मेरे जन्मदिन पर मुझे पापा ने चोदा भाग-2 – Papa Ne Choda
- By : Hindi Kahani
- Category : Father's daughter's fuck Stories

हाय फ्रेंड्स, अगर आपने इस कहानी का पहला पार्ट नहीं पढ़ा है, तो पहले उसे पढ़ लें(कहानी का पिछला भाग: मेरे जन्मदिन पर मुझे पापा ने चोदा – Papa Ne Choda)। उसमें मैंने बताया कि कैसे मेरे 19वें बर्थडे की पार्टी के बाद मेरा बॉयफ्रेंड राहुल मेरे साथ अकेला था, और हम इंटिमेट होने ही वाले थे कि पापा ने हमें रंगे हाथों पकड़ लिया।
पापा ने राहुल को घर भेज दिया और मुझे सजा देने की बात कही।
लेकिन उनकी सजा मारपीट नहीं, बल्कि मेरे साथ सेक्स करना था।
मैंने डर के मारे हामी भर दी, और पापा ने मेरी गांड पर बेल्ट मारी, मेरे बूब्स चूसे, और मेरी टाइट चूत को चाटा।
मैं मस्ती में डूब रही थी, लेकिन जब पापा ने मेरी वर्जिनिटी तोड़ने की बात की, तो मैंने मना कर दिया।
गुस्से में मैंने उन्हें धक्का दे दिया, लेकिन पापा ने मुझे पकड़ लिया और कहा कि मुझे डेढ़ घंटा उनका मन करने दूँ।
ये Baap Ne Choda कहानी का आखिरी पार्ट है, और ये ठीक वहीँ से शुरू होता है जहाँ पहला पार्ट खत्म हुआ था।
मैं बेड पर बैठी थी, मेरी साँसें तेज थीं, और मेरी चूत अभी भी गीली थी।
पापा के टच का अहसास मेरे शरीर में बिजली की तरह दौड़ रहा था।
मेरी मिनी स्कर्ट मेरी गांड को मुश्किल से ढक रही थी, और मेरा टाइट क्रॉप टॉप मेरे निपल्स को उभार रहा था।
मैंने जल्दबाजी में ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी, और मेरी चूत की शेप स्कर्ट के नीचे साफ दिख रही थी।
पापा मेरे सामने खड़े थे, उनका ब्लेजर और बेल्ट फर्श पर पड़े थे, और उनकी शर्ट के ऊपरी बटन खुले थे।
उनकी चौड़ी छाती पसीने से भीगी थी, और उनकी साँसें भारी थीं।
कमरे में मेरी सिसकारियों और उनकी साँसों की आवाज गूँज रही थी।
मैंने अभी-अभी पापा को धक्का दिया था, क्योंकि उन्होंने मम्मी को “रंडी” कहा था।
लेकिन पापा ने मुझे कमर से पकड़ लिया था, और अब वो मेरे और करीब थे।
पापा: (मेरे कान में फुसफुसाते हुए) अंजू, तू इतना ड्रामा क्यों करती है, मेरी रंडी?
तू तो जानती है कि तेरी चूत मेरे लंड के लिए तड़प रही है।
मैं: (काँपते हुए) पापा, प्लीज… ये गलत है।
मैं आपकी बेटी हूँ।
मम्मी को पता चला तो…
पापा: (हँसते हुए) मम्मी को क्या पता चलेगा?
उस ढीली चूत वाली रंडी को अब मेरे लंड से कोई मतलब नहीं।
लेकिन तू… तेरी ये टाइट चूत… इसे तो मैं आज चोद-चोदकर फाड़ दूँगा। (उन्होंने मेरी स्कर्ट के नीचे हाथ डाला और मेरी गीली चूत को जोर से मसला।)
उनकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसल रही थीं, और मेरी सिसकारी अपने आप निकल गई। “उह्ह…” मेरे होंठ काँप रहे थे।
मेरी चूत इतनी गीली थी कि उनकी उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थीं।
“चप-चप” की आवाज कमरे में गूँज रही थी।
मेरे दिमाग में राहुल का चेहरा आ रहा था—वो प्यारी स्माइल, जब उसने मुझे सीरियस रिलेशनशिप की बात की थी।
लेकिन मेरी चूत की गर्मी मुझे उसकी यादों से खींच रही थी।
मैं डर रही थी, लेकिन मेरा शरीर पापा के टच को रोक नहीं पा रहा था।
पापा ने मेरी मिनी स्कर्ट को एक झटके में उतार दिया।
मेरी गोरी, गोल गांड हवा में खुली थी, और मेरी चूत उनके सामने चमक रही थी।
मेरा क्रॉप टॉप पहले ही इतना टाइट था कि मेरे निपल्स बाहर उभर रहे थे।
पापा ने मेरा टॉप पकड़ा और उसे जोर से फाड़ दिया।
मेरे 32 इंच के बूब्स हवा में उछल पड़े, और मेरे निपल्स टाइट हो चुके थे।
“क्या मस्त चुचियाँ हैं, मेरी रंडी बेटी,” पापा ने कहा, और उनकी आवाज में एक गंदी भूख थी। उन्होंने मेरे बूब्स को दोनों हाथों से जोर-जोर से मसला, और मेरे निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगे।
“अह्ह… पापा… धीरे…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।

उनके दाँत मेरे निपल्स पर हल्के-हल्के काट रहे थे, और मेरी चूत से जूस टपकने लगा था। Baap Beti ki Chudai ki Kahani
पापा ने मेरे बूब्स को छोड़ा और मेरी टाँगें चौड़ी कीं।
“देख, मेरी रंडी, तेरी चूत कितनी गीली है।
ये तो मेरे लंड को बुला रही है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने अपना मुँह मेरी चूत पर रखा और मेरे छोटे से मोती को चाटने लगे।
उनकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, और वो उसे चूस रहे थे जैसे कोई भूखा शेर। “चप-चप… स्लर्प…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं।
“उह्ह… अह्ह… पापा…” मैं अपने होंठ काट रही थी, और मेरे हाथ उनके बालों को जोर से पकड़ रहे थे।
मेरी गांड अपने आप उठ रही थी, जैसे उनकी जीभ को और गहरा लेना चाहती हो।
मेरी चूत इतनी गीली थी कि मेरे जूस बेडशीट पर टपक रहे थे।
मैं मस्ती में डूब रही थी, लेकिन मेरे दिल में गिल्ट भी था।
मैं सोच रही थी कि मैं राहुल को कैसे मुँह दिखाऊँगी।
मैं: (हाँफते हुए) पापा… प्लीज… अब और मत तड़पाओ… बस… बस चोद दो मुझे…
पापा: (हँसते हुए) अरे, मेरी चुदक्कड़ बेटी, इतनी जल्दी है?
अभी तो तेरी चूत को और गर्म करना है।
तेरी इस रसीली चूत को चाट-चाटकर इसका सारा रस पी जाऊँगा।
उन्होंने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी।
उनका 9 इंच का लंड मेरे सामने था—मोटा, काला, और नसों से भरा हुआ, जैसे कोई लोहे का रॉड।
मैं उसे देखकर डर गई।
मेरी चूत टाइट थी, और मुझे यकीन था कि ये अंदर नहीं जाएगा।
पापा ने मेरे चेहरे पर अपना लंड रगड़ा, और उसका प्री-कम मेरे होंठों पर लग गया।
“चूस इसे, मेरी रंडी,” उन्होंने कहा।

“इसे गीला कर, ताकि तेरी चूत में आसानी से घुस जाए।”
मैं: (घबराते हुए) पापा, मैंने कभी ऐसा नहीं किया… मुझे डर लग रहा है…
पापा: (गुस्से में) डर को अपनी गांड में डाल, अंजू।
मुँह खोल, और मेरे लंड को चूस, वरना तेरी चूत को सूखा-सूखा चोद दूँगा।
मैंने डरते-डरते उनका लंड मुँह में लिया।
उसका नमकीन स्वाद मेरी जीभ पर फैल गया, और उसकी गर्मी मेरे मुँह में दौड़ रही थी।
पापा ने मेरे सिर को पकड़ा और मेरे मुँह में धक्के मारने लगे।
“ग्लक-ग्लक” की आवाजें गूँज रही थीं, और मेरा गला दब रहा था।
मेरी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन मेरी चूत और गीली हो रही थी।
मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरा शरीर मुझे धोखा क्यों दे रहा था।
पापा ने मेरे मुँह से लंड निकाला, और मेरे होंठों पर थप्पड़ मारा।
“क्या चूसती है, मेरी रंडी।
तू तो जन्मजात चुदक्कड़ है,” उन्होंने कहा।
पापा ने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टाँगें इतनी चौड़ी कीं कि मेरी चूत पूरी तरह खुल गई। “देख, मेरी रंडी, तेरी चूत कितनी टाइट है।
आज तो इसे फाड़-फाड़कर इसका भोसड़ा बना दूँगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ा, और उसका गर्म टिप मेरे मोती को छू रहा था।
मैं डर रही थी, लेकिन मेरी चूत उसे अंदर लेने को तड़प रही थी।
मैं: (रोते हुए) पापा, प्लीज धीरे… मैं वर्जिन हूँ… बहुत दर्द होगा…
पापा: (हँसते हुए) दर्द तो होगा, मेरी चुदक्कड़ बेटी।
लेकिन तू मेरी रंडी है, ले लेगी मेरे लंड को।
उन्होंने अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा।

“आह्ह्ह!” मैं चीख पड़ी।
मेरी चूत में जैसे आग लग गई थी।
उनका लंड सिर्फ आधा ही अंदर गया था, लेकिन मुझे लग रहा था कि मेरा शरीर फट जाएगा। पापा रुके और मेरे माथे पर हाथ फेरा।
“बस, मेरी रंडी, थोड़ा और,” उन्होंने कहा।
फिर उन्होंने एक और धक्का मारा, और उनका पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत में समा गया। “चट-चट… फच-फच…” की आवाजें गूँज रही थीं।
मेरी आँखों में आँसू थे, और मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
“अह्ह… उह्ह… पापा… धीरे…”
पापा ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया।
हर धक्के के साथ मेरी चूत में दर्द कम और मजा ज्यादा होने लगा।
“फच-फच… चट-चट…” की आवाजें तेज हो रही थीं।
मेरी गांड बेड पर रगड़ रही थी, और मेरे बूब्स हर धक्के के साथ उछल रहे थे।
पापा ने मेरे निपल्स को जोर से मसला, और मेरी चूत में और तेज धक्के मारे।
“ले, मेरी रंडी बेटी।
ले मेरे लंड को।
तेरी चूत को चोद-चोदकर इसका भोसड़ा बना दूँगा,” उन्होंने कहा।
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मैं: (सिसकारते हुए) पापा… आह्ह… और… और तेज…
मेरे मुँह से ये शब्द कैसे निकले, मुझे नहीं पता।
मेरी चूत अब दर्द की बजाय मजा ले रही थी।
पापा ने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाला।
“पट-पट” की आवाजें गूँज रही थीं, और मेरी गांड उनके धक्कों से लाल हो रही थी।
पापा ने मेरी गांड पर एक जोरदार चांटा मारा।
“क्या मस्त गांड है, मेरी रंडी।
इसे भी चोद-चोदकर फाड़ दूँगा,” उन्होंने कहा।
मैं सिसकारियाँ ले रही थी।
“अह्ह… उह्ह… पापा… चोदो मुझे…” मेरी चूत उनके लंड को चूस रही थी, और मैं मस्ती में डूब चुकी थी।
पापा ने मेरे बाल खींचे और मेरी चूत में और तेज धक्के मारे।
“ले, मेरी चुदक्कड़ बेटी।
तेरी चूत को मेरे लंड का गुलाम बना दूँगा,” उन्होंने कहा।
मेरे शरीर में एक गर्मी सी दौड़ रही थी।

मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ।
“पापा… मैं… मैं…” मैं चीखी, और मेरी चूत ने उनके लंड को जकड़ लिया।
मैं झड़ गई।
मेरे जूस उनकी जांघों पर टपक रहे थे, और मेरी साँसें इतनी तेज थीं कि मुझे लगा मैं बेहोश हो जाऊँगी।
पापा ने धक्के और तेज कर दिए।
“फच-फच… चट-चट…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं।
“बस, मेरी रंडी, अब तेरा बाप भी झड़ेगा,” उन्होंने कहा।
उन्होंने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे बूब्स पर अपना गर्म, चिपचिपा माल छोड़ दिया। “आह्ह…” उनकी साँसें तेज थीं।
मैं हाँफ रही थी, मेरी चूत दर्द और मजा दोनों से भरी थी।
मेरे बूब्स पर उनका माल चिपचिपा रहा था, और मेरी चूत से मेरे जूस टपक रहे थे।
पापा मेरे बगल में लेट गए और मेरे माथे पर हाथ फेरा।
“क्या चुदाई थी, मेरी रंडी बेटी,” उन्होंने कहा।
“तेरी चूत ने मेरे लंड को ऐसा मजा दिया कि मैं भूल गया कि तू मेरी बेटी है।”
मैं चुप थी।
मेरे दिमाग में सवालों का तूफान था।
मैंने अपने पापा के साथ सेक्स किया था।
ये गलत था, लेकिन मेरे शरीर को इतना मजा आया था कि मैं उसे नकार नहीं पा रही थी।
मैं सोच रही थी कि राहुल को कैसे मुँह दिखाऊँगी।
मम्मी को क्या पता चलेगा? और सबसे बड़ा सवाल—क्या मैं अब पापा को रोक पाऊँगी?
अचानक दरवाजे पर एक खटखट की आवाज आई।
मेरे दिल की धड़कन रुक गई।
“अंजू, तू ठीक है?”
ये भैया की आवाज थी।
पापा और मैं एक-दूसरे को देखने लगे।
मेरी साँस अटक गई थी।
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