंटी से कहा कि मैं आपको चाहने लगा हूँ।
शायद वो मुझसे यही सुनने का इंतजार कर रही थी।
मैने उन्हें गले लगा लिया और उनहोंने भी मुझे बाहों में कस लिआ।
मैने उनके माथे को किस किया और फिर गाल पर किस किया।
वे मुझे पूरा समर्पण कर चुकी थी।
मेरा लिंग पूरा कडक हो चुका था।
उनकी आँखें बंद हो गई थी और होंठ खुल गए थे।
मैने अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिये और उनके होंठ पीने लगा वे भी मेरे होंठ पीने लगी। मैने अपनी जीभ उनके मुंह में घूसा दी और वे भी मेरी जीभ को लोलीपोप की तरह पीने लगी।
मै एक हाथ उनकी गर्दन में लपेटकर उनको चूस रहा था और दसरे हाथ से उनके मोटे मोटे चूतड़ मसलने लगा।
मेरा खडा लिंग उनकी नाभी में चुभ रहा था।
बहुत देर तक हम एक दूसरे का रस पीते रहे।
तभी हमे लगा कि कोई आ रहा है तो हम अलग हो गए और चल दिये।
वापस आते वक्त भी अंडरपास में हमने एक दूसरे को खूब चूसा।
फिर कोई आ गया तो हम होसपिटल आ गए।
खाने के बाद चाचा और आंटी के पति मैडिसिन खाकर सो गए थे।
आंटी ने बताया कि रात को वार्ड मे नींद नहीं आती कयोंकि रात भर मरीज शोर करते है और बडा होस्पिटल होने की वजह से 24 घंटे लोगों का आना जाना लगा रहता है.
इसलिए ज्यादातर लोग हास्पिटल में बने टीनशैड के नीचे या होसिपटल में बने छोटे छोटे पार्को में, जहां शूकुन,शांति मिले वही सो जाते है।
वे कई दिन से होसपिटल में थी इसलिए उन्हें ये सब पता था।
मेरे पास बिस्तर नहीं था पर आंटी के पास बिस्तर था लेकिन कंबल हम दोनों के लिए छोटा था तो मैं तुरंत रोड पार से एक नया कंबल लेकर आ गया।
जो जहां सोता था तो वो अपना बिस्तर पहले ही उस जगह रख देता था ताकी जगह घिर ना जाए।
आंटी ने अपना बिस्तर एकांत में एक जेनरेटर रूम के बाहर लगाया कयोंकि शायद उन्हें अंडरपास ही मेरे लिंग का अंदाजा हो गया था.
वे जानती थी कि अाज रात उनकी चीखें जरूर निकलेगी।
जेनरेटर रूम सिर्फ दिन में खुलता हैं।
अगर बाईचांस कभी लाईट चली जाती थी तो इधर कोई आता था वरना सुबह से पहले इधर कोई फटकता भी नही था।
और यहां थोडा अंधेरा भी था।
मैं समझ गया कि आज Muslim Aunty ki Chudai के बीच में किसी प्रकार का दखल नहीं चाहती थी।
अभी 9.30 बजे थे और लोग जाग रहे थे तो बिस्तर लगाने के बाद मै और आंटी चाय पीने के लिए बाहर आ गए।
बाहर आकर आंटी ने अपने घर फोन किया और अपनी बेटी से बताया कि अल्लाह के शुक्र से मकान के किराये का इंतजाम हो गया है और मैने एक टच वाला फोन लिया है।
उनकी बेटी ने पूछा कि कैसे और कहां से लिया फोन तो आंटी ने मेरी तरफ देखकर कहा कि अभी तो बस इतना सुन ले, अल्लाह ने किसी को फरिश्ता बना कर भेजा है हमारी मुश्किलें आसान करने को।
बाकी मैं तुम्हें वहीं आकर बताउंगी।
बहुत देर बात करने के बाद आंटी ने फोन काट दिया।
11:00 बज गए थे।
हमने अंदर आकर एक नज़र उनके पति और चाचा पर डाली।

वार्ड में एक दो को छोड़कर बाकी सब सो रहे थे।
हम दोनों अपने बिस्तर पर जेनरेटर रूम की दीवार से कमर लगा कर बैठ गए और कंबल को कंधो तक ओढ लिया।
एक सेकंड हमने इधर उधर देख कर तसल्ली की, कि कोई देख तो नहीं रहा है और दूसरे सेकंड में हमारे होंठ मिल चुके थे।
मैं इस कदर उत्तेजित हो गया था कि आंटी के मुंह में अपनी जीभ घुमा-घुमा कर उनका मुखरस पीने लगा।
आंटी मुझसे भी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी इसलिए वे मेरी जीभ का सारा रस चूसने लगी।
हम दोनों तब तक एक दूसरे का रसपान करते रहे जब तक हमारा थूक सूख ना गया हो।
फिर मै आंटी की गर्दन पे किस किया तो उनके मुंह से निकला हाये अल्लाह।
उनकी सिसकारी निकल गई जैसे बरसो से सूखे खेत में बारिश की बूंद गिरी हो।
उनकी सिसकारी सुनकर मेरा लिंग जो पहले से ही पेंट फाडने को हो रहा था वो और कडक हो गया।
ज्यादा टाइट होने की वजह से लिंग में दर्द होने लगा था।
मैने पेंट खोलकर अपने लिंग को बाहर निकाला और आंटी का हाथ पकडकर अपने फनफनाते हुए लिंग पर रख दिया।
लिंग पर हाथ रखते ही उनहोने डर के अपना हाथ पीछे खींच लिया।
मैने पूछा क्या हुआ।
आंटी : कितना लंबा और मोटा लंड हैं तुम्हारा। muslim sex story
आंटी के मुँह से लंड शब्द सुनकर मै समझ गया कि आंटी एक कामुक औरत है।
मै : अंकल का मोटा नहीं है?
आंटी ने फिर से मेरे लंड को हाथ मे लेते हुए बोली कि नहीं, उनका तो तुम्हारे से आधा हैं।
अब आंटी मेरे लंड को उपर से नीचे तक सहला रही थी जैसे लंड का नाप ले रही हो।
उनके नरम और मुलायम हाथ का स्पर्श पाकर मैं आनंद के सागर में डूब गया।
मेरा मोटा लंड उनके एक हाथ में समा नहीं पा रहा था।
मैने उनके कमीज और ब्रा को उपर कर दिया जिससे उनकी दूधिया चूची आजाद हो गई।
कया चूची थी उनकी, उपर से बिल्कुल रेशम जैसी मुलायम और मलाई जैसी चिकनी लेकिन अंदर से सख्त।
मै उनकी चूची बारी बारी से मसलने लगा।
आंटी की आंखें आनंद की वजह से बंद हो गई थी और वे मेरे लंड को और जोर से सहलाने लगी थी।
मैं उनकी एक चूची को मुहँ में लेकर पीने लगा और एक हाथ से उनकी सलवार का नाडा खींच दिया और हाथ ले जाकर पैंटी के उपर से उनकी चूत को सहलाने लगा।
आंटी की पैंटी चूत के पानी से पूरी भीग गई थी।
मैने कहा कि आटी आपकी चूत तो बहुत पानी छोड़ रही हैं.
आंटी – तुम्हारे मोटे लंड को देखकर मेरी चूत का मूत निकल गया।
उनकी बात सुनकर मुझे हसीं आ गई।
फिर मैने उनकी पैंटी के अंदर हाथ डाल दिया।
उनकी झाटें बहुत बड़ी बडी थी।
शायद टेंसन की वजह से साफ ना की हो।
उनकी झाटों को साइड में करके मैने एक उंगली उनकी चूत में घुसा दी।
आंटी की चूत बहुत टाइट थी।
उनके मुंह से निकला हाये अल्लाह मैं मर गई।
मैं – आप 4 बच्चो की मां हो फिर भी आपकी चूत इतनी टाइट कैसे।
आंटी -मेरे पहले 2 बच्चे ही मेरी चूत से हुए और 2 बच्चे ऑपरेशन से हुए।
वे बोली कि जो करना है जल्दी कर लो।
कहीं मैं आपकी उंगली से ही फारिग ना हो जाऊ।
मैं पहले ही समझ गया था कि आंटी एक कामुक लेडी हैं इसलिए मै चाहता था कि वे अब खुल कर बोले कि वे चुदना चाहती हैं
मैं – मैं समझा नहीं कया फारिग हो जाएगा।
प्लीज आप साफ साफ बताईये।
आंटी – अमित, मेरे राजा, प्लीज अपने लोड़े को मेरी चूत मैं उतार कर मुझे जन्नत की सैर करा दो।
कही मैं तुम्हारी उंगली की रगड से ही ना झड जाऊं।
कहानी जारी है… आगे की कहानी अगले भाग में…
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