सुहागरात पर चुदाई का खेल खेला- XXX Story in Hindi

Desi Bhabhi Ki chudai
XXX Story

मैं घर पर बैठा हुआ था कि तभी दरवाजे की घंटी बजी जैसे ही डोर बेल बजी तो मैंने दरवाजा खोला जब मैंने दरवाजा खोला तो सामने मामाजी खड़े थे मामा जी काफी दिनों बाद घर आ रहे थे। मैंने मामाजी से पूछा कि आप इतने दिनों बाद हम लोगों से मिलने आ रहे हैं तो वह कहने लगे कि सुरजीत बेटा तुम्हें तो पता ही है कि दुकान के काम से बिलकुल भी फुर्सत नहीं मिल पाती है।

मामा जी की गारमेंट शॉप है और वह अपने काम के चलते काफी व्यस्त रहते हैं मैं मामाजी के साथ बैठा हुआ था तो मामा जी मुझे कहने लगे कि सुरजीत बेटा तुम्हारा काम कैसा चल रहा है। मैंने उन्हें कहा मेरा काम तो अच्छा चल रहा है आप बताइए आप कैसे हैं और मुझे तो लगा था कि आप घर पर आएंगे ही नहीं।

मैंने मामा जी से जब यह बात कही तो वह कहने लगे कि बेटा आखिर तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं घर नहीं आऊंगा। मैंने मामा जी को कहा कि मैं काफी दिनों से सोच रहा था कि मैं आपसे मुलाकात करूं लेकिन आप से मिलने का मुझे समय ही नहीं मिल पा रहा था और आप भी अपने काम के चलते व्यस्त रहते हैं इसलिए मैं आपसे मिलने के लिए आ नहीं पाया था।

मामाजी और मैं बात कर रहे थे तो मां हम दोनों के लिए चाय बना कर ले आई, मैंने और मामा जी ने चाय पी फिर मां मामा जी के साथ बैठी हुई थी और मैं अपने रूम में चला आया। जब मैं अपने रूम में आया तो मामा जी ने मुझे आवाज लगाते हुए कहा कि सुरजीत बेटा तुमसे कुछ बात करनी थी।

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मैं रूम से बाहर आया और मैं मामाजी के साथ बैठा हुआ था पिताजी के देहांत के बाद मामाजी ने हीं घर की सारी जिम्मेदारी को संभाला था उस वक्त मैं कॉलेज में ही पढ़ रहा था तो मामा जी ने हमारी बड़ी मदद की। मैं अब जॉब लग चुका हूं, मैं मामा जी की बड़ी इज्जत करता हूं मामा जी मुझे कहने लगे कि सुरजीत बेटा तुम्हारी उम्र हो चुकी है और मुझे लगता है कि तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए।

मैंने उन्हें कहा लेकिन मैं अभी शादी नहीं कर सकता वह मुझे कहने लगे कि बेटा फिर भी तुम्हारी उम्र तो हो ही चुकी है और तुम जानते हो कि तुम्हें अब शादी कर लेनी चाहिए मैंने मामा जी को कहा कि मुझे नहीं लगता कि अभी मुझे शादी करनी चाहिए।

मैं और मामा जी साथ में बैठे हुए थे और एक दूसरे से बात कर रहे थे तो मामा जी ने मुझे आकांक्षा की तस्वीर दिखाई तो मैंने मामा जी से पूछा कि यह लड़की कौन है? वह कहने लगे कि पहले तुम यह बताओ कि लड़की तुम्हें कैसी लगी। मैंने उन्हें कहा कि लड़की तो अच्छी है पर आप बताइए तो सही कि आखिर यह लड़की है कौन तो मामा जी ने बताया कि वह उनके दोस्त की लड़की है।

मामा जी ने मुझे सारी बात बताई की मैंने तुम्हारे बारे में बात अपने दोस्त से बात कर ली हैं अगर तुम चाहो तो मैं बात को आगे बढ़ाऊँ। मैंने तो कुछ नहीं कहा लेकिन मां कहने लगी की तुम आकांक्षा से एक बार मिल तो लो मैंने मां से कहा लेकिन मैं अभी शादी नहीं करना चाहता हूं। मां ने मुझे दोबारा से कहा कि बेटा फिर भी तुम एक बार आकांक्षा से मिल लो अगर तुम्हें वह अच्छी लगेगी तो ही तुम उससे शादी करना नहीं तो तुम उससे शादी मत करना।

मुझे भी लगा कि मां बिल्कुल ठीक कह रही है और मैंने मां की बात मान ली। मैं मां की बात मान चुका था उसके बाद मैं आकांक्षा से मिला जब मैं आकांक्षा को पहली बार मिला तो मुझे उससे मिलकर बड़ा ही अच्छा लगा और वह भी मुझसे मिलकर खुश थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे की आकांशा ने मुझे पहली नजर में ही पसंद कर लिया है और मैं बड़ा खुश था।

हम दोनों ने एक दूसरे को पसंद कर लिया था क्योंकि मेरे पास भी अब और कोई रास्ता नहीं था और आकांक्षा को भी मैं पसंद आ चुका था इसलिए आकांक्षा ने शादी के लिए हां कह दिया था। आकांक्षा ने भी शादी के लिए हां कर दी थी तो हम दोनों की सगाई अब जल्द ही होने वाली थी सब लोग इस रिश्ते के लिए तैयार थे।

कुछ दिन बाद हम दोनों की सगाई हो गई मामा जी ने सगाई के लिए होटल बुक किया था और हमारे जितने भी रिश्तेदार थे वह सब मेरी सगाई में आए हुए थे। मेंरी और आकांक्षा की सगाई हो चुकी थी और सब लोग चाहते थे कि हम लोग जल्द ही शादी कर ले लेकिन मैं चाहता था कि थोड़े समय बाद में शादी करूं। जब मेरी और आकांक्षा की शादी का दिन नजदीक आ चुका था तो हम दोनों अपनी शादी के लिए शॉपिंग कर रहे थे उस दिन मैं आकांक्षा को मिला तो हम दोनों ने साथ में ही शॉपिंग की।

आकांक्षा और मैं उस दिन जब कॉफी शॉप में बैठे हुए थे तो मैं और आकांक्षा एक दूसरे से बातें कर रहे थे मैंने आकांक्षा को कहा कि आकांक्षा तुम मुझसे शादी करके खुश तो हो ना। आकांशा कहने लगी कि सुरजीत मैंने तो तुम्हें जब पहली बार देखा था तभी मैंने तुम्हें पसंद कर लिया था और मैं तो चाहती हूं कि मैं तुमसे जल्द से जल्द शादी कर लूँ।

मैंने आकांशा को कहा कि आकांक्षा मैं तुम्हें बहुत पसंद करने लगा हूं और मुझे पहले ऐसा नहीं लगा था मुझे लगा था कि तुम शायद मेरी टाइप की नहीं हो तुम बहुत ही सीधी सादी हो लेकिन अब तुमने मुझसे बात करनी शुरू कर दी है तो मुझे तुमसे बात कर के बहुत अच्छा लग रहा है जब भी मैं तुमसे बात करता हूँ तो मैं बहुत ही ज्यादा खुश हो जाता हूं।

मैं और आकांक्षा साथ में काफी देर तक बैठे हुए थे और हम दोनों ने साथ में काफी देर तक समय बिताया मैं और आकांक्षा एक दूसरे के साथ बड़े खुश थे। हम दोनों की शादी का दिन भी अब नजदीक आ चुका था इसलिए हम दोनों अपनी शादी से बहुत खुश थे।

जब हम दोनों की शादी हो गई तो उसके बाद आकांक्षा और मैं अपने शादी शुदा जीवन से खुश है। मेरे परिवार में सिर्फ मेरी मां ही है मेरी मां को तो यह रिश्ता पहले से ही मंजूर था इसलिए वह भी काफी खुश थी। शादी की पहली रात मै और आकांक्षा बेडरूम में थे। हम दोनों साथ में लेटे हुए थे हम दोनों को ही अच्छा लग रहा था।

मैंने आकांक्षा के हाथों को पकड़ लिया मैंने उसके नरम हाथ को पकड़ा तो मुझे अच्छा लगने लगा। आकांक्षा को बड़ा ही मजा आने लगा था मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया तो वह उत्तेजित होकर मुझे कहने लगी मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा है। वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी मेरे अंदर कि गर्मी बढ़ चुकी थी मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पा रहा था। मैंने आकांक्षा के होठो को बहुत देर तक चूमा मैने उसके होठों से खून निकाल दिया था वह बहुत ज्यादा खुश हो गई थी।

मैंने आकांक्षा के कपड़े उतारे जब मैंने आकांक्षा के कपड़े उतार दिए थे तो वह मुझे कहने लगी मुझे आपके लंड को अपने मुंह में लेना है। मैंने अपने लंड को आकांक्षा के सामने किया तो उसने मेरे लंड को चूमना शुरू कर दिया था। वह जिस प्रकार से मेरे मोटे लंड को चूसती तो मुझे मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा ही अच्छा लग रहा था। हम दोनों के अंदर की गर्मी बढ चुकी थी और आकांक्षा भी पूरी तरीके से गरम होती जा रही थी।

वह उत्तेजित हो चुकी थी। आकांक्षा मुझे कहने लगी मुझसे तो बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैंने उसे कहा मेरे अंदर की गर्मी बढ़ने लगी है। मैंने आकांक्षा की चूत पर अपने लंड को लगाया तो उसकी योनि गरम हो चुकी थी मेरा लंड भी पूरी तरीके से गरम हो चुका था। उसकी चूत से पानी बाहर निकल आया था वह मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए तैयार थी मैंने जब उसकी चूत के अंदर अपने लंड को डाला तो वह जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मेरी चूत आपने फाड दी।

मैंने उसे कहा मुझे तो बड़ा ही अच्छा लग रहा है। मैंने उसकी चूत पर बड़ी तेजी से प्रहार करना शुरू कर दिया था मैं जब उसे चोद रहा था तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ने लगा था और आकांक्षा की सिसकारियां बढने लगी थी। वह इतनी गरम हो चुकी थी वह मेरे लंड की गर्मी बिल्कुल भी झेल नहीं पा रही थी।

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मैंने अपने माल को उसकी चूत मे गिरा दिया था। जब उसकी गर्मी दोबारा से बढ़ने लगी तो उसने मेरे लंड को चूस कर खड़ा कर दिया। जब उसने मेरे लंड को खड़ा कर दिया था तो मैंने उसे कहा अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने दोबारा से उसकी चूत मे लंड को सटा दिया मैंने अपने मोटे लंड को उसकी चूत पर सटा दिया और जैसे ही उसके अंदर मैंने अपने लंड को डाला तो वह जोर से चिल्लाने लगी और मुझे कहने लगी मुझे अब जाकर मजा आ गया।

मैंने उसे कहा मजा तो मुझे बड़ा आ गया है और ऐसा लग रहा है जैसे कि मैं बस तुम्हें धक्के मारता जाऊं। वह अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाने की कोशिश करती जब वह ऐसा करती तो मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगती और मुझे मजा आ जाता। मैंने उसने कहा मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा है मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ती ही जा रही है।

मै उसे बड़ी तेजी से चोद रहा था और उसकी चूतड़ों से निकलता हुई आवाज मेरे कान में जाकर मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित करती जा रही थी। हम दोनों की उत्तेजना पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी और आकांक्षा की चूत से निकलता हुआ खून मेरी गर्मी बढा चुका था।

अब मैं उसे बड़ी तेजी से धक्के मारने लगा लेकिन मुझे एहसास हो चुका था कि मैं ज्यादा देर तक अब उसकी आग को झेल नहीं पाऊंगा मैंने जैसे ही अपने माल की पिचकारी आकांक्षा की योनि में मारी तो वह खुश हो गई और हमारी सुहागरात सफल रही।

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