चूत की प्यास अपने ममेरे लड़के से बुझाई – Bhai Bahan ki Chudai ki Kahani
bhai bahan ki chudai ki kahani में ममेरे भाई बहन की चुदाई करवा दी. मेरा ब्रेकअप होने के बाद से मुझे लंड नहीं मिला था. मेरे मामा का बेटा हमरे घर आया तो मैंने उसके लंड का मजा लेने की ठानी.
दोस्तो, मेरा नाम स्मृति है। मेरी उम्र 27 साल है।
मैं गोरी, चिकनी और परफेक्ट फिगर वाली लड़की हूँ।
मेरा साइज़ 32-28-36 है।
मेरा लोअर एरिया बहुत सेक्सी है; गोल जाँघें और भारी हुई गांड है।
कोई भी देखे तो उसका मन मेरी गांड मारने का कर जाए।
मेरे घर में मैं, पापा, मम्मी और भाई रहते हैं।
ये bahan ki chudai kahani मेरी पहली और सच्ची कहानी है।
एक बार भाई, मम्मी और पापा को दिल्ली में शादी में जाना था।
तो उन्होंने मामा के लड़के को घर पर रहने के लिए बुला लिया, जो मुझसे 3 साल छोटा था और अभी पढ़ाई कर रहा था।
वो मेरी बहुत रिस्पेक्ट करता है।
तो दोस्तो, मेरा कजिन आ गया।
शाम को सबको निकलना था, वो लोग निकल गए।
हम लोग भी डिनर करके मैं अपने रूम में और वो भाई के रूम में सोने चले गए।
दोस्तो, मुझे सेक्स किए हुए 8-10 महीने हो गए थे, जब मेरा बॉयफ्रेंड हुआ करता था।
मेरा ब्रेकअप हो गया था।
तो मैं अपनी प्यास खुद से बुझा लिया करती थी।
जब भी मन करता, पॉर्न मूवी देख-देखकर चूत में उंगली करके अपना काम चला लेती थी।
तो आज भी मेरी अन्तर्वाशना जागी, मेरा मन हुआ।
मैंने गेट बंद किया और पूरी नंगी होकर पॉर्न देखने लग गई।
मैं धीरे-धीरे अपनी चूत को सहला रही थी और मैं मस्ती में डूब रही थी।
रूम में बिल्कुल अंधेरा था लेकिन मेरे रूम के बाहर एक लाइट जल रही थी जिससे खिड़की से हल्की रोशनी आ रही थी।
अचानक मैंने देखा कि किसी की परछाई खिड़की से दिखाई दे रही थी, जैसे कोई बाहर खड़ा हो।
मेरी तो हालत खराब हो गई।
मैंने कहा, “कौन है वहाँ?”
वो फिर भी नहीं हिला।
मैंने जल्दी से अपनी नाइटी लपेटी और उसकी डोरी बांधी।
पैंटी और ब्रा को तकिए के नीचे छुपाया और कजिन के रूम में नॉक किया।
वो आया।
मैंने उसे बताया।
हम दोनों बाहर गए देखने, तो वहाँ कोई नहीं था।
फिर भी मुझे डर लग रहा था।
मैंने कहा, “भाई, तुम मेरे रूम में सो जाओ, मुझे डर लग रहा है।”
उसने कहा, “ठीक है, चलो!”
तब मैंने देखा मेरे आधे बूब्स दिख रहे थे, क्योंकि मैंने बस ऊपर से नाइटी बांधी थी, अंदर कुछ नहीं पहना था।

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मेरी गीली चूत भी डर के मारे सूख चुकी थी।
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अब हम दोनों लेट गए।
उसने निक्कर और बनियान पहनी थी।
शायद अंडरवियर नहीं पहना था क्योंकि उसका लंड दिख रहा था।
हम दोनों कुछ देर बातें किए, फिर सो गए।
रात में मैं बाथरूम के लिए उठी तो देखा उसका लंड खड़ा था जो निक्कर के अंदर से ही मोटा और लंबा दिख रहा था।
मेरे अंदर उसे देखकर अजीब सी चिंगारी दौड़ पड़ी।
मैं बाथरूम गई, वहाँ से आई और वापस लेट गई।
मेरे दिमाग में शरारत चलने लगी कि कैसे इस लंड से अपनी आग बुझाऊँ क्योंकि मेरी चूत का पानी भी आज नहीं निकल पाया था और कई महीनों से मैं लंड की भूखी थी।
लेकिन मुझे ये काम उससे करवाना था।
तब मैंने सोचा कि मैं उसके पैर की साइड मुँह करके सो जाती हूँ, जिससे मेरी नाइटी के अंदर का नजारा उसे दिख जाएगा क्योंकि मैंने पैंटी नहीं पहनी थी।
मैंने ऐसा ही किया।
मैं उसके मुँह की साइड अपना पैर करके, उसके लंड से अपनी गांड को रगड़ रही थी।
अब मेरी चूत में भी गीलापन आ चुका था।
लेकिन उसने कोई रिस्पॉन्स नहीं किया।
मैंने अपनी दोनों टाँगें फैला दीं, एक उसके ऊपर रख दिया और एक नीचे बेड पर, जिससे मेरी नंगी जाँघें साफ दिखाई दे रही थीं।
मैंने जानबूझकर उसे एक पैर से हिलाया, जो उसके ऊपर रखा था, ताकि वो उठ जाए।
मैं सोने का नाटक कर रही थी।
अब वो उठा, उसने मेरी टाँग को नीचे रख दिया।
लेकिन इन सबमें मेरी नाइटी, जो सिल्की थी, वो ऊपर जाँघों तक आ गई थी, जिससे मेरी गोल-गोल जाँघें साफ दिख रही थीं और शायद उसे चूत के भी दर्शन हो रहे होंगे, अगर ध्यान से देखा हो.
क्योंकि रूम में हल्की-हल्की रोशनी आ रही थी।
मैं जानबूझकर पेट के साइड होकर उल्टा लेट गई, जिससे उसे लगे कि मैं नींद में ऐसी हरकतें करती हूँ।
अब मेरी नाइटी मेरी गांड तक आ चुकी थी।
मैंने चुपके से देखा, वो बैठकर मेरी गांड को घूर रहा था, जहाँ से मेरी गांड और चूत दोनों दिख रहे थे।
कुछ समय ऐसे ही बीता।
मैं अंदर ही अंदर सोच रही थी, “अब ये आगे बढ़े, आगे बढ़े!”
अचानक उसका हाथ मैंने अपनी टाँगों पर महसूस किया।
अब मैं समझ गई थी कि मेरा काम हो गया है।
अब बस मुझे सोने का नाटक करके मजा लेना है।
उसने मेरी टाँगों को सहलाते हुए जाँघों को सहलाने शुरू किया।
इससे मेरी चूत गीली हो चुकी थी।
बहुत दिन बाद किसी मर्द का हाथ टच हो रहा था।
फिर उसने मेरी नाइटी को मेरी कमर तक सरका दिया।
अब मेरी गांड पूरी तरह खुली थी।
वो दोनों हाथों से मेरी गांड को सहला रहा था।
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मैं पूरा मजा ले रही थी लेकिन उसे ये पता नहीं था।
उसने एक उंगली से मेरी गांड के छेद को सहलाया।
अब वो जोर-जोर से दोनों हाथों से मेरी गांड को मसल रहा था, जो बहुत सॉफ्ट-सॉफ्ट है।
तभी मैंने अपनी गांड पर कुछ गीला-गीला महसूस किया।
वो उसकी जीभ थी जिसे वो मेरी गांड पर घुमा रहा था और दोनों कूल्हों को चूस रहा था, जैसे कोई आम चूसता है।

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मैं पूरा मजा ले रही थी चुपचाप।
वो बीच-बीच में गांड की गली में अपनी जीभ डाल देता, कभी गांड के छेद पर अपनी जीभ फेर देता।
इससे मैं समझ गई थी कि ये भी खिलाड़ी है।
तभी मैं जानबूझकर हिलने-डुलने लगी जिससे उसे लगे कि मुझे नींद में कुछ महसूस हो रहा है लेकिन मैं नींद में हूँ।
मैं देखना चाहती थी कि वो मेरे साथ और क्या-क्या कर सकता है।
मैंने अपनी एक टाँग को मोड़ लिया जिससे मेरी चूत साफ दिखने लगी जो मैंने अभी दो दिन पहले ही वैक्स करवाई थी।
तो मेरी चूत भी एकदम चिकनी थी।
वो बिल्कुल खुल गई और थोड़ा सामने हो गई।
अब वो इसका फायदा उठाकर अपनी जीभ को गांड की गली से होते हुए चूत तक ले आ रहा था।
उसने मेरी नाइटी को, जो आगे से बंधी थी, खींचकर खोल दिया, जिससे नाइटी पूरी खुल गई और मेरे बूब्स भी आजाद हो गए।
अब उसने मेरी चूत को, जो नीचे थोड़ी दबी हुई थी, उसे अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया, जो पूरी गीली हो चुकी थी।
वो चूत के अंदर भी अपनी जीभ को घुसा रहा था।
अब मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, मुझसे रहा नहीं जा रहा था।
मैं इंतजार कर रही थी कि कब ये अपना लंड मेरी चूत में डाले।
लेकिन वो बस चाटे ही जा रहा था।
कभी गांड, कभी चूत को चूसता।
अब मेरी चूत का पानी निकल रहा था।
वो उसे भी चाटकर पी गया।
तभी मुझे अपनी गांड पर गर्म-गर्म महसूस हुआ।
मैं समझ गई कि ये उसका लंड है।
वो उसे मेरी गांड पर रगड़ रहा था, जो लंबा और मोटा लग रहा था।
मेरी चूत उसे लेने के लिए पूरी तरह तैयार थी।
लेकिन वो था कि अंदर नहीं कर रहा था।
बस ऊपर-ऊपर से अपना लंड घुमा रहा था।
शायद वो भी डर रहा था कि कहीं मैं जाग न जाऊँ और वो पकड़ा जाए।
इस डर से अंदर नहीं डाल रहा था।
अब मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था।
मुझे लगा कि मुझे ही कुछ करना पड़ेगा।
तभी वो फिर से मेरी गांड को चूसने-चाटने लगा।
मैं मौका देखकर, जो पेट के साइड लेटी थी, पलटकर पीठ के साइड हो गई।
वो जो मेरी गांड पर अपना मुँह करके चाट रहा था, वो मेरी टाँगों से टकराकर नीचे गिरने लगा।
उसने गिरने से बचने के लिए मेरी टाँग को जोर से पकड़ लिया।
मैं चिल्लाकर उठ गई।
मैंने देखा कि वो पूरा नंगा मेरे सामने पड़ा था।
उसका लंड, जो 7 इंच लंबा रहा होगा, वो खड़ा था मेरे सामने!
और मैं भी उसके सामने पूरी नंगी थी।
मेरी नाइटी जो पीछे लटकी हुई थी।
मैंने नाटक करते हुए उससे जोर से पूछा, “क्या है ये सब?”
वो चुप रहा।
फिर मैंने पूछा, “क्या है ये? बोलो!”
उसने कहा, “दीदी, सॉरी!
मैं सो रहा था।
अचानक से उठा तो देखा आपकी गांड और चूत मेरे सामने खुली हुई थी।
ये सब देखकर मैं कंट्रोल नहीं कर पाया।
मैं काफी देर से इन्हें चूस-चाट रहा हूँ।
सोचा कि आपको पता नहीं चलेगा।
तभी आप पलटीं, आपकी टाँग मेरे मुँह पर पड़ी और मैं गिरने लगा।
तो बचने के लिए मैंने आपकी टाँग पकड़ ली और आप उठ गए।
सॉरी दीदी!”
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मैंने कहा, “तुमने मुझे किसी लायक नहीं छोड़ा।
मैं किसी को क्या मुँह दिखाऊँगी?”
उसने तुरंत कहा, “दीदी, लेकिन यहाँ मैं और आप, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगा। आप भी प्लीज किसी को कुछ मत कहना!”

तभी मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी, जो अब ढीला पड़ चुका था।
मैंने सोचा, कहीं मेरा काम खराब न हो जाए।
मैंने उससे कहा, “मुझे प्रॉमिस करो, तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे!”
उसने कहा, “प्रॉमिस दीदी!” और कान पकड़कर सॉरी बोलने लगा।
मैंने उसका हाथ पकड़ा, अपने पास खींचा और कहा, “कोई बात नहीं।
अगर मेरा प्यारा भाई का मन किया, तो कर लिया।
ऐसे मायूस नहीं कर सकते उसे हम!”
इतना कहकर मैंने उसे हग कर लिया।
वो मेरे बूब्स के बीच में चिपका हुआ था।
उसका लंड मेरे पेट से सटा हुआ था, जो अब फिर से टाइट होकर खड़ा हो गया था।
मेरी भी आग अब डबल हो चुकी थी उसे चिपककर।
फिर मैंने अपने बूब्स उसके मुँह में दे दिए।
अब वो मस्ती से मुँह में भरकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरे बूब्स को दबाने लगा।
तभी मैंने उसके लंड को पकड़ लिया, जो एकदम सख्त हो चुका था और बिल्कुल गर्म था।
फिर मैंने उसे हाथों से रगड़ना शुरू किया।
अब वो और जोर-जोर से मेरे दोनों बूब्स को चूसने लगा।
मैं भी आहें भरने लगी।
मैं उसे ऐसे ही लेकर लेट गई।
अब वो मेरे ऊपर था और मैं नीचे।
उसका लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था।
मैं तो पागल हुई जा रही थी, जो महीनों की प्यास थी, वो आज बुझने वाली थी।
फिर मैंने उसे नीचे पटका और उसके ऊपर चढ़ गई।
हम दोनों किस करने लगे।
मैं एक हाथ से उसके लंड को रगड़ रही थी।
मैं अब उसके पूरे बॉडी को चूमना शुरू किया और फिर उसके लंड को मुँह में ले लिया, लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
वो एक हाथ से मेरी गांड को दबा रहा था।
मैंने उसका लंड पूरा मुँह में भर लिया था।
वो उछल-उछलकर मजा ले रहा था।
तभी मैंने अपनी चूत उसके मुँह पर रख दी और हम दोनों 69 के पोज में हो गए।
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वो मेरी चूत चूस रहा था, मैं उसका लंड।
वो मेरी गांड में अपनी नाक घुसाकर चूत चूस रहा था।
फिर अपनी जीभ मेरी चूत के अंदर डालकर जीभ से मुझे चोद रहा था।
तभी उसने अपनी जीभ मेरी गांड के छेद पर घुमाने लगा और एक उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी।
मैं भी उसके लंड को और टट्टों को पूरा मुँह में ले रही थी।
कुछ देर हमारा ऐसा ही चला।
फिर मैंने उससे कहा, “चल बेटा, अपना ये लंड डाल दे अपनी दीदी की चूत में।
अब रहा नहीं जा रहा!”
वो फटाफट उठा और मुझे नीचे लिटाया, मेरे ऊपर आ गया, अपना लंड मेरी चूत पर रखा, जो पूरी गीली थी, उसके चाटने की वजह से और गीली थी।
उसके एक ही धक्के में पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
अब वो घपाघप धक्के लगा रहा था और मैं भी गांड उठा-उठाकर साथ दे रही थी।
हम दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे।
जबरदस्त चुदाई चल रही थी।
मैं आवाजें निकाल रही थी, “आआह्ह! ऊऊह्ह! ईईई! फक मी!”
वो उतनी ही जोर से झटके लगा रहा था।
उसका लंड मेरी चूत की जड़ तक जा रहा था।
फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और उसके ऊपर बैठ गई।
उसके लंड को अपनी चूत में डालकर राइड करने लग गई।
जिससे मेरी गांड फट-फट की आवाज कर रही थी।
चूत गीली थी, तो उसमें से भी फच-फच की आवाज आ रही थी।
पूरे रूम में फच-फच, फट-फट, आह्ह्ह्ह, ऊह्ह्ह्ह, ईईईई की आवाजें आ रही थीं।
उसने मेरे दोनों बूब्स पकड़कर नीचे से शॉट मारना शुरू कर दिया, जिससे लंड पूरा अंदर तक जा रहा था।
मैं उसे गाली भी दे रही थी, “चोद बहनचोद! चोद मुझे! और चोद! बुझा दे मेरी आग!”
मेरी चूत का पानी निकलने वाला था।
मैं और जोर-जोर से उछलने लगी।
फिर एक शानदार झटके से मेरी चूत का पानी निकल गया और मैं उसके ऊपर गिर गई।

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सारा पानी उसके लंड पर लगा, जिससे वो और आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था।
फिर उसने मुझे डॉगी स्टाइल में कर दिया और लंड एक झटके में अंदर डालकर घपाघप पेलने लगा।
उसके टट्टे मेरी चूत से रगड़ रहे थे और वो मेरी गांड को जोर से पकड़े हुए था, जिससे मैं आगे भी नहीं जा पा रही थी।
मेरे बूब्स नीचे लटके हुए आगे-पीछे झूला झूल रहे थे।
उसका लंड मेरी चूत का भोसड़ा बनाने में लगा था।
मैं फिर तैयार हो गई थी चुदने के लिए।
तभी उसने लंड को बाहर निकाला और चूत को चाटने लगा।
मैंने कहा, “ये क्या है बहनचोद?”
शायद उसका पानी निकलने वाला था।
उसने कहा, “कुछ नहीं दीदी!”
मैंने कहा, “अंदर डाल उसे!”
उसने वापस अंदर डाला और जोर-जोर से झटके मारने लगा।
उसकी स्पीड तेज हो चुकी थी।
फिर आखिरी में एक झटके से उसने लंड बाहर निकाला और सारा माल मेरी पीठ पर गिरा दिया।
फिर वो नीचे लेट गया।
मैं भी उसके बगल में लेट गई।
हम दोनों नंगे पड़े थे।
मैंने उससे पूछा, “क्यों बेटा, मजा आया?”
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उसने कहा, “दीदी, जन्नत का मजा आया!
इतना तो कभी नहीं आया, जितना आपके साथ मजा आया।
आपकी चूत, आपकी गांड का तो जवाब ही नहीं है।
कितना भी इनसे खेलो, मन ही नहीं भरता।
आपकी मखमली गांड तो मुझे अपना दीवाना बना दिया।
दिल करता है, बस उसी से खेलूँ!”
मैंने कहा, “अब ये मखमली गांड और चिकनी गुलाबी चूत सब तेरे ही हैं।
जब तेरा मन मरे, इनसे खेल सकता है!”
उसने कहा, “सच दीदी?”
मैंने कहा, “हाँ, सब तेरा माल है।
और अभी जब तक तू है, मैं कपड़े नहीं पहनूँगी।
तो कभी भी खेल सकता है!”
फिर हम दोनों उठे, पानी पिया और लड़के लड़की की बातें की।
मैंने उसके लंड को पकड़ा, सहलाया क्योंकि मैं चाहती थी कि और एक चुदाई का दौर हो जाए, जिससे मुझे आज सुकून की नींद आ जाए।
मैंने सहलाते हुए उसके लंड को मुँह में ले लिया।
वो मेरे मुँह में धीरे-धीरे बड़ा होता हो गया और पूरी तरह से फिर अपने मिशन के लिए तैयार था।
मैंने कहा, “बेटा, चल मेरी चूत को गीली कर पहले और शुरू हो जा!”
उसने ये सुनकर तुरंत नीचे लेटकर मुझे अपने मुँह पर बिठा लिया और चूत को चूसने लगा।
मैं उसके मुँह पर बैठकर चूत चुसवाने के मजे ले रही थी।
दोस्तो, मैं आपको बताना भूल गई, मुझे चूत चुसवाने में बहुत अच्छा लगता है।
अब चूत भी फिर से तैयार थी।
अब मैं नीचे आ गई, अपनी दोनों टाँगें उसके कंधे पर रख दी।
उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा, फिर झट से अंदर डाल दिया।
ऐसे हमने करीब 5 मिनट तक चुदाई की।
फिर मैंने उसे ऊपर से हटाया और बेड से नीचे उतरकर काउ पोज में चुदाई करवाई।
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फिर 15 मिनट की चुदाई के बाद वो मेरी चूत में ही अपना सारा माल निकाल दिया।
इस बार मैं तुरंत बाथरूम गई, टॉयलेट और उसे साफ किया।

फिर हम दोनों रात में ऐसे ही सो गए।
सुबह देर से उठे, तो देखा वो सो रहा था।
उसका लंड मुझे सलामी दे रहा था।
मैंने उसे किस किया और मैं उठी, फ्रेश हुई, ब्रश किया।
फिर नंगे ही ब्रेकफास्ट बनाया।
मैंने उसे उठाया।
वो मुझे ऐसे देखकर शरमा गया।
मैंने कहा, “शरमा मत बहनचोद! कल रात तूने इसे चोद-चोदकर भोसड़ा बनाया था!”
वो हँसने लगा।
वो भी फ्रेश होकर आया।
हम दोनों ने ब्रेकफास्ट किया।
दोस्तो, वो 3 दिन तक मेरे घर था।
मैं 3 दिन नंगी घूम रही थी।
उसका जब मन करता, आकर मुझसे खेलने लगता।
कभी मैं किचन में होती, तो पीछे से आकर गांड दबाने लगता, कभी चूसने लगता, कभी लंड डालने लगता।
कभी मैं सोफे पर टीवी देख रही होती, तो आकर चूत चाटने लगता।
मैं सुबह झाड़ू लगा रही थी।
चुपके से आकर पीछे से मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया, बिना बताए।
मेरी जान ही निकल गई।
ऐसे-ऐसे हम 3 दिन तक खाते-पीते, मजे लेते, चुदाई करते।
3 दिन कब बीत गये, पता ही नहीं चला।
फिर सब लोग आ गए।
वो अपने घर चला गया।
मैं उसे बहुत मिस कर रही थी।
लेकिन अब जब भी हम मिलते हैं, तो हम ऐसे ही चुदाई करते हैं।
तो ये रही मेरी 100% सच्ची bahan ki chudai kahani।
मुझे उम्मीद है कि आप लोगों को पसंद आई होगी।




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