चोदन वास्ते पटना गया- Hindi Sex Stories

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मम्मी मुझे कहती है कि रजत बेटा तुम मेरे साथ पटना चलोगे मैंने मां से कहा लेकिन मां मैं पटना आकर क्या करूंगा तो मां कहने लगी बेटा तुम्हारे मामा जी की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए मैं सोच रही थी कि यदि तुम भी मेरे साथ पटना चलते तो मुझे भी थोड़ा सहारा मिल जाता।

मैंने मां से कहा ठीक है मां मैं भी तुम्हारे साथ पटना चलूंगा लेकिन मुझे आज अपने ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ेगी। मां कहने लगी हां बेटा तुम अपने ऑफिस से कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले लेना।

मैंने जब अपने ऑफिस में छुट्टी के लिए एप्लीकेशन डाली तो मुझे छुट्टी मिल चुकी थी और जब मुझे अपने ऑफिस से छुट्टी मिल गई तो मैं अपनी मां के साथ पटना चला गया।

मेरे पिताजी का देहांत दो वर्ष पूर्व हो गया था मैं और मां एक दूसरे का सहारा है मेरी मां हमेशा इस बात से चिंतित रहती है कि मेरी सगाई जिस लड़की से हुई थी वह किसी और लड़के के साथ भाग गई इसलिए अभी तक मैंने सगाई नहीं की है और ना ही मैंने शादी के बारे में सोचा है।

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मां हमेशा कहती है कि बेटा तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए तो मैं मां से कहता हूं कि मां आपको तो मालूम ही है ना कि इससे पहले तो मैं शादी करने के लिए राजी था लेकिन मेरे साथ क्या हुआ यह तो आप भी जानती हैं।

उनकी चिंता मुझे लेकर हमेशा ही बनी रहती थी लेकिन उसके बावजूद भी मैंने कभी भी मां को परेशान नहीं किया मैं हमेशा मां से कहता कि मां जब तक मैं जीवित हूं तब तक मैं आपको कभी भी किसी भी रूप में परेशान नहीं देख सकता और ना ही परेशान होने दूंगा।

मेरी मां का मुझ पर बहुत ही भरोसा था और मुझसे वह बहुत प्यार भी करती है, अब हम लोग पटना पहुंच चुके थे मामा जी की तबीयत भी काफी खराब थी और डॉक्टरों ने भी लगभग अब जवाब दे ही दिया था।

मामा जी घर पर ही थे घर में सब लोग परेशान थे और परेशानी का कारण सिर्फ और सिर्फ यही था कि मामा जी की तबीयत ठीक नहीं है। घर में किसी के चेहरे पर भी मुस्कुराहट नहीं थी और ना ही कोई खुश था मैं और मां एक दूसरे से आपस में बात कर रहे थे तो मैंने मां से कहा मां मैं बाहर जा रहा हूं।

मैं मामा जी के घर से बाहर निकला तो वहां से मैं थोड़ी दूर पर गया सामने ही एक दुकान थी मुझे सिगरेट पीने की आदत है तो मैंने उस दुकान से सिगरेट खरीद ली और वहीं खड़े होकर मैं सिगरेट पीने लगा तभी वहां से एक लड़की जाती हुई मुझे दिखाई दी उसके चेहरे की तरफ मेरी नजर खींची चली गई और मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं उस लड़की को जानता हूं मेरे कदम भी अपने आप ही उस लड़की की तरफ बढ़ते चले गए और मैं उसके पीछे पीछे चलने लगा।

मैंने देखा कि वह लड़की तो मेरे मामा जी के घर पर ही जा रही है मैं भी उसके पीछे अपने मामा जी के घर पर चला गया। जब मैं अपने मामा जी के घर पर गया तो वहां पर वह लड़की भी बैठी हुई थी सब लोग उनके बैठक में बैठे हुए थे और सबके चेहरे मुरझाए हुए थे और कोई भी किसी से बात नहीं कर रहा था तभी मेरी मामी जी रसोई में चली गई और वह थोड़ी देर बाद चाय बना कर सबके ले ले आए।

मेरी मामी ने उस लड़की से कहा कि दिव्या तुम भी चाय लो वह लड़की कहने लगी नहीं आंटी जी रहने दीजिए मैं चाय नहीं लूंगी। मुझे उस लड़की का नाम तो पता चल चुका था कि उसका नाम दिव्या है और इतना तो मुझे आभास हो चुका था कि वह लड़की मेरे मामा जी के ही पड़ोस में रहती हैं।

मेरी नजर दिव्या से एक पल के लिए भी नहीं हटती और मुझे ऐसा लगा कि जैसे दिव्या भी मुझे चोरी छुपे देख रही थी परंतु कुछ देर बाद वह चली गई। मैं सिर्फ उसके ही ख्याल में रहा कि क्या मेरी मुलाकात दिव्या से दोबारा हो पाएगी लेकिन शायद यह संभव नहीं था क्योंकि मेरी मुलाकात दिव्या से फिर से नहीं होने वाली थी और मैं उसके बाद दिव्या से नहीं मिल पाया।

जिस दिन हम लोग वापस आ रहे थे उस दिन मुझे दिव्या दिखाई दी और मेरे अंदर उम्मीद की एक किरण जाग उठी मैं भी दिव्या को देख चुका था मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि दिव्या मुझे दोबारा कभी मिलने वाली है। दिव्या ने चोरी छुपे मुझे अपना मोबाइल नंबर एक पेपर में लिख कर दे दिया मेरे लिए तो यह बहुत बड़ी बात थी और मैंने कभी भी ऐसा सोचा नहीं था कि ऐसा मेरे साथ हो जाएगा।

दिव्या ने मुझे अब नंबर दे दिया था और मैं जब अपने घर पहुंचा तो मैंने उस वक्त दिव्या को फोन कर दिया। मैंने जब दिव्या को फोन किया तो मुझे थोड़ा अजीब सा महसूस हुआ क्योंकि मुझे बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा था परंतु जब मेरी बात दिव्या से होने लगी तो हम दोनों एक दूसरे से घंटों बात किया करते।

पहली बार जब हम दोनों की बात फोन पर हुई तो मुझे लगा कि जैसे मैं दिव्या से मिलने के लिए चला जाऊं धीरे धीरे हम दोनों की बातें बढ़ने लगी और अब हम दोनों एक दूसरे के साथ घंटों फोन पर बात किया करते है।

मैंने दिव्या से कहा कि क्या हम लोग कभी मिल भी पाएंगे दिव्या कहने लगी क्यों नहीं बस आपके दिल में होना चाहिए कि आपको मिलना है तो आप जरूर मिलेंगे। मैंने दिव्या से कहा चलो तो फिर हम लोग मिलने का कोई बहाना ढूंढते हैं कि हम लोग मिल जाएं, दिव्या भी खुश थी और मैं भी इस बात से खुश था। काफी लंबे अरसे बाद जब हम दोनों की मुलाकात हुई तो जैसे समय ठहर सा गया था और मैं चाहता था कि वह समय बस ऐसे ही रुका रहे।

मै दिव्या से मिलने के लिए गया था हम दोनों साथ में ही बैठे हुए थे और एक दूसरे से बात कर रहे थे। मैंने दिव्या को अपनी बाहों में समा लिया और दिव्या से कहा आज इतने समय बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

दिव्या मुझे कहने लगी मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि काफी समय बाद तुम से मेरी मुलाकात हो रही है हम दोनों ने एक दूसरे से काफी देर तक बात की और काफी देर तक बात करने के बाद जब दिव्या और मेरे बीच मैं गर्मी बढ़ने लगी तो मैंने दिव्या के हाथ को पकड़ लिया और उसके हाथ को मैं सहलाने लगा।

इतने समय बाद में दिव्या से मिल रहा था और उसके जैसी हुस्न की परी मेरी थी भला मैं उसे कैसे छोड़ सकता था और कैसे इतनी आसानी से जाने देना वाला था। मैं अपने मामा के पास नहीं गया था क्योंकि मुझे इस बात का डर था कि यदि मामा के परिवार में किसी को भी मेरे और दिव्या के बारे में पता चला तो यह ठीक नहीं होगा इसलिए मैंने किसी को भी इस बारे में नहीं बताया था।

मैं जब दिव्या के साथ बैठा हुआ था तो हम दोनों एक दूसरे के बदन को महसूस कर रहे थे मैंने दिव्या से कहा तुम मेरे साथ मेरे होटल में चलो। दिव्या मेरी बात मान गई और वह मेरे साथ होटल में आने के लिए तैयार हो चुकी थी। मैं दिव्या को अपने साथ होटल में ले गया दिव्या थोड़ा शर्मा जरूर रही थी लेकिन उसके अंदर की शर्म खत्म हो गई जब वह मेरे साथ बैठी हुई थी।

जब वह मेरे साथ बैठी थी तो मैंने उसके बदन को महसूस किया और उसके बदन को महसूस करके मैंने अपना बना लिया। मैं दिव्या के होठों को चूम रहा था और दिव्या के होठों को चूम कर मुझे अच्छा लग रहा था जिस प्रकार से मैंने दिव्या के लबो का रसपान किया उससे वह मेरी दीवानी हो गई थी।

मैंने उसे बिस्तर पर लेटाते हुए धीरे-धीरे अपने हाथ को उसके स्तनों की ओर बढ़ाना शुरू किया और उसके स्तनों की और मेरा हाथ आगे बढ़ता जा रहा था। जब मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया तो उसके मुंह से तेज आवाज निकल आई वह मुझे कहने लगी मुझे दर्द हो रहा है आराम से करो। मेरे आगे वह बिल्कुल भी कुछ नहीं कर पाई मैंने अपने हाथ को उसकी योनि के अंदर डाला तो वह मचल उठी थी।

मैंने जब अपने हाथ से उसके सलवार के नाडे को तोड़कर उसके सलवार को उतारा तो वह मुझे कहने लगी देखो मै रह नहीं पा रही हू तुमने मेरे अंदर की सेक्स भावना को जगा दिया है। मैंने दिव्या से कहा मैं भी तो तुम्हें देखकर रह नहीं पा रहा हूं और तुम्हारे जैसे आइटम को भला कौन छोड़ सकता है।

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यह कहते ही मैंने दिव्या कि योनि को चाटना शुरू किया और उसकी योनि से पानी बाहर निकाल कर रख दिया उसकी योनि से पानी बाहर निकल चुका था। मैंने अपने लंड को उसकी योनि के अंदर घुसाया तो वह चिल्ला उठी थी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था।

जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो उसके मुंह से बड़ी तेज चीख निकलने लगी वह कहने लगी मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूं। मैंने उसे कहा बर्दाश्त तो मै भी नही कर पा रहा हूं तुम्हारी योनि है ही इतनी टाइट तो वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

दिव्या बार बार मेरे पेट को पकड़ लिया करती मैंने दिव्या की कमर को पकड़ लिया था और उसके दोनों पैरों को मैंने चौडा कर लिया। मेरे धक्को के साथ ही वह अपने पैरों को चौड़ा कर लेती क्योंकि उसे भी तो दर्द हो रहा था।

वह मेरे धक्को को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और जिस प्रकार से मैं से धक्के मार रहा था उससे वह और भी ज्यादा उत्तेजित होने लगी और मुझे कहने लगी कि मुझे तो बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।

मैंने उसे कहा कोई बात नहीं बस थोड़ी देर की बात है फिर सब ठीक हो जाएगा और यह कहने के बाद दिव्या की योनि मे मैने गरमा गरम वीर्य को गिराया। अब मेरी इच्छा पूरी हो गई लेकिन उसके अंदर इस बात का डर था कि कहीं उसे कुछ हो ना जाए। वह मुझे कहने लगी कि मैं प्रेग्नेंट हो गई तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा मैने दिव्या से कहा क्यों चिंता कर रही हो।

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