मम्मी की सहेली को घर में चोदा – Aunty Sex Story
- By : Hindi Kahani
- Category : Sex Stories
Aunty Sex Story मेरी और मेरी मम्मी की सहेली की. जो एक दिन हमारे घर में आती है पर मेरी मम्मी घर में नहीं होती हैं. तो मैं मोके का फायदा उठाकर आंटी की चुदाई कर देता हु.
मैं मुकेश 21 साल का नौजवान लौंडा हूं।
मेरा मस्त हथियार 6 इंच लम्बा है, जो किसी भी चूत को मजा दे सकता है।
दीक्षा आंटी मेरी मम्मी की बहुत अच्छी सहेली है।
वो अक्सर मेरी मम्मी से मिलने हमारे घर आया करती थी।
वो हमारी फैमिली से अच्छी तरह से घुली-मिली हुई थी।
मैं भी आंटी से कई बार मिल चुका था।
ये Aunty Sex Story भी दीक्षा आंटी की है.
आंटी का हाथ फोन पकड़े हुए था।
आंटी चुप-चाप वीडियो देख रही थी।
अब आंटी पसीने में भीगने लगी थी।
तभी मैंने एक कदम आगे बढ़ाया, और आंटी का हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर रख दिया।
अब आंटी हाथ हटाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैं आंटी को हाथ नहीं हटाने दे रहा था।
मेरा तना हुआ लंड आंटी के हाथ में था।
आंटी गर्म हो चुकी थी।
अब मैंने मेरा पजामा नीचे सरका दिया और लंड बाहर निकाल लिया।
आंटी कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी।
बेचारी आंटी क्या करती?
वो अब मेरे लंड को मसलने लगी।
इधर वीडियो में धुआंधार ठुकाई हो रही थी।
आंटी अब पिघल कर पानी-पानी हो रही थी।
तभी मैंने हिम्मत दिखाई और आंटी को मेरी तरफ खींच कर उनके रसीले होंठों पर मेरे होंठ रख दिए।
अब मैं आंटी के होंठो को बुरी तरह से चुसने लगा।
आंटी कुछ घबराई सी लग रही थी।
उन्हें समझ में नही आ रहा था कि क्या किया जाए?
मैं तो आंटी के होठों को रगड़ कर चूस रहा था।
आंटी के जिस्म की परफ्यूम की महक मेरे लंड को तड़पा रही थी।
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अब हॉल में आउच आउच पुच्छ आउच आउच की आवाजे गूंजने लगी थी।
फिर आंटी भी आतुर होकर मेरे होठों को खाने लगी।
अब दोनो तरफ़ बराबर आग लग चुकी थी।
मैं आंटी के बोबे को दबाने लगा।
तभी आंटी मेरे हाथ हटाने लगी।
लेकिन मैं उनके बड़े-बड़े बूब्स को दबाता रहा।
इधर मैं आंटी के होठों को जम कर चूस रहा था।
अब मैंने सोचा अब और टाइम बर्बाद करने में फायदा नहीं है।
जल्दी से आंटी के भोसड़े में लंड पेल दूं।
तभी मैंने मोबाइल रखा, और आंटी को बैडरूम में ले जाने लगा।
तभी आंटी ने कहा: मुझे अब चलना चाहिए।
“आंटी, आप कहां जा रही हो?
सब कुछ तो तैयार है।
आप इस तरह से मेरे लंड को प्यासा छोड़ कर नहीं जा सकती हो।”
“मुकेश मैं थोड़े टाइम के लिए बहक गई थी।
लेकिन अब मैं संभल गई हूं।
देख मैं तेरी मम्मी की सहेली हूं, और हमारे बीच ऐसा-वैसा नहीं हो सकता है। ”


“आंटी आप हो तो मम्मी की सहेली तो आप मूझसे क्यों नही चुद सकती?”
“मुकेश, यार तू समझने की कोशिश कर।
मैं ये सब तेरे साथ नहीं कर सकती।”
“आंटी अब मैं बड़ा हो गया हूं, और अब मैं आपका दूध पीना चाहता हूं। आप मान जाओ।”
“कैसे मान जाऊ यार? जब तेरी मम्मी को पता चलेगा, तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगी?”
“किसी को कुछ पता नहीं चलेगा आंटी। आप चिन्ता मत करो।”
“नहीं मुकेश, मैं नहीं कर सकती यार।”
तभी आंटी जाने लगी तो मैंने आंटी का हाथ पकड़ा, और उन्हे मेरी बाहों में कस लिया।
अब मैं फिर से आंटी के होठों को चूसने लगा।
आंटी मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने आंटी को बुरी तरह से दबोच रखा था।
आंटी के हाथ में बेग ऐसे के ऐसे ही लटका हुआ था।
मैं आंटी के होंठों पर बची हुई लिपस्टिक को चूस रहा था।
मैं आंटी के परफ्यूम की खुशबु से पागल हो रहा था।
अब मैं मेरे हाथ आंटी की सेक्सी गांड़ पर जा पहुंचे और मैं आंटी की गांड सहलाने लगा।
अब तो आंटी को खुद को बचाना मुश्किल हो रहा था।
इधर मेरा लंड आंटी की चूत में घुसने के लिए कुलबुला रहा था।
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मैं आंटी को संभलने का भी मौका नहीं दे रहा था।
तभी मैं एक हाथ आंटी के पेटिकोट में घुसाने लगा।
अब आंटी सब कुछ भूल कर उनकी चूत बचाने की कोशिश करने लगी।
मैं आंटी को बहुत बुरी तरह से रगड़ रहा था।
तभी मेरा हाथ आंटी की चड्डी तक पहुंच चुका था।
अब आंटी मेरे हाथ को पकड़ कर बाहर खींचने लगी।
तभी मैंने आंटी को मेरा लंड पकड़ा दिया।
मैंने आंटी के पेटिकोट में फिर से हाथ घुसा दिया, और अबकी बार मेरे हाथ आंटी की चूत लग ही गई।
अब मैं आंटी की चूत मसलने लगा।
आंटी अब मेरा हाथ पकड़ते ही रह गई।
अब तो मेरे हाथ में आंटी की सबके कीमती चीज़ आ चुकी थी।

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अब मैं आंटी की चूत को बुरी तरह से मसल रहा था।
आंटी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी।
अब मैंने मौके की नजाकत को समझते हुए आंटी को बाहों में उठा कर बेडरूम में लाने लगा। तभी आंटी फिर से घबराने लगी।
“यार मुकेश रहने दे ना।
तेरी मम्मी को पता चल गया तो?”
“आंटी किसी को कुछ पता नही चलेगा।
अब आप आपकी जवानी को चखने का मौका दो।”
“यार फिर भी मुकेश।”
“आंटी आप घबराओ मत।
मैं आपको पूरा मजा दूंगा।
आप तो चुदवाने के लिए तैयार हों ना?”
तभी आंटी चुप हो गई।
मैं आंटी की खामोशी समझ गया।
तभी मैंने आंटी को बेड पर पटक दिया, और फिर जल्दी से आंटी की चड्डी खोलने लगा। लेकिन आंटी की चड्डी उनकी गांड के नीचे दबी हुई थी।
तभी मैंने आंटी से गांड ऊपर करने के लिए कहा।
तभी आंटी मुंह बिगाड़ कर मेरी तरफ देखने लगी।
“मर गई मैं तो आज।”
तभी मैंने फटाक से आंटी की चड्डी खोल कर फेंक दी।
अब चड्डी खुलते ही आंटी के चेहरे की भाव भंगिमाएं बदल चुकी थी।
अब उनका चुदना फिक्स हो चूका था।
अब मैं आंटी की टांगो को फैला कर उनके भोसड़े के खांचे में लंड लगा दिया।
आंटी का भोसड़ा काली घनी झांटो से ढका हुआ था।
“मुकेश, प्लीज धीरे-धीरे डालना। बहुत मोटा तगड़ा लंड है तेरा।”
“ठीक है आंटी, वैसे भी आपका तो भोसड़ा है। आराम से झेल लेगा मेरा लंड।”
तभी मैंने आंटी के भोसड़े में लंड पेल दिया। आंटी एक बार में ही चिल्ला पड़ी।
“आईईईईई मम्मी, आईएईई आईईईई आईईईई मरर्रर्र गईईईई ओह मम्मी। आईईईईई आईईईईई रोहित बाहर निकाल यार।”

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“आंटी अब तो मेरा लंड आपका पानी निकाल कर ही बाहर निकलेगा।”
अब मैं आंटी के भोसड़े में झमाझम लंड ठोकने लगा।
आंटी के भोसड़े में जा कर मेरे लंड को बहुत ज्यादा ठंडक मिल रही थी।
आंटी बहुत बुरी तरह से चीख रही थी।
“आईईईई आईईईई आह्ह आह्ह अहा ओह मम्मी, धीरे-धीरे, आह्ह आह्ह ओह आईईईई आईईईई।”
मैं ज़ोर-ज़ोर से आंटी के भोसड़े मे लंड पेल रहा था।
आंटी को चोदने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।
जोरदार ठुकाई से आंटी के चेहरे का मेकअप पसीने में बहने लगा था।
मेरे लंड के हर एक झटके से आंटी बहुत बुरी तरह से कराह रही थी।
मैं तो आंटी की जम कर ले रहा था।
“आईईईई आईईईई ओह आह्ह आहा आह्ह धीरे धीरे चोद रोहित, आह्ह आहाहा ओह बहुत दर्द हो रहा है यार। आईईईईई।”
“ओह आंटी आह्ह, बहुत मज़ा आ रहा है।
बहुत मस्त भोसड़ा है आपका। आह्ह।”
मैं गांड हिला-हिला कर आंटी को ताबड़-तोड़ चोद रहा था।
मैं आज मिले मौके का पूरा फायदा उठाना चाहता था।
तभी आंटी की चीखे रूक गई, और उनके भोसड़े से गरमा-गरम पानी का लावा फूट पड़ा।
“आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्स्स्स ओह्ह्ह्ह आईईईई मम्मी।”
“ओह्ह्ह्ह आंटी बहुत मजा आ रहा है। आहा।”
“आह्ह आह्ह उन्ह ओह आहाहाह आईईईई आह्ह आह्ह आईईईई आह्ह आह्ह आह्ह।”
फिर मैंने आंटी को बहुत देर तक ऐसे ही ताबड़-तोड़ ठोका।
अब मैं बेड से नीचे उतर आया।
मैंने आंटी की टांगों को पकड़ कर उन्हे बेड के किनारे पर खींच लिया, और अब मैंने आंटी की साड़ी और पेटीकोट को खोल फेंका।
फिर मैंने आंटी की टांगे मेरे कंधो पर रख ली, और आंटी के भोसड़े में फिर से लंड जमा दिया। अब मैं आंटी के भोसड़े में फिर से लंड पेलने लगा।
“आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्सस्स आईईईई अह्ह्ह्ह्ह।”
“उह्ह्ह्ह मेरी रानी।
आह्हा बहुत ही कातिल माल है तू, आहा।”
“आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्सस्स अह्ह आईईईई ओह्ह्ह्ह मेरे सैया।”
“ओह्ह्ह्ह मेरी रानी, आह आह।”
मैं आंटी की टांगे कंधों पर रखकर उनके भोसड़े में झमाझम लंड की बारिश कर रहा था।
आंटी बुरी तरह से चुद रही थी।

ताबड़-तोड़ ठुकाई से अब आंटी का मेकअप फिर से बहने लगा था।
उनके जिस्म से परफ्यूम की खुश्बू की जगह अब भोसड़े के पानी की महक दौड़ रही थी।
“आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्सस्स आहा आईईईई मम्मी। आहा। ”
“ओह्ह्ह मेरी जान। आहा। उन्ह्ह्ह। ”
“आहा सिस्सस्स उन्ह्ह्ह आहा ओह्ह्ह्ह मम्मी। ”
“खूब बजाऊंगा आज तो तेरे भोसड़े को मेरी रानी। ”
“आहा आईईईई उन्ह्ह्ह बजा ले मेरे सैया। ”
मैं आंटी को बजाए जा रहा था।
जोरदार झटको से बेड भी चूड़ चूड़ करने लगा था।
तभी आंटी का पानी निकल आया।
अब मेरे लंड के तूफान से आंटी का पानी भोसड़े से नीचे गिर रहा था।
मैं आंटी को लपककर चोद रहा था।
“आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह आहा आईईईई। ”
“बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तुझे बजाने में। आहा। ”
“बजा ले साले तेरी रानी को। आहा आईईईई उन्ह्ह्ह आहा। ”
“हां मेरी रानी। बजा रहा हूं। ”
मैं आंटी के भोसड़े की जम कर खबर ले रहा था।
धमा-धम ठुकाई से आंटी का चिकना जिस्म पानी-पानी हो रहा था।
अब मैं रुक गया, और नीचे बैठ गया।
अब मैं आंटी के भोसड़े को चाटने लगा।
तभी आंटी के भोसड़े में आग सी लगने लगी।
“ओह्ह्ह्ह सिस्सस्स उन्ह्ह्ह्ह आहा।”
मुझे आंटी के झड़ते हुए भोसड़े को चाटने में बहुत मजा आ रहा था।
मैं आंटी के भोसड़े में जीभ डाल कर उनका रस पी रहा था।
आंटी बुरी तरह से सिरसिरा रही थी।
“ओह्ह्ह्ह सिस्सस्स आहा उन्ह्ह्ह साले कुत्ते, आहा सिस्सस्स, आह।”
फिर मैंने आंटी के भोसड़े को चाटने का बहुत मजा लिया।
अब मैंने आंटी को बेड से नीचे उतार लिया, और मैं बेड के किनारे पर बैठ गया।
अब मैंने आंटी से मेरी गोद में बैठ कर चुदने के लिए कहा।
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“यार तू बहुत पक्का खिलाड़ी है।”
“हां आंटी, तभी तो आप मेरा लंड ले रही हो।”

“हां मेरे सैंया।”
अब आंटी मेरी गोद में मेरी तरफ मूंह करके बैठ गई।
अब आंटी ने जल्दी से भोसड़े में लंड फंसा लिया।
अब आंटी मुझे बाहों में भर कर झटके लगाने लगी।
“आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह आहा आईईईई उन्ह्ह्ह आईईईई।”
“आहा बहुत मजा आ रहा है मेरी जान। आहा ऐसे ही झटके मार।”
“आहा आईईईई उन्ह्ह्ह ओह्ह्ह साले कुत्ते आहा क्या दिन आया है आज।
मैं तेरी गोद में बैठ कर चुद रही हूं। ”
“हां दीक्षा, लंड और चूत का रिश्ता ऐसा ही होता है।”
“आहा आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्सस्स अह्ह्ह् उन्ह्ह्ह्ह आहा आईईईई।”
आंटी जोर-जोर से धक्के लगा-लगा कर चुद रही थी।
अब झटकों से आंटी का ब्लाउज पसीने में लथ-पथ हो चुका था।
आंटी का मेकअप उनके चेहरे से बह रहा था।
तभी जोरदार झटको से आंटी का पानी निकल गया।
“आहा आईईईई सिस्सस्स उह्ह्ह्ह मम्मी गई मैं तो।”
“हां मेरी रानी।”
तभी आंटी ठंडी पड़ गई।
अब आंटी के झटके बंद ही चुके थे।
अब आंटी थक कर मुझसे लिपट गई।
“मेरी तो बस की बात नहीं है मुकेश।
तू ही बजा ले अब।”
“हां मेरी रानी।”
कहानी जारी रहेगी…




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