टॉवल में लिपटा हुआ सेक्सी बदन- Antarvasna Sex Story

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Antarvasna Sex Story

मैं अपने घर से रेलवे स्टेशन रात के 9:00 बजे पहुंच चुका था और मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा था ट्रेन थोड़ी देर में आने ही वाली थी। मैं जिस सीट पर बैठा हुआ था उसी सीट में आकर एक लड़की बैठी वह बहुत ही खूबसूरत थी मैं उसे देखता रहा लेकिन तभी ट्रेन भी आ गई।

जब ट्रेन आई तो वह लड़की भी उसी ट्रेन में चढ़ी पहले तो मुझे लगा कि शायद उसे कहीं और जाना होगा लेकिन जब वह उसी ट्रेन में चढ़ी और मेरे बिल्कुल सामने वाली सीट में बैठी तो मैं सोचने लगा कि यह बड़ा ही अजीब इत्तेफाक है। मैंने कभी सोचा नहीं था कि वह लड़की बिल्कुल मेरे सामने वाली सीट मे बैठेगी।

अब हम लोग अपना सामान रख रहे थे मैंने अपना सामान रख दिया था और उसके बाद मैं सबसे ऊपर वाली सीट में जाकर लेट गया क्योंकि रात हो चुकी थी और नीचे एक बुजुर्ग व्यक्ति बैठे हुए थे जो कि मुझसे कहने लगे कि बेटा मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूं इसलिए मैंने उन्हें नीचे लेटने दिया। मेरी सीट सबसे नीचे वाली थी परंतु मैं सबसे ऊपर वाली सीट में लेट गया और वह लड़की भी सबसे ऊपर वाली सीट में आकर लेट गई।

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मैं बार-बार उसकी तरफ देखे जा रहा था लेकिन वह मुझसे अपनी नजरें बचाने की कोशिश करती काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा आखिर मैंने उससे बात कर ही ली। मैंने जब उससे पूछा कि आपका नाम क्या है तो पहले वह थोड़ा शरमा रही थी लेकिन फिर उसने मुझे अपना नाम बताया और कहने लगी मेरा नाम मनीषा है।

मैंने उससे कहा आप क्या मुंबई जा रही है तो वह मुझे कहने लगी हां मैं मुंबई जा रही हूं। हम दोनों ही अहमदाबाद से ट्रेन में बैठे थे अभी सिर्फ हमारी इतनी ही बात हुई थी और उसके बाद वह अपने फोन को टटोलने लगी मैं भी अपने फोन को देख रहा था लेकिन मेरी नज़र बार बार मनीषा की तरफ थी।

मैंने भी उसे अपना नाम बता दिया था और मैं चाहता था कि मैं उससे बात करूं और मैंने उसके लिए दोबारा उससे बात करनी शुरू की। मनीषा मुझसे ज्यादा खुलकर बात नहीं कर रही थी इसलिए मैंने भी उससे बात नहीं की परंतु मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मुझे मनीषा से बात करनी चाहिए और मैं मनीषा से बात करने के लिए बहुत उत्सुक था।

मैंने मनीषा से बात की लेकिन उससे इतनी ज्यादा बात तो नहीं हो पाई परन्तु उसके बारे में मुझे पता चल चुका था उसने मुझे अपने घर का पता बता दिया था मेरे लिए इतना ही काफी था। अब मनीषा सो चुकी थी और मैं भी सो चुका था अगली सुबह जब हम लोग मुंबई पहुंचे तो मनीषा को उसके पापा रेलवे स्टेशन पर लेने के लिए आए हुए थे और फिर मैं वहां से अपने फ्लैट में चला गया।

मैं जब अपने फ्लैट में गया तो मेरा दोस्त मुझे कहने लगा राजेश तुम तो कुछ दिनों बाद आने वाले थे तुम बिना बताए ही आ गए। मैंने उसे कहा मेरा कुछ जरूरी काम था इसलिए मैं आ गया। मैं वैसे अहमदाबाद का रहने वाला हूं लेकिन पिछले दो वर्षों से मैं मुंबई में जॉब कर रहा हूं और मेरे रूममेट का नाम निखिल है निखिल और मैं एक दूसरे को हमारे ऑफिस में ही मिले थे और उसके बाद हम दोनों साथ में रहने लगे।

मैंने निखिल को जब मनीषा के बारे में बताया तो निखिल मुझे कहने लगा कि राजेश अब तुम मनीषा को भूल जाओ इतने बड़े शहर में भला वह तुम्हें कहां मिलेगी। मैंने भी सोचा कि शायद निखिल बिल्कुल ठीक कह रहा है और उसके अगले दिन से ही मैं अपने ऑफिस जाने लगा निखिल और मैं साथ में ऑफिस जाते।

मेरी किस्मत में मनीषा को मिलना था इसलिए एक दिन जब मैं ऑफिस से वापस लौट रहा था तो मनीषा अपनी सहेली के साथ मुझे दिखाई दी। मैंने जब मनीषा को देखा तो मैंने निखिल को कहा निखिल मैं तुम्हें कहता नहीं था कि मनीषा मुझे जरूर दिखाई देगी। अब सबसे बड़ी बात तो मेरे लिए यह थी कि मैं मनीषा से कैसे बात करूं क्योंकि मनीषा से मेरी इतनी बात भी नहीं हुई थी कि मैं उससे जाकर बात कर सकूं।

निखिल ने मुझे कहा चलो तो फिर तुम मुझे भी मनीषा से मिलवाओ मैंने उसे कहा कि निखिल मेरी मनीषा से इतनी बातचीत भी नहीं है कि मैं उसे तुम्हारा परिचय करा सकूं। मैं बिल्कुल मनीषा के पीछे वाली सीट में बैठ गया मनीषा आगे बैठी हुई थी और उसके पीछे वाली सीट में बैठकर मैं बार-बार उसकी तरफ देख रहा था लेकिन तभी मनीषा पीछे की तरफ पलटी और उसने मुझे देखते ही कहा कि राजेश तुम यहां क्या कर रहे हो? मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि वह मुझसे बात कर लेगी लेकिन मैं तो बहुत ही ज्यादा खुश था और मैं चाहता था कि मैं मनीषा से बात करूं, मनीषा मुझसे बात करने लगी।

मैंने निखिल का परिचय मनीषा से करवाया और मनीषा के साथ उसकी एक सहेली थी उसने उसका परिचय हम दोनों से करवाया हम लोग एक दूसरे के साथ काफी देर तक बैठे रहे। मुझे मनीषा का साथ पाकर बहुत ही अच्छा लगा और उसके बाद मैं अपने फ्लैट वापस लौट आया था निखिल मुझे कहने लगा कि मनीषा वाकई में बहुत अच्छी लड़की है।

मैंने मनीषा का नंबर ले लिया था और उसके बाद मैं कभी कबार मनीषा से बात कर लिया करता था मनीषा को भी मुझसे बात करना अच्छा लगता था इसलिए वह भी मुझे फोन कर दिया करती थी। एक दिन मनीषा का मुझे फोन आया उस बीच मैंने मनीषा को काफी दिनों से फोन नहीं किया था तो वह मुझे कहने लगी कि राजेश आजकल तुमने मुझे काफी दिनों से फोन नहीं किया है।

मैंने मनीषा से कहा मुझे लगा कि शायद मैं जब तुम्हें फोन करता हूं तो तुम्हें अच्छा नहीं लगता होगा इसीलिए मैंने तुम्हें फोन नहीं किया मनीषा कहने लगी ऐसी कोई बात नहीं है। हम दोनों की उस दिन काफी देर तक बात हुई और उसके बाद हमारी बातों का सिलसिला आगे बढ़ता चला गया और हम लोग एक दूसरे को भी मिलने लगे।

एक दिन मनीषा ने मुझे फोन किया और कहने लगी राजेश मुझे तुमसे मिलना था। मैंने मनीषा को कहा मनीषा मैं तुमसे शाम के वक्त मिलता हूं अभी मैं ऑफिस में हूं। मनीषा कहने लगी ठीक है शाम को हम लोग मुलाकात करते हैं और शाम के वक्त मै मनीषा को मिला। जब मैं मनीषा को मिला तो वह बहुत ज्यादा परेशान दिखाई दे रही थी।

मैंने उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा तो वह मुझे कहने लगी मेरे पापा चाहते हैं कि मै शादी कर लूं लेकिन जिस लड़के से वह मेरी शादी की बात कर रहे हैं वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैंने मनीषा को कहा तुम कैसी लडके से शादी करना चाहती हो? वह मुझे कहने लगी राजेश मुझे तुमसे शादी करनी है तुम मुझे बहुत पसंद हो।

मैंने कभी सोचा भी नहीं था मनीषा मुझसे इस तरीके से अपने दिल की बात कहेगी। मैंने मनीषा को गले लगा लिया मैंने मनीषा को किस भी किया वह मुझे कहने लगी राजेश तुम कुछ ज्यादा ही खुश दिखाई दे रहे हो। मैंने उससे कहा मनीषा भला तुम जैसी लड़की के साथ शादी कौन नहीं करना चाहेगा।

मैं तो बहुत खुश हूं क्योंकि मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि तुम मुझसे इस प्रकार से अपने दिल की बात कहोगी। अब हम दोनों जब भी मिलते तो एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा से समय बिताया करते मनीषा भी मेरे फ्लैट में कभी कभार आ जाया करती थी।

एक दिन बारिश बहुत ज्यादा हो रही थी और उस दिन मनीषा जब फ्लैट में आई तो वह बहुत ज्यादा भीगी हुई थी। मैंने मनीषा को कहा तुम काफी भीग चुकी हो तुम कपड़े बदल लो। मनीषा ने अपने कपड़े चेंज किए लेकिन मेरे पास कोई ऐसे कपड़े नहीं थे जिसे कि मनीषा पहन पाए इसलिए मनीषा टॉवल में ही मेरे सामने बैठी हुई थी।

मैं उसकी जांघों को देख रहा था उसकी जांघ पर एक भी बाल नहीं था मैंने उसके गोरे बदन को देखा तो मेरे अंदर से भी उसे किस करने की भावना जागने लगी लेकिन मैं अपने आपको काफी कंट्रोल करता रहा। जब मैंने मनीषा के नरम और पतले होठों को चूमना शुरू किया तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैं उसके होंठों का रसपान बहुत अच्छे से कर रही थी।

मनीषा बहुत खुश थी वह मुझसे कहने लगी राजेश आज तुम्हें किस कर के बहुत अच्छा लग रहा है। हम दोनों ही एक दूसरे को देखकर अपने आपको ना रोक सके मैंने मनीषा के बदन से टॉवल को उतार दिया उसने पिंक रंग की पैंटी और ब्रा पहनी हुई थी।

उसकी ब्रा के हुक को खोलते हुए उसके स्तनों को दबाना शुरू किया जब मैं उसके स्तनों को दबा रहा था तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने उसके स्तनों को बहुत देर तक दबाया जिससे कि मनीषा भी गर्म होने लगी मैं उसके निप्पलो को चूस रहा था।

वह बहुत ज्यादा उत्तेजित हो रही थी मनीषा अपने आपको बिल्कुल भी ना रोक सकी मैंने उसकी चूत पर अपनी उंगली को लगाना शुरू किया तो उसकी चूत से निकलता हुआ पानी इस कदर बढ़ चुका था कि वह मुझे कहने लगी मैं अब अपने आपको बिल्कुल भी नहीं रोक पा रही हूं।

मैंने मनीषा को कहा मुझे भी बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है मैं भी अपने आपको बिल्कुल रोक नहीं पा रहा हूं। मैंने मनीषा की चूत पर अपने लंड को लगाया उसकी चूत के अंदर अपने लंड को धकेलते हुए अंदर घुसा दिया मेरा लंड मनीषा की चूत को फाड़ते हुए अंदर चला गया और उसकी सील टूट चुकी थी जिससे कि उसकी चूत से खून निकलने लगा था उसकी चूत से निकलता हुआ खून मेरे अंदर की गर्मी को और भी बढ़ा रहा था।

मनीषा की गरम सिसकियां मुझे और भी ज्यादा गर्म कर रही थी वह मुझे अपनी ओर आकर्षित करती मैं उसे बहुत ही तेज गति से चोद रहा था। मुझे उसे चोदने मे मजा आ रहा था मैंने मनीषा के स्तनों से भी खून निकाल दिया था और मनीषा मुझे अपने दोनों पैरों के बीच मे जकड कर कहने लगी मुझे लगता है मै झडने वाली हूं।

मैंने अपनी वीर्य की पिचकारी को मनीषा की योनि के अंदर ही गिरा दिया। मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था हम दोनों ने अपने कपड़े पहन लिए उसके बाद हम दोनों के बीच कई बार सेक्स संबंध बने और हम दोनों को एक दूसरे के साथ सेक्स करना बहुत ही अच्छा लगता है।

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