सगी भाभी को बड़े लंड की सवारी करवाई – Bhabhi ki Chudai ki kahani

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Bhabhi Dever Sex

बड़ी bhabhi ki chudai ki kahani में मेरी भाभी अपने पति की नशे की आदत से परेशान थी. भाभी से मेरा मजाक का रिश्ता था. मैं भाभी को दिलासा देता तो उन्हें गले लगा लेता था.

दोस्तो, मेरा नाम देवा है, मेरी उम्र 27 साल है.

मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है. मैं दिखने में ना मोटा ना पतला … बस औसत हूँ.

मेरे लंड की लंबाई ज्यादा है और यह गोलाई में 3 इंच है.

हम तीन भाई हैं; मैं सबसे छोटा हूं.

मेरे बड़े भाई साहब गांव में रहते हैं.

मंझले भाई और भाभी अलग मकान में रहती हैं पर वे दोनों मेरे घर के बगल में ही रहते हैं.

मैं अपनी पत्नी व मम्मी पापा के साथ रहता हूँ.

मैं जनपद पंचायत में काम करता हूं.

मुझे एक 4 साल का बेटा और एक साल की बेटी है.

अब मैं एक सच्ची devar bhabhi ki chudai ki kahani बताने जा रहा हूँ.

यह Bhabhi Sex Story एक साल पहले की मेरी भाभी और मेरे बीच की है.

भाभी का नाम रिया है. वे 30 साल की हैं.

रिया भाभी और भाई साहब की शादी 2011 में हुई थी.

उनकी 3 बेटियां हैं.

भाई साहब को न जाने कैसे गांजा पीने की लत लग गई.

भाभी को उनकी गलत आदत के चलते चिंता होने लगी थी कि 3 बेटियों की पढ़ाई आदि कैसे होगी और उनकी शादी कैसे होगी.

बस भाईसाब को अब हर वक्त गांजा चाहिए होता था.

इसी वजह से भाभी सोचती रहती थीं कि गांजा पीने से उनके पति की दिमागी हालत कमजोर हो गई है.

ऐसे में भाईसाब शायद Bhabhi ki Chudai भी नहीं करते थे.

इन्हीं सब कारणों से भाभी जी बहुत परेशान रहने लगी थीं.

मेरी अपनी भाभी से थोड़ा बहुत मजाक होता रहता था.

हम दोनों मजाक में इतने बिंदास हो जाते थे कि मैं कभी कभी भाभी की गांड पर हाथ भी मार दिया करता था.

वे हंस कर टाल देती थीं.

मैंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं भाभी की चुदाई करूंगा.

एक बार मैंने देखा कि वह काफी उदास थीं.

मैं समझ गया था कि भाभी अपने पति की गांजा पीने की आदत से दुखी हैं.

भाभी की हंसमुख वाली बात खत्म हो गई थी.

यह देख कर मुझे बहुत दुख हुआ.

उन दिनों मेरे गंजेड़ी भाईसाब बड़े भैया के पास गांव में रह रहे थे.

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उनका गांव में ही किसी वैद्ध से देसी इलाज चल रहा था.

उस दिन मैंने उनसे कहा- भाभी, इस तरह से उदास रहने से क्या होगा.

आप खुद को खुश रखने की कोशिश कीजिए.

वे मेरी बात सुनकर रोने लगीं.

मैंने उन्हें चुप कराने के उद्देश्य से उनको थपथपाया और उनकी पीठ पर हाथ फेर कर उन्हें दिलासा देने का प्रयास किया.

उस वक्त तक मेरे मन में भाभी के लिए एक बार भी कोई गलत विचार नहीं आया था.

भाभी की रुलाई मुझे हद से ज्यादा द्रवित कर रही थी.

मैंने उन्हें अपनी बांहों का सहारा देते हुए कुछ अपने करीब खींचा तो वे मेरे सीने से लग गईं.

वे मेरे सीने से जैसे ही लगीं, मेरे अन्दर एक अजीब सी कशिश जाग उठी.

उनके ठोस दूध मेरे सीने में गड़ रहे थे.

उस वजह से न जाने क्यों मेरे लंड में तनाव आने लगा.

अब लंड तो लंड है … उसमें दिमाग तो होता नहीं है.

बस चुत या चूची की गर्मी पाई और लंड ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया.

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लंड के तनाव को शायद भाभी ने भी महसूस कर लिया था.

वे एक पल को मुझसे जरा अलग सी हुईं पर अगले ही पल वे मेरे सीने को और जोर से भींच कर चिपक गईं.

हालांकि भाभी ने कुछ कहा नहीं, पर मेरी समझ में आ गया था कि भाभी को मेरे लंड से कुछ हुआ जरूर है.

कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए और मैं घर से बाहर निकल आया.

उस दिन सारे दिन मेरा मन नहीं लगा और शाम को मैं बाजार चला गया.

न जाने मेरे दिमाग में क्या आया कि मैंने सेक्स की गोली की खरीद लीं.

बाद में बाजार से लौटते समय बीवी का फोन आया तो सब्जी भी ले ली.

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अब मैं घर लौट आया.

उस रात को मैंने अपने एक दोस्त के साथ शराब पी और लगभग दस बजे तक घर लौट आया.

खाना खाने के बाद मैंने सेक्स की गोली खा ली.

मेरे दिमाग में भाभी के ठोस दूध ही चल रहे थे और मन में चुदास ने आक्रमण कर रखा था.

फिर रात को जैसे ही मैंने अपनी पत्नी को चुदाई शुरू की तो उसका अचानक से पीरियड होना शुरू हो गया.

मेरे लौड़े की वाट लग गई थी, चुत चुदाई बंद हो गई.

वह तो गांड दिखा कर सो गई.

पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.

मैं सोच रहा था कि क्या करूं.

साला लंड लोहे जैसा खड़ा था.

दिमाग में सेक्स चढ़ गया था.

मुझे उस वक्त अपने खड़े लंड के लिए एक चूत की सख्त जरूरत थी.

तभी मन में भाभी की चुदाई करने की बात आई और मैं बाहर चला गया.

मैंने फिर से शराब पी और लौटने के बाद एक और सेक्स की गोली खा ली.

अब मेरे ऊपर सेक्स फुल पावर पर आ गया था और बस आंखों में भाभी की चूत दिखाई दे रही थी.

मैंने रात को एक बजने का इंतजार किया, फिर देखा कि सब लोग सो रहे हैं.

मैं धीरे‌ से उठा और अपनी अंडरवियर और बनियान को उतार दिया; बस एक गमछा पहन लिया.

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फिर धीरे से दरवाजा खोल कर बाहर निकल आया और दरवाजा बंद कर दिया.

अब मैं भाभी के कमरे के पास गया.

वे अपने कमरे का दरवाजा लॉक नहीं करती थीं.

मैंने दरवाजे को थोड़ा सा धक्का दिया, तो वह खुल गया.

मैं अन्दर चला गया और भाभी के बाजू में लेट गया.

भाभी पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर सोई थीं.

शायद वे अब पैंटी नहीं पहनती थीं.

मैंने अपना गमछा निकाल दिया और अब मेरा लंड खड़ा था.

वह गोली खाने के बाद और भी मोटा हो गया था.

लंड भाभी की गांड में टच कर रहा था.

अचानक से भाभी उठ गईं.

शायद पहले वे मेरे लम्बे और मोटे लंड को नहीं देख पाई थीं.

मैंने गमछा यूं ही ऊपर से डाल दिया था.

वे उठकर भड़क कर उठीं और बोलीं- यह क्या कर रहे हो आप?

मैं बोला- मुझे माफ कर देना भाभी!

फिर मैंने उनको बताया कि कैसे बीवी का पीरियड आ गया.

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मैंने यह नहीं बताया था कि मैं जोश वाली गोली खा कर आया हूँ.

मैंने सीधे सीधे कह दिया कि भाभी बस आज एक बार चुदाई कर लेने दो.

वे बोलीं- पागल हो गया है क्या?

मैं यह सब नहीं करती.

उन्हें मनाते हुए मुझे तकरीबन आधा घंटा हो गया, वे फिर भी नहीं मान रही थीं.

मैंने अपना गमछा निकाल दिया, तो वे मेरा लम्बा और मोटा लंड देख कर हैरान हो गईं.

अब वे अपने गालों पर हाथ रख कर बोलीं- उई मां … नहीं … मैं इतना मोटा नहीं ले सकती हूँ.

उनकी इस बात से मुझे समझ आ गया था कि ये लंड लेने को तो राजी हैं, बस जरा नखरे कर रही हैं.

अब मैंने उनको अपनी बांहों में खींचा और उन्हें चूमने लगा.

वे मुझे मना कर रही थीं मगर मुझसे छूटने की कोशिश नहीं कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने उनके होंठों से अपने होंठ लगा दिए और उन्हें चूमने लगा.

वे अपने होंठ मेरे होंठों में घुसेड़े हुई तो थीं, पर हटाने का कोई उपक्रम नहीं कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने अपनी जीभ भाभी के मुँह में घुसेड़ दी तो वे मेरी जीभ को चूसने लगीं.

उनकी वासना भड़कने लगी थी.

मैंने उसी समय अपना एक हाथ उनके एक दूध पर रख दिया और दूध दबाने लगा.

वे और ज्यादा कामुक होने लगीं.

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भाभी मेरे मुँह से मुँह हटा कर कहने लगीं- लाला, आज मेरी प्यास बुझा दो.

वे मुझसे लला कहती थीं.

गांव देहात में अभी भी भाभियां अपने देवरों से लला ही कहती हैं.

भाभी के मुँह से चुदाई की बात सुनते ही मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए और उन्हें बिस्तर पर लेटा दिया.

कुछ देर तक मैंने उनके दोनों दूध बारी बारी से चूसे और उनकी चूचियों को लाल कर दिया.

भाभी भी मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाती हुई मुझसे चूसने की बात कह रही थीं.

कुछ देर तक चूचियों से खेलने के बाद मैं उनकी चूत में उंगली डाल कर चुत को कुरेदने लगा.

वे आह आह करने लगीं तो मैं चूत को चाटने लगा.

अपने एक हाथ से मैं उनकी चूचियों को भी दबाने लगा.

भाभी ने महीनों से अपनी चुत नहीं चुदवाई थी तो उन्हें जल्दी ही जोश आ गया.

वे प्यासी कुतिया सी कूं कूं कर रही थीं और लंड चुत कांड करने का इशारा कर रही थीं.

कुछ देर बाद भाभी अपनी गांड उठाती हुई मेरा साथ देने लगीं और उठ कर 69 में आ गईं.

अब वे मेरे लंड को चूसने लगीं और कहने लगीं कि अब चाहे मेरी चूत ही क्यों न फाड़ दो, पर मुझे चोद दो.

मैंने कहा- मैंने गोली खाई हुई है भाभी … आज आपकी चुत का भोसड़ा बना दूंगा.

वे हंस कर बोलीं- लला, तुम्हारा तो वैसे ही लंबा और मोटा है और ऊपर से तुमने गोली भी ली हुई है … आज तो पक्का मार ही डालोगे.

बस इतना ख्याल रखना कि आज फाड़ दोगे तो कल से यह छेद नहीं मिलेगा.

मैंने कहा- मैं आपकी चुत को फाड़ूँगा तो नहीं, पर गड्डा जरूर बना दूंगा.

वे कहने लगीं कि चुत को गड्डा बना दोगे, तो आगे से मजा नहीं आएगा!

मैंने कहा- जब आगे से मजा नहीं आएगा … तो पीछे से मजा ले लूँगा!

वे हंसने लगीं.

अब हम दोनों वापस 69 की पोजीशन में आ गए.

चुत चुसवाने से वे झड़ गई थीं.

पर मैं नहीं झड़ा.

काफी देर तक लंड चुसवाने के बाद मेरा रस टपका, पर लंड खड़ा ही रहा.

अब मैंने भाभी को इशारा किया तो वे चुदवाने पोजीशन में लेट गईं और उन्होंने अपने पांव ऊपर की ओर उठा लिए.

मैंने एक तकिया उनकी गांड के नीचे लगा दिया तो उनकी चूत का मुँह अपने आपसे खुल गया.

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उसे देख कर साफ समझ आ रहा था कि भाभी की चुत खुद ही भोसड़ा बनने को मचल रही थी.

मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाकर डालना शुरू कर दिया.

वे आह आह आह करने लगीं.

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किसी तरह से पूरा लंड अन्दर पेल कर मैं भाभी की चुदाई करने लगा.

बड़ी भाभी चुदाई का मजा लेती हुई बस आह आह करती रहीं.

काफी देर की चुदाई के बाद मेरा काम खत्म हुआ.

इस बीच वे दो बार और झड़ गई थीं और उनकी हालत काफी खराब हो गई थी, चूत का भोसड़ा बन गया था.

चुत फैल गई थी तो बहुत बड़ा होल दिख रहा था.

भाभी की चुदाई करने के बाद मैं वापस अपने कमरे में आकर सो गया.

पर साला गोली का असर अभी तक खत्म नहीं हुआ था.

इसलिए रात में फिर से भाभी के पास गया और उनके ऊपर चढ़ गया.

मैंने रात भर sagi bhabhi ko choda, वे रोने लगीं और कहने लगीं- अब जाओ वर्ना मैं चिल्ला दूँगी.

मैंने उनके मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उन्हें चोदता रहा.

बाद में मैं वापस अपने कमरे में आकर सो गया.

अब जब भी मेरी या उनकी इच्छा होती है, तो हम दोनों चुदाई का मजा ले लेते हैं.

आपको मेरी बड़ी Bhabhi ki chudai Kahani कैसी लगी, प्लीज मुझे जरूर बताएं.

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