हॉट आंटी के साथ थ्रीसम सेक्स किया – Aunty Sex Stories

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Aunt Fucking Stories

aunty sex stories– हैलो दोस्तों, मैं हितेश पाटिल हूँ और आज काफी दिनों बाद आप सभी कामुकता के चाहने वालों को अपनी एक नई सच्ची Aunty Sex Story सुनाने जा रहा हूँ, जो हाल ही में मेरे साथ घटी है।

लेकिन aunty sex stories  शुरू करने से पहले जो नए पाठक हैं, उनके लिए अपना परिचय दे देता हूँ।

दोस्तों, मेरा नाम हितेश है और मैं मुंबई में रहता हूँ।

मेरी उम्र 24 साल है, मैं दिखने में एकदम ठीक-ठाक हूँ – न ज्यादा गोरा, न ज्यादा काला, लेकिन फिट बॉडी वाला लड़का हूँ।

पिछले कुछ सालों से मैं हिंदी कहानी डॉट को डॉट इन पर सेक्सी कहानियाँ पढ़ता आ रहा हूँ और मुझे ये बहुत अच्छा लगता है।

मैंने अब तक बहुत सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी हैं और अपनी कुछ घटनाएँ लिखकर आप लोगों तक भेजी भी हैं।

आज मैं अपनी एक ऐसी ही जोश भरी Aunty Sex Story बताने जा रहा हूँ और उम्मीद करता हूँ कि इसे पढ़कर आप लोगों को बहुत मजा आएगा।

दोस्तों, एक दिन शाम को मैं अपने ऑफिस से घर के लिए बस से निकला।

वो सभी के ऑफिस छूटने का वक्त था, इसलिए बस में बहुत भीड़ थी।

मेरे आगे एक आंटी खड़ी थीं, वो दिखने में अच्छी लग रही थीं।

उनकी उम्र कोई 42 साल के आसपास होगी, लेकिन उन्होंने खुद को अच्छे से मेंटेन किया हुआ था।

पहले तो मैंने इतना गौर नहीं किया, लेकिन बस में धक्का-मुक्की के बीच मैं उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया।

भीड़ इतनी ज्यादा थी कि न चाहते हुए भी मेरा हाथ बार-बार उनके हाथों को छू रहा था।

उनके गोरे हाथों का मुलायम स्पर्श मुझे कुछ-कुछ होने लगा।

फिर मैंने उन्हें गौर से देखा – उनकी हाइट करीब 5 फुट 2 इंच थी, गोरा बदन, बूब्स ठीक-ठाक लग रहे थे, शायद 34 साइज के होंगे, और उनकी गांड थोड़ी बाहर निकली हुई थी, जो उन्हें और आकर्षक बना रही थी।

अब मेरे मन में उनके बारे में लगाव शुरू हो गया।

मैं जानबूझकर अपना हाथ उनसे छुआने लगा, लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थीं।

फिर मैंने थोड़ी हिम्मत करके धीरे-धीरे उनकी कमर पर उंगली घुमानी शुरू की, लेकिन वो फिर भी चुप रहीं।

वो बस अपने आगे वाले आदमी से बात कर रही थीं।

पहले मुझे लगा कि वो कोई और है, लेकिन थोड़ी देर बाद बस में और भीड़ बढ़ गई।

अब मैं बिल्कुल बिंदास होकर धीरे-धीरे उनकी गांड पर हाथ फेर रहा था।

सिर्फ एक बार उन्होंने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन कुछ नहीं कहा।

फिर वो जगह जहां वो खड़ी थीं, वहाँ की सवारी उतर गई और सीट खाली हो गई।

वो तुरंत बैठ गईं।

अब मैं बार-बार उन्हें छूने का मौका ढूंढ रहा था।

उस आदमी ने भी मेरी हरकत पर गौर किया और वो मुझे घूर रहा था, साथ में हल्की स्माइल दे रहा था।

इससे मुझे थोड़ा डर लगा।

थोड़ी देर बाद मेरा स्टॉप आ गया और मैं उतरने लगा।

तभी मेरे पीछे वो आंटी भी आईं और वो आदमी उनके पीछे।

मैं बस से उतरकर स्टॉप पर रुक गया, ये देखने के लिए कि वो कहाँ जाते हैं।

थोड़ी देर बाद वो दोनों बात करते हुए आगे चले गए।

तब मुझे एहसास हुआ कि वो उनके पति ही थे।

मैं भी उनके पीछे-पीछे जाने लगा।

थोड़ी देर चलने के बाद पता नहीं कैसे अंकल अचानक नीचे गिर गए।

मैं उनके पीछे था, तो भागकर उनके पास गया और पूछा।

मैं: क्या हुआ अंकल, आपको कहीं चोट तो नहीं आई?

अंकल: अरे नहीं बेटा, पता नहीं मेरा पैर कैसे फिसल गया। अब मोच आ गई है, आह्ह्ह… उफ्फ्फ… बहुत दर्द हो रहा है।

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मैं: हाँ, मुझे दिख रहा है।

फिर वो धीरे-धीरे उठकर खड़े हुए और चलने की कोशिश की, लेकिन चल नहीं पा रहे थे।

मैंने एक साइड से सहारा दे दिया।

वो धीरे-धीरे चलने लगे। तभी आंटी ने मुझसे कहा।

आंटी: चलो अब हम सीधे घर ही चलते हैं।

मैं: हाँ अंकल, यही ठीक रहेगा।

घर जाकर पैर की मलम-पट्टी कर लो, ठीक हो जाएगा।

फिर मैंने बात खत्म करके एक ऑटो वाले को रुकवाया और उन दोनों को बैठा दिया।

लेकिन तभी अंकल बोले कि प्लीज तुम भी चलो, सहारा देकर घर तक छोड़ दो।

मैंने सोचा, चलो इसी बहाने आंटी के करीब रहने का मौका मिलेगा।

मैं भी ऑटो में बैठ गया।

ऑटो में पहले मैं, बीच में आंटी, फिर अंकल।

मैं जानबूझकर आंटी से चिपककर बैठा।

आंटी मंद-मंद मुस्कुरा रही थीं।

कुछ ही देर में हम उनके घर पहुँच गए।

वो दूसरी मंजिल पर रहते थे।

मैं और आंटी अंकल को सहारा देकर ऊपर ले आए।

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वहाँ पहुँचते ही आंटी बोलीं।

आंटी: चलो अंदर बैठो बेटा, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाती हूँ।

मैं: अरे आंटी, नहीं रहने दो।

मैं घर निकलता हूँ, फिर कभी आऊंगा।

अभी अंकल को मालिश कर दो, उनको दर्द हो रहा होगा।

अंकल: अरे बेटा, बैठो ना थोड़ी देर।

चाय पीकर चले जाना, मेरा पैर ठीक हो जाएगा।

फिर मैं बैठ गया।

आंटी किचन में चाय बनाने गईं।

मैं और अंकल बातें करने लगे।

मुझे प्यास लगी, वहाँ जग रखा था, लेकिन पानी नहीं था। अंकल बोले।

अंकल: तुम किचन में जाओ, आंटी होंगी, वो पानी दे देंगी। जाओ ना।

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मैं उठा और किचन में गया।

किचन छोटी थी।

आंटी चाय बना रही थीं, पीठ मेरी तरफ थी।

मैं धीरे से पीछे गया, उनके बालों की खुशबू सूंघी।

मेरा लंड खड़ा हो गया और उनकी गांड को छू गया। फिर मैं बोला।

मैं: आंटी, मुझे पानी चाहिए।

आंटी ने गर्दन घुमाई और फ्रीज से लेने को कहा।

मैंने बिना लंड हिलाए हाथ बढ़ाकर बोतल निकाली और पानी पीने लगा।

आंटी मुंह आगे करके मुस्कुरा रही थीं, क्योंकि मेरा तना लंड उनकी गांड को छू रहा था।

लंड उनकी गांड की दरार में फिट हो गया।

मैंने धीरे से धक्का दिया।

आंटी ने गौर किया, लेकिन कुछ नहीं कहा।

तभी बाहर से अंकल की आवाज आई।

अंकल: अरे सरला, जरा हितेश के हाथ से मेरे लिए भी पानी भेज देना।

आंटी: जी हाँ, अभी भेजती हूँ।

मैं अभी भी पीछे खड़ा था।

आंटी पलटीं और प्यार से बोलीं।

आंटी: जाओ बेटा, अंकल को प्यास लगी है।

पानी दे दो, मैं चाय लेकर आती हूँ।

मैं बोतल लेकर बाहर आया और अंकल के साथ बैठ गया।

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आंटी चाय लेकर आईं।

हम साथ चाय पीने लगे।

उन्होंने मेरे घरवालों के बारे में पूछा, इधर-उधर की बातें हुईं।

फिर मैं निकलने लगा।

आंटी दरवाजे तक छोड़ने आईं।

मैंने हिम्मत करके उनका हाथ पकड़ा और बोला।

मैं: आंटी, मैं सच कह रहा हूँ, मुझे आप बहुत पसंद हैं। आप बहुत सुंदर हैं।

फिर मैंने हाथ चूम लिया।

आंटी शरमा गईं और हंसकर गर्दन नीचे करके बोलीं।

आंटी: चल तू मजाक करता है, मैं कहाँ इतनी सुंदर हूँ।

मैं और करीब आया, आँखों में आँखें डालकर बोला।

मैं: नहीं, मैं सच कह रहा हूँ, आप बहुत सुंदर हैं।

मैंने हाथ पीछे ले जाकर उनके कुल्हे पर रखा और उन्हें खींचकर किस करने लगा।

पहले आंटी ने थोड़ा नाटक किया, फिर साथ देने लगीं।

करीब पाँच मिनट किस के बाद मैंने छोड़ा।

आंटी मुस्कुराईं और मैं बाय बोलकर चला गया।

फिर दो दिन बाद मैं सुबह अंकल के हालचाल पूछने गया, लेकिन असल में आंटी से मिलने। अंकल ने दरवाजा खोला।

अंकल: अरे हितेश बेटा, आओ अंदर।

मैं: हाँ अंकल, पैर कैसा है?

हम सोफे पर बैठकर बातें करने लगे।

मैंने पूछा आंटी कहाँ हैं?

अंकल बोले वो नहाने गई हैं, बैठो आएंगी।

फिर अंकल बोले।

अंकल: तुम बैठो, मैं पानी लेकर आता हूँ।

मैं: नहीं अंकल, मैं ले लूँगा।

मैं किचन की तरफ गया।

तभी आंटी बाथरूम से टॉवल लपेटे बेडरूम में घुसीं।

मैंने देख लिया।

अंकल टीवी देख रहे थे।

मैं बेडरूम की तरफ गया।

दरवाजा थोड़ा खुला था।

आंटी नंगी बाल साफ कर रही थीं, पीठ दरवाजे की तरफ।

मैं धीरे से गया और पीछे से पकड़ लिया।

उनकी गोरी गर्दन चूमने लगा।

आंटी आँखें बंद करके बोलीं।

आंटी: ओह्ह्ह… आज क्या हो गया तुम्हें?

इतने दिनों बाद बीवी पर इतना प्यार आ रहा है?

मैं चकित हो गया, उन्हें लगा अंकल हैं।

मैंने सोचा फायदा उठाऊँ।

मैं बूब्स दबाने लगा, गर्दन चूमने लगा।

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आंटी गरम हो गईं, मोन करने लगीं।

आंटी: आअहह्ह्ह… उहहह्ह्ह… तुम्हें क्या हो गया?

मेरा हाथ उनके पूरे बदन पर घूम रहा था।

मैंने उनकी पीठ चाटकर गीली कर दी।

आंटी हाथ पीछे करके मेरा लंड पकड़ने लगीं।

फिर मैंने उन्हें सीधा किया, आँखें बंद थीं।

मैंने होंठ चूसने शुरू किए।

उम்மाह… आह्ह्ह… मुझे डर लग रहा था, अंकल आ सकते थे।

फिर आंटी ने आँखें खोलीं और देखा मैं हूँ।

उनका चेहरा लाल, पसीने से भीगा था। वो हैरान थीं।

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आंटी: हितेश तुम?

मैं हंसकर चुम्मी ली और बाहर आ गया।

अंकल के साथ टीवी देखने लगा।

अंकल: इतनी देर कैसे लगी?

मैं: हाँ, आंटी से बात कर रहा था।

आंटी चाय लेकर आईं।

उन्होंने सिर्फ मैक्सी पहनी थी, अंदर कुछ नहीं।

वो साफ दिख रहा था।

वो हमारे बीच बैठ गईं।

अंकल: आज इतनी देर तक नहाई क्यों?

आंटी: बस ऐसे ही समय लग गया।

अंकल: वैसे आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो।

फिर उन्होंने आगे बढ़कर मेरे सामने गाल पर किस कर दिया।

आंटी: क्या आप भी, हितेश के सामने चालू हो गए?

अंकल: अरे क्या हुआ, वो बड़ा हो गया।

पूछ लो, क्यों हितेश?

मैं: हाँ आंटी, अंकल सच कह रहे हैं, आज आप बहुत सुंदर लग रही हैं।

आंटी: ऊह्ह… धन्यवाद। मुझे लगा कहीं तुम भी चूमोगे।

आंटी हंसने लगीं। मैं भ्रमित हो गया, सोचा हिम्मत करके देखूँ।

मैं: अच्छा, तो लो।

मैंने गाल पर किस किया। अंकल हंसने लगे।

अंकल: देखा, मैंने कहा था ना। क्यों हितेश?

मैं: हाँ अंकल, सच में सुंदर लग रही हैं।

फिर अंकल को जोश आ गया।

उन्होंने कंधे पर हाथ रखकर होंठ चूमने लगे।

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आंटी ने थोड़ा नाटक किया, शायद मेरे होने से, लेकिन फिर साथ देने लगीं।

वाह, क्या सीन था।

मेरा लंड खड़ा हो गया।

मैं चुपचाप देख रहा था।

पाँच मिनट बाद अलग हुए, मेरी तरफ देखा।

अंकल: क्यों हितेश, कैसा लगा?

मैं: वाह, मस्त था अंकल, मजा आ गया।

अंकल: अरे अभी कहाँ, और मजा बाकी है।

मैं: मतलब समझा नहीं?

अंकल मेरे बाजू में आकर बैठ गए।

अब मैं बीच में था।

अंकल: हितेश, मुझे सब पता है। तुम आंटी को बस से देखकर चाहने लगे। हमने नाटक किया था।

मैं डर गया, सर नीचे करके बैठा।

अंकल: घबराओ मत, मुझे भी बीवी को मजा करवाना था।

आंटी ने कंधे पर हाथ रखा।

आंटी: मुझे तुम बस में पसंद आ गए थे।

मैं जानबूझकर साथ दे रही थी।

हमने प्लान बनाया था।

उन्होंने मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और स्मूच करने लगीं।

पहले मैंने साथ नहीं दिया, फिर दिया।

पाँच मिनट स्मूच किया।

अंकल ने कपड़े उतार दिए, आंटी की दूसरी तरफ बैठे थे।

अंकल: आह्ह… मजा आ गया सरला।

तुम्हें हितेश को चूमते देख पागल हो गया।

अब और मजा करेंगे।

तुम दोनों मजा करो, मुझे भी खुश करो।

आंटी: ओश, आप भी ना।

अंकल: हितेश, तैयार हो जाओ।

आज हम दोनों आंटी को मजा करवाते हैं।

आंटी: आओ हितेश, मैं तुम्हारे कपड़े उतारती हूँ।

हम खड़े हो गए।

आंटी मेरी टी-शर्ट और पैंट उतारने लगीं।

अंकल ने पीछे से आंटी की मैक्सी उतार दी।

वो सोफे पर बैठकर आंटी की गांड चाटने लगे।

अब हम तीनों नंगे थे।

आंटी: आआह्ह… ओश।

मैं और आंटी जोश में स्मूच कर रहे थे।

मैं बूब्स दबा रहा था।

अंकल गांड चाट रहे थे।

आंटी सिसकियाँ लेने लगीं – उफ्फ्फ… आह्ह्ह… वाह मजा आ गया।

क्या मस्त नजारा था।

5-10 मिनट बाद अंकल ने आंटी को झुकाया और पीछे से लंड डाल दिया।

मैंने मौका देख मुंह में लंड डाल दिया।

आंटी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं – स्लर्प… स्लर्प… आह्ह…।

अंकल जोर-जोर से धक्के मार रहे थे – थप… थप…।

अंकल: आह्ह… सरला, आज बहुत मजा आ रहा है… ओह्ह्ह…।

कुछ देर चूसने के बाद आंटी ने लंड निकाला।

आंटी: आअह्ह्ह… हाँ जी, बहुत मजा आ रहा है।

आपने पहले कभी इतनी दमदार चुदाई नहीं की… अहहह… और जोर से चोदो… अहहह…।

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फिर वो फिर चूसने लगीं।

10 मिनट बाद अंकल झड़ गए, हांफने लगे।

आंटी खड़ी हुईं, मुझे बाहों में लेकर चूमते बोलीं।

आंटी: लो इनका काम हो गया।

अब तुम मुझे आराम से चोदना, जैसा चाहो।

मैं: हाँ मेरी जान, अब मैं चोदूंगा।

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मैं किस करने लगा।

उनका एक पैर सोफे पर रखा, चूत में लंड घुसाया।

चूत गीली थी, फिसलकर अंदर गया – स्लिप…।

जोरदार धक्के देने लगा – थप… थप…।

आंटी: आअह्ह्ह… उफ्फ्फ… हितेश धीरे चोदो ना… मैं कहीं भागी थोड़ी जा रही… आईईई…।

मैं: ऊह्ह… आंटी, तुम्हारी चूत इतनी गरम है… रोक नहीं पा रहा… बताओ क्या करूं?

आह्ह… आह्ह… उसके बाद मैंने आंटी को सोफे पर लिटाया।

मिशनरी में चोदने लगा।

मैं उनके ऊपर था, लंड धीरे-धीरे अंदर-बाहर कर रहा था।

आंटी की चूत टाइट लग रही थी, हर धक्के से वो हिल जातीं।

मैंने उनके बूब्स चूसने शुरू किए – एक को मुंह में लेकर जीभ से घुमाया, निप्पल को काटा। आंटी चीखीं – आआह्ह… हितेश… धीरे… उफ्फ्फ…।

मैंने स्पीड बढ़ाई, थप थप की आवाज आने लगी।

आंटी की गांड उठाकर साथ दे रही थीं।

मैंने उनका एक पैर उठाया, साइड से धक्का दिया, लंड गहराई तक गया।

आंटी बोलीं – आह्ह… हाँ ऐसे… चोदो मेरी चूत को… फाड़ दो इसे… उहहह…।

मैंने 10 मिनट तक ऐसे चोदा, फिर पोजिशन बदली।

आंटी को घोड़ी बनाया, पीछे से लंड डाला।

उनकी गांड को थप्पड़ मारा – थप… थप…।

आंटी चिल्लाईं – आआह्ह… मारो और… चोदो जोर से…।

मैंने बाल पकड़े, जोर-जोर से पेला – थप थप थप…।

आंटी की चूत से पानी बह रहा था, लंड चिकना हो गया।

अंकल देख रहे थे, अपना लंड हिला रहे थे।

फिर मैंने आंटी को अपनी गोद में उठाया, दीवार से सटाकर चोदा।

उनके पैर मेरी कमर पर लिपटे थे, मैं नीचे से धक्का मार रहा था – उफ्फ्फ… आह्ह…।

आंटी बोलीं – हितेश… तुम्हारा लंड कितना मोटा है… भर रहा है मेरी चूत को… आआह्ह…। 25-30 मिनट की चुदाई में आंटी दो बार झड़ीं, मैं एक बार।

मैंने वीर्य उनकी चूत में डाला।

हम थककर लेटे रहे।

फिर आंटी ने खाना बनाया, हमने साथ खाया।

उसके बाद फिर चुदाई का दौर चला।

मैंने जमकर चोदा – पहले डॉगी में, फिर काउगर्ल में आंटी ऊपर आईं, उछल-उछलकर चोदीं – आह्ह… उहह…।

चुदाई खत्म होने के बाद मैं घर आ गया।

अब जब मौका मिलता है, हम तीनों मिलकर चुदाई करते हैं और मजा लेते हैं।

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