चंचल की चूत से खिलवाड़- Desi Sex Kahani

Desi Sex Kahani

मेरे घर में कभी भी कामवाली बाई रखने की ज़रुरत नहीं पड़ी थी क्यूंकि मैं सारा काम खुद ही कर लेता था, लेकिन एक दफे जब बीमार पड़ा तो मकान मालकिन ने फ़ोर्स कर के अपनी कामवाली बाई को भेज दिया।

वैसे मैंने कभी उस पर ध्यान नहीं दिया था लेकिन जब वो मेरे घर रोज़ काम करने आने लगी तो उस से बातचीत भी होती थी और वो मुझ बीमार की बातें बड़े ध्यान से सुनती और मेरा ख़याल भी रखती थी।

उसका नाम चंचल था और उम्र कुछ इक्कीस बाईस बरस, छरहरे बदन और साँवले रंग की मालकिन चंचल बड़ा मटक मटक के काम करती थी और मुझसे हँस हँस के बातें करती थी।

एक दिन उस ने मुझसे कहा “आप शादी क्यूँ नहीं कर लेते, कोई तो होगा आपका ध्यान रखने वाला” मैंने मज़ाक में कहा “तू है न मेरा ध्यान रखने के लिए” तो हँसकर बोली “ये तो मैं रख लुंगी लेकिन और ध्यान भी तो रखना पड़ता है न एक मर्द का”।

मैं कुछ कहता उस से पहले ही वो मेरे लिए खाने की थाली ले आई, मैं खाना खाते खाते उसकी तरफ कनखियों से देख रहा था और वो टी वी देखते देखते कभी कभी मेरी तरफ देख रही थी।

मैंने पूछा “और ध्यान से तेरा क्या मतलब है चंचल” तो मुस्कुरा कर बोली “जैसा ध्यान बीवी रखती है” तो मैंने उस से पूछा “बीवी कैसा ध्यान रखती है” तो वो मुस्कुरा कर बोली “खाना खा लिया हो तो थाली रख दूँ”।

वो थाली ले कर चली गई, मैं वहीँ बिस्तर पर बैठा रहा और सोचता रहा कि आखिर उसने ऐसा क्यूँ कहा। जब चंचल वापस मेरे बेडरूम में आई और जाने के लिए कहा तो मैंने उसे अपने पास बुलाया और उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बिठा लिया।

चंचल के हाथ कांप रहे थे और मुस्कुराने के साथ उसने आँखें नीची कर ली थी, मैं समझ गया कि माजरा क्या है इसलिए मैंने उसे हौले से अपने करीब खींचा और अपने पास खिसका कर अपने सीने से लगा लिया।

चंचल के शरीर में से अजीब सी मीठी मीठी गंध आ रही थी, उसने खुद को मुझसे दूर कर के कहा “मत करो ना कुछ हो जाएगा” तो मैं बोला “कुछ होने के लिए तुम तैयार नहीं हो क्या” तो बोली “आप तैयार हो क्या।

ये सुनते ही मैंने उसे एक बार फिर अपने गले से लगा लिया और इस बार उसने भी मुझे कस कर पकड़ लिया, मैंने चंचल को और चंचल मुझे चूम रहे थे और मैं उसकी पीठ पर हाथ फिरा रहा था।

उसकी पीठ पर हाथ फिराते हुए मैंने खुद बेड पर लेटकर उसके अपने ऊपर खींच लिया तो उसने मेरा टी शर्ट उतारा और पागलों की तरह मेरी बालदार चेस्ट को चूमने लगी, उसने एक्साइटमेंट में मेरे चुचों पर काटना भी शुरू कर दिया था।

अब मेरा हाथ उसके पीठ से खिसक कर उसकी गांड और जाँघों पर चलने लगा था, चंचल सिसक रही थी और रह रह कर अपनी बंगाली टोन में “भैया मुझे सेक्स करो ना” कह रही थी।

मैंने उसके साड़ी और पेटीकोट को ऊपर खिसकाया और उसकी चिकनी जाँघों और गांड को सहलाते हुए उसकी चूत में ऊँगली पेलना शुरू किया, मैं उसके क्लिटोरिस को अपनी ऊँगली से छेड़ रहा था और उसके होठों को चूम रहा था।

कामवाली बाई होने के बावजूद न तो उसके मुंह में से और न ही उसके शरीर में से बुरी गंध आ रही थी और तो और उसकी चूत भी एक दम साफ़ चिकनी थी।

मेरी ऊँगली उसकी चूत में लगातार चल रही थी और चंचल के होंठ मेरे होठों को चूसना बंद ही नहीं कर रहे थे, चंचल ने मेरे बरमूडा में तने हुए लंड को देख कर एक कातिल मुस्का फेंकी और एक ही झटके में मेरा बरमूडा उतार फेंका।

मैं कभी भी अंडरवियर नहीं पहनता हूँ सो मेरा भुजंग जैसा लंड उसके मुंह के आगे ऐसे नाच रहा था मानो कोई छोटा बच्चा खेलने को उतावला हो, चंचल ने मेरी झांट के बालों को अपने हाथ से साइड में किया और मेरे लंड को अपने होठों से छुआ तो मेरा लंड मचल पड़ा।

चंचल बड़े मज़े ले ले कर मेरे लंड को चूस रही थी, उसने मेरी बड़ी बड़ी झांटों की परवाह किए बिना मेरे लंड को ऐसे चूसा जैसे वो कोई आइस कैंडी है और चंचल को पहली बार मिली है। चंचल मेरे लंड को हर तरीके से चूस रही थी और मैं उसके ब्लाउज के बाहर से ही उसके चुचों को मसल रहा था।

चंचल मेरा लंड चूसते हुए अपनी गांड मटका रही थी जो कि इशारा था की अब वो मेरा लंड लेने के लिए पूरी तरह तैयार है, मैंने उसे उठा कर मिशनरी पोजीशन में लिटाया और उसके साड़ी पेटीकोट को ऊपर खिसका कर उसकी चूत में अपना आठ इंच का लौड़ा पेल दिया।

पहली बार चूत में लंड जाते ही दर्द महसूस हुआ- First Time Sex

चंचल कराह उठी लेकिन एक बार पूरा लंड उसकी चूत में घुसने के बाद चंचल अपनी चूत उठा उठा कर मज़े से चुदवाने लगी थी, चंचल जोश में आ कर मेरे छाती के बालों को नोचने लगी और कुछ तो तोड़ भी दिए।

मैं भी इसी जोश के मारे उसकी चूत में जोर जोर से धक्के देने लगा, उसकी चीखें और मेरे धक्के अब एक लयबद्ध तरीके से चल रहे थे की वो झड़ गई और दो तीन धक्कों के बाद मैं भी झड़ गया।

चंचल तुरंत उठी अपने कपडे ठीक किए और बोली “अभी मुझे नीचे वाली आंटी के यहाँ भी काम करना है, शाम को आती हूँ आपका ख़याल रखने” और ये कह कर वो चली गई। मैं दवाई लेकर सो गया और जब वो शाम को वापस आई तो बर्तन चौका करने के बाद मुझे खाना खिला कर फिर से एक बार चुदी।

अब तो ये हमारा रोज़ का खेल बन गया था और मैंने रोज़ अपनी कामवाली बाई के साथ कामक्रीड़ा करने लगा था, जब तक वो अपने गाँव वापस नहीं गई तब तक मैंने चंचल की कोमल चूत के साथ रोज़ कम से कम दिन में दो बार ऐसे ही खिलवाड़ किया और कभी कभी उसकी संकरी गांड भी मारी।

चंचल अब भी मेरी यादों में बसी है और मैं अब भी चाहता हूँ कि काश एक दफे वो फिर आए और मुझसे अपनी कोमल चूत चुदवाए।

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