आशा की जवानी का दीवाना हो गया- College Sex Stories

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मैं अपनी कॉलोनी की दुकान में खड़ा था मैं वहां से कुछ सामान खरीद रहा था कि तभी मैंने सामने से आती हुई एक लड़की को देखा। उस लड़की को देख कर मुझे ऐसा लगा कि जैसे पहली नजर में ही मुझे उससे प्यार होने लगा है और मैं उसे एकटक नजर से देखता रहा।

शायद उसे यह बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी वह वहां से तो जा चुकी थी लेकिन उसकी तस्वीर मेरे दिमाग में पूरी तरीके से छप चुकी थी और मैं अब उस लड़की के बारे में जानना चाहता था लेकिन मुझे उसके बारे में अभी तक कुछ पता नहीं था उसके बाद वह मुझे काफी समय तक तो दिखाई नहीं दी।

एक दिन मेरी बहन और मैं अपने किसी रिलेटिव के घर जा रहे थे लेकिन तभी रास्ते में मुझे आशा दिखाई दी मैंने उसे देखा तो मेरी बहन मुझे कहने लगी कि लगता है आपको उस लड़की से प्यार हो गया है। मुझे नहीं मालूम था कि वह मेरी बहन की सहेली है लेकिन जब मेरी बहन ने मुझे आशा से मिलवाया तो मुझे आशा से मिलकर काफी अच्छा लगा उसके बाद भी हम लोग एक दूसरे से मिलते रहते थे।

हम लोग एक ही कॉलोनी में रहते थे इसलिए आशा और मेरी मुलाकात हो ही जाती थी आशा का परिवार कुछ समय पहले ही हमारी कॉलोनी में रहने के लिए आया था। मैं आशा के पापा मम्मी से कभी मिला नहीं था लेकिन एक दिन मेरी बहन मुझे आशा के घर पर ले गई और मेरी बहन ने मुझे आशा के मम्मी पापा से मिलवाया मुझे उन लोगों से मिलकर काफी अच्छा लगा और उन लोगों को भी मुझसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।

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एक दिन मैंने आशा को कहा कि मुझे तुम्हारे साथ डिनर पर जाना है तो आशा ने मुझे कहा कि मैं तुम्हें इस बारे में फोन पर बताऊंगी और उसके बाद आशा ने मुझे फोन पर इस बारे में बताया। आशा और मैं उस दिन डिनर के लिए साथ में गए जब हम दोनों डिनर के लिए उस दिन साथ में गए तो हम दोनों को काफी अच्छा लग रहा था।

मैंने आशा के साथ काफी अच्छा समय बिताया और आशा को भी मेरे साथ काफी अच्छा लगा हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी ज्यादा खुश थे। मुझे इस बात की काफी खुशी थी कि आशा और मैं एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिता पा रहे हैं। एक समय ऐसा आया जब आशा और मैं एक दूसरे से प्यार करने लगे और हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे लेकिन आशा के परिवार वालों को यह बात बिल्कुल भी मंजूर नहीं थी।

आशा के बड़े भाई ने मुझे एक दिन आशा के साथ देख लिया और वह इस बात से बहुत नाराज हुए और उन्होंने आशा को बहुत डांटा। मुझे आशा ने जब इस बारे में बताया तो मैंने आशा को कहा कि क्या तुम्हारे परिवार वालों को मुझसे कोई परेशानी है तो वह मुझे कहने लगी कि हां पापा और मम्मी को यह बात पता चल चुकी है और अब शायद हम दोनों की मुलाकात हो भी ना पाए।

आशा के बड़े भाई आशा पर पूरा ध्यान देने लगे थे और वह लोग उसे घर से भी कम ही बाहर निकलने दिया करते थे। मेरी बात आशा से फोन पर ही हो पाती थी लेकिन मैं उससे मिल नहीं पाता था। एक दिन मैंने आशा को कहा कि तुम किसी बहाने से मुझसे मिलने के लिए आ जाओ तो आशा ने घर पर बहाना बनाकर मुझसे मिलने की कोशिश की और फिर हम दोनों की मुलाकात हुई।

इतने समय बाद जब मैं आशा को मिला तो मैं काफी ज्यादा खुश हो गया और आशा भी बहुत ज्यादा खुश थी। उसने मुझे कहा कि शोभित आज तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लग रहा है इतने लंबे समय बाद तुमसे मेरी मुलाकात हो रही है और तुम्हारे साथ आज मुझे समय बिताना अच्छा लगा।

मैंने आशा को कहा कि हां मुझे भी तुम्हारे साथ आज समय बिताकर काफी अच्छा लगा। हम दोनों उस दिन साथ में ही थे हम दोनों हमारे घर से कुछ दूरी पर एक पार्क है हम दोनों वहां पर बैठे हुए थे और एक दूसरे से बातें कर रहे थे और हम दोनों को ही अच्छा लग रहा था। आशा भी बहुत ज्यादा खुश थी और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और उसके बाद आशा अपने घर चली गई।

आशा घर जा चुकी थी उसके बाद मैं आशा को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था हम दोनों को ही काफी अच्छा लगा जिस प्रकार से हम दोनों ने साथ में अच्छा समय बिताया और एक दूसरे के साथ इतने लंबे अरसे बाद हम एक अच्छा समय बिता पाए थे मैं बहुत ही ज्यादा खुश था।

आशा मुझसे फोन पर बातें किया करती और वह मुझसे चोरी छुपे ही मिला करती थी जब भी उसे मौका मिलता तो वह मुझसे मिल लिया करती थी और मुझे भी इस बात की बहुत ज्यादा खुशी थी कि आशा से मेरी मुलाकात हो जाया करती है। जब भी मेरी मुलाकात आशा के साथ होती तो मुझे बहुत ही अच्छा लगता और आशा भी काफी ज्यादा खुश होती थी जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिला करते। एक दिन आशा ने मुझे फोन करते हुए कहा कि मुझे तुमसे मिलना है मैंने आशा को कहा ठीक है। उस दिन आशा चोरी छुपे मुझसे मिलने के लिए आ गई।

जब वह मुझसे मिलने के लिए आई तो मुझे काफी ज्यादा अच्छा लग रहा था और आशा को भी बहुत अच्छा लग रहा था। हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा समय बिताया और उसके बाद आशा और मैं एक दूसरे से अक्सर मिला करते थे। हम दोनों एक दूसरे से चोरी छुपे मिला करते थे।

मैंने एक दिन आशा को अपने घर पर बुला लिया आशा मुझसे मिलने के लिए घर पर आई। जब वह मुझसे मिलने के लिए आई तो मैंने और आशा ने एक दूसरे के होंठों को चूम लिया। हम दोनों एक दूसरे के होठों को चूम कर बहुत ज्यादा खुश थे। मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था जिस प्रकार से मैं उसके होंठों का रसपान कर रहा था।

वह मेरी गर्मी को लगातार बढ़ाए जा रही थी। उसने मेरी गर्मी को इतना ज्यादा बढ़ा दिया था कि मुझसे एक पल के लिए भी रहा नहीं जा रहा था और ना ही आशा अपने आपको रोक पा रही थी। मैंने उसको कहा मुझसे एक पल के लिए भी रहा नहीं जा रहा है। वह मुझे कहने लगी अब तुमने भी मेरी तडप को पूरी तरीके से बढा कर रख दिया है। आशा की तडप बहुत ज्यादा बढ गई थी।

अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मैंने अपने मोटे लंड को बाहर निकाल कर अब उसे हिलाना शुरु किया। आशा को अच्छा लगने लगा था वह मेरे लंड को देखकर कहने लगी तुम्हारा लंड तो बहुत ही ज्यादा मोटा है। मैंने आशा को कहा तुम्हें इसे अपने मुंह में लेना होगा। आशा ने पहले तो मुझे मना किया और कहने लगी नहीं मुझे यह सब बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता लेकिन उसने अब मेरी बात मान ली और मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी।

मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से वह मेरे मोटे लंड को चूस रही थी। वह मेरे मोटे लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी तो मुझे अच्छा लग रहा था और आशा को भी मजा आने लगा था। हम दोनों की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी थी ना तो मैं अपने आपको रोक पा रहा था और ना ही आशा अपने आपको रोक पा रही थी। मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा था मैंने अब आशा की योनि के अंदर अपने लंड को डालने की कोशिश की लेकिन उसकी चूत बहुत ज्यादा टाइट थी। मुझे उसकी चूत को चाटकर उसकी चूत को चिकना बनाना पड़ा। मैंने आशा की चूत को पूरी तरीके से चिकना बना दिया था। उसकी चूत अब इतनी ज्यादा चिकनी हो चुकी थी कि वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और ना ही मैं अपने आपको रोक रहा था।

मैंने उसको कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर लंड को घुसाना चाहता हूं। आशा इस बात के लिए तैयार हो गई थी वह मेरे लंड को लेने के लिए तैयार हो चुकी थी। मेरा मोटा लंड आशा की चूत के अंदर जा चुका था। जब मेरा लंड आशा की योनि के अंदर गया तो मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लगने लगा और आशा को भी अब मजा आने लगा था वह अपने पैरों को खोलने लगी।

वह अपने पैरों को खोल रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था लेकिन उसकी चूत के अंदर से खून बाहर की तरफ को निकाल रहा था वह मेरी गर्मी को बढ़ाए जा रही थी। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था। मैंने जब ऐसा किया तो उसे मजा आने लगा और वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसाया।

मेरे लंड अंदर की तरफ जा चुका था और मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आने लगा था। वह उत्तेजित हो रही थी और उसकी गर्म सांसें मुझे और भी ज्यादा गर्म करने के लिए मजबूर कर रही थी। मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया। अब उसे मैं चोदने लगा। आशा मुझे कहती मुझे और तेजी से चोदते रहो मैंने आशा को बहुत तेजी से चोदा।

मेरा माल आशा की योनि में जा चुका था। मुझे मजा आ गया था वह कहने लगी आज मुझे मजा आ गया। आशा को चोदकर मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ गया और आशा को भी मजा आ रहा था मैने जिस प्रकार से उसके साथ सेक्स संबंध बनाए थे। उसके बाद भी मेरे और आशा के कई बार सेक्स संबंध बनते रहे। हम दोनों एक दूसरे को हमेशा ही संतुष्ट करने की कोशिश किया करते।

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