ट्रेन में मिली अनजान भाभी- Sexy Bhabhi Ki Chudai

Hot Bhabhi ki Chudai

मैं ट्रेन के स्लीपर कोच में था पर बहुत सारे बिना रिजर्वेशन वाले लोग मेरे डिब्बे में थे| मैंने एक भाभी को अपनी बर्थ पर जगह दी| उसके बाद मैंने भाभी की जवानी का मजा लिया|

सभी दोस्तो और उनकी सहेलियों को मेरा नमस्कार| मेरा नाम हैप्पी शर्मा है| मैं बिहार का हूँ मगर फिलहाल हरियाणा के सोनीपत में रहता हूं| मेरी 2 महीने पहले की मार्केटिंग जॉब लगी थी|

यह बात अभी एक हफ्ते पहले की है, जब मैं दिल्ली से अपने गांव सोनपुर जा रहा था| मैं वैसे तो कुछ नहीं करता, लेकिन नॉलेज सबकी रखता हूं|

मैं ट्रेन से जाने की तैयारी कर रहा था| आम्रपाली ट्रेन में ऊपर की बर्थ की स्लीपर कोच की मेरी टिकट कंफर्म थी| मैं ठीक टाइम पर स्टेशन पहुंच गया| मेरे पास एक बैग और ओढ़ने बिछाने के लिए चादर थी|

ट्रेन अपने टाइम से आई और चल दी| दस ही मिनट के अन्दर ट्रेन में इतनी भीड़ हो गयी जैसे और सारी ट्रेनें कैंसल हो गयी हों|

मेरी रिजर्व बर्थ होने के बावजूद मुझे अपनी बर्थ तक पहुंच पाने का अवसर बड़ी मुश्किल में मिल सका| भीड़ हद से ज्यादा थी इसलिए मुझे नीचे सीट पर बैठने का मौका नहीं मिला| मैं ऊपर की बर्थ पर चला गया|

ट्रेन दस मिनट देरी से चली| गाज़ियाबाद के करीब ट्रेन पहुंची तो बारिश होना शुरू हो गयी| इससे गाज़ियाबाद से आने वाले लोगों की भीड़ और बढ़ गयी|

कुछ टाइम बाद जब टीटी आया, तो सबने टिकट चैक कराए| जो बिना रिजर्व टिकट के थे, उनकी टीटी ने जेब काटी|

जब टीटी था, उसी समय मैं ऊपर की बर्थ से नीचे उतर आया| मुझे सुसु लगी थी| जब मैं बाथरूम से वापस आया, तो मेरी ऊपर वाली सीट पर एक भाभी आकर बैठ गई थीं| भाभी बड़ी मस्त दिख रही थीं| नीचे भीड़ भी ज्यादा थी, तो मैं भी ऊपर अपनी बर्थ पर जाने लगा|

वो बोलीं- ये आपकी सीट है?
मैंने हां में उत्तर दिया| इस पर वो बोलीं कि ठीक है, मैं थोड़ी देर में टीटी से अपने लिए सीट पक्की करवा लूंगी, अभी भीड़ ज्यादा है|
इस पर मैंने कहा- कोई बात नहीं | आप बैठ सकती हो|

मैं बर्थ पर आ गया और अपने फ़ोन में फेसबुक फ़्रेंड्स के साथ लूडो खेलने लगा| वो बार बार मेरी तरफ देख रही थीं|

मैंने उनसे खेलने को पूछा, तो वो बोलीं- ओके|

मैं और भाभी नार्मली लूडो खेलने लगे| कोई 4-5 मैच खेल कर हमने खाना खाने का प्लान किया और टिफिन निकाल कर खाना खाने लगे|

मैंने उनसे उनका नाम जानना चाहा, तो मालूम हुआ कि भाभी का नाम मनीषा था| जब हम दोनों खेलने के साथ बात कर रहे, तभी उन्होंने अपने बारे में बताया था कि वो दिल्ली पेपर देने आई थीं| उनके पति की कोई हलवाई की शॉप है|

खाना खाने के बाद हम बातें कर रहे थे| करीब 9 बजे के आस पास मैंने पूछा- टीटी आया नहीं | और भीड़ भी ज्यादा है | आप कैसे करोगी?
वो कुछ नहीं बोलीं, बस मेरी तरफ असहाय सी देखने लगीं|
मैंने कहा- ओके आप मेरी सीट पर ही रह जाओ| जब टीटी आएगा तब देख लेंगे|
तो भाभी ने कहा- ठीक है|

मुझे बिना चादर के नींद नहीं आती, तो मैंने चादर अपने ऊपर कर ली और आधे पैर सीधे करके बैठ गया| वो भी वैसे ही बैठ गईं|

जब कम्पार्टमेंट की सारी लाइटें बन्द हो गईं | तो एकदम घुप्प अँधेरा हो गया| उस डिब्बे की नाईट लैम्प खराब थे| कोई भी नाईट लैम्प नहीं जल रहे थे|

मैंने भाभी से पूछा कि आपको सोना है, तो आप सो सकती हो| उनका पैर मेरी तरफ था और मेरा पैर उसकी तरफ था|

वो भी लेट गयी और मैं भी लेट गया| रात 11 बजे के करीब थोड़ी थोड़ी ठंड लगने लगी | तो उन्होंने मेरी चादर को अपने ऊपर कर लिया| मुझे ट्रेन में नींद नहीं आ रही थी, मैं उठा हुआ था|

मैंने नोट किया कि भाभी का जिस्म मेरे बदन से टच हो रहा था| इससे मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था| मैंने भाभी की जांघों के नीचे से टांग बढ़ाते हुए उनकी गांड से नीचे पैर लगाने लगा|

ट्रेन चलने के कारण और मेरा पैर उनकी गांड को छूने लगा| उन्होंने कुछ नहीं कहा| फिर जब भाभी ने अपने पैर सीधे किए और चादर को अपने ऊपर पूरा ढक लिया, तो मैं डर गया और हल्का सा खुद को सिकोड़ कर पीछे कर लिया|

फिर भाभी के पैर से मेरा लंड छूने लगा| इस बार मैं उनके पैरों को अपने शरीर की हरकत से सहला रहा था|

फिर अचानक से भाभी ने करवट बदल ली, अब मेरे पैर उनकी चुचों से लग रहे थे| उधर उनके पैर मेरे लंड को छूते हुए मेरी छाती से लग रहे थे|

इससे मेरा लंड और भी खड़ा होने लगा था| ट्रेन के हिलने का फायदा लेकर मैंने एक हाथ उनकी गांड पर रख दिया, वो कुछ नहीं बोलीं|

ट्रेन तेज चलने के कारण मेरा हाथ हिल रहा था और मैं उसी का फायदा लेते हुए उनकी गांड को सहला भी रहा था| कुछ टाइम बाद उनका हाथ मेरे हाथ के ऊपर आ गया, इससे मैं डर गया|

मैं कुछ पल ऐसे ही पड़ा रहा | लेकिन मेरा लंड ट्रेन की गति के वाइब्रेशन से उनकी दोनों जांघों के बीच मस्ती ले रहा था|

कुछ टाइम बाद उन्होंने मेरा हाथ दबाया और साथ ही अपने पैरों से मेरे लंड को दबाया| इससे मैं समझ गया कि भाभी गर्म हो गयी हैं|

मैंने अपने हाथ से धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा| भाभी ने मेरा हाथ छोड़ दिया और मेरे पैर पर हाथ रख दिए|

ट्रेन का यादगार सफर- Train Me Chudai

मैं इससे उत्साहित हुआ और धीरे से उनके शर्ट के नीचे हाथ करने लगा| भाभी ने भी मेरे पैरों को पकड़ रखा था| मैंने अपना हाथ सूट के ऊपर से ही उनकी चूत पर रखा, तो वो और नीचे हो गईं|

अब मैं धीरे धीरे उनके पैरों को किस करने लगा और अपना हाथ ऊपर से ही चूत पर सहलाने लगा|

इससे वो भी मेरे लंड की ओर हाथ बढ़ाने लगीं | तो मैंने उनके पजामे के अन्दर हाथ डाल दिया| मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ किसी गर्म जगह पर चला गया| एक पल में ही मैं समझ गया कि मेरा हाथ उनकी चुत के ऊपर आ गया था| मैंने भाभी की चुत को ठीक से टटोला और चूत में उंगली करने लगा| भाभी भी मेरा लंड सहलाने लगीं|

अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और अपने आपको ठीक करके बैठ गया| पहले मैंने नीचे झांक कर ट्रेन की भीड़ का जायजा लिया| सब लगभग सो रहे थे| मैंने उनको पैरों को हिला कर अपनी तरफ सिर करके लेटने का इशारा किया, वो कुछ पल इधर उधर देख कर मेरी तरफ आ गईं|

मैंने अपनी चादर को ठीक से ओढ़ लिया और भाभी को भी चादर में ले लिया| हमारे सामने वाली बर्थ पर एक लड़की लेटी हुई थी| वो शायद 19-20 साल की थी| उसका चेहरा चादर के अन्दर था| हम दोनों ने उसे एक बार देखा और चिपक कर लेट गए|

अब भाभी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रखा दिया| मैंने एक बार मना किया और उतर कर नीचे चला गया| मैंने टॉयलेट में जाकर अंडरवियर उतार दिया और लोअर में आ गया| मैं फिर से सीट पर आ गया| इसके बाद भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया| मैं भी उनके मम्मों को दबाने लगा और किस करने लगा|

चलती ट्रेन ने हमारा काम और भी आसान कर दिया था| मैंने उनकी पजामी को नीचे किया और चुत में उंगली डालने लगा| सच में यारों मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं जन्नत में हूँ|

उसके बाद मैं 69 की पोजीशन लेते हुए नीचे की ओर हो गया | इससे मैं चादर के अन्दर ही उनकी चूत को चाटने लगा| वो भी मेरे लंड को मुँह में डाल रही थीं| कुछ टाइम बाद मैं भाभी के ही मुँह में झड़ गया| मेरा कुछ माल उनके मुँह में | और कुछ माल नीचे गिर गया|

कुछ पल बाद भाभी भी झड़ गईं| लेकिन मैंने उनकी चुत का रस नहीं पिया| बस उंगली घुसा कर मजे लेने लगा|

कुछ पल यूं ही रहने के बाद भाभी ने इशारा किया, तो मैं सीधा होकर भाभी से चिपक कर लेट गया| अब मैं चुत में उंगली करते करते उन्हें किस करने लगा| वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं| ट्रेन की कम्पन करती हुई गति हम दोनों को पूरा साथ दे रही थी|

पांच मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया| मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे पैर ने या भाभी ने खुद ही अपनी पजामी पूरी उतार दी थी| ऊपर ब्रा भी खोल दी थी|

मैंने पोजीशन बनाई और भाभी के ऊपर चढ़ कर अपना लंड भाभी की चूत में पेल दिया| भाभी ने अपनी टांगें फैलाते हुए मेरा लंड जज्ब कर लिया और मादक सिसकारियां लेने लगीं| लेकिन मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में दबा रखा था | तो उनकी आवाजें बाहर नहीं निकल पा रही थीं|

भाभी मेरे नीचे गरमगरम सांसें छोड़ते हुए मस्ती से लेटी हुई चुद रही थीं| मैं सिर्फ लंड घुसाए पड़ा था, बाकी का चुदाई का काम चलती ट्रेन ने किया|

गांव की प्यासी औरत

दस मिनट की चुदाई के बाद भाभी झड़ गयी थीं| मैं लगा हुआ था| कुछ देर बाद मेरा लंड छूटने को हुआ|
मैंने उनसे कान में कहा तो भाभी ने फुसफुसा कर कहा- अन्दर ही आ जाओ|

मैं भाभी की चुत तेजी से लंड चलाते हुए झड़ गया| मेरे साथ ही भाभी ने भी अपनी गांड उठाते हुए चुत को झाड़ दिया| हम दोनों एक साथ ही झड़ गए थे|

कुछ पल बाद भाभी ने अपने कपड़े पहने और उतर कर टॉयलेट में चली गईं| मैंने अपना लंड अपने लोअर में समेटा और भाभी का इन्तजार करने लगा|

भाभी बाथरूम से तैयार हो कर आ गईं| अब रात के 3 बजे थे| तभी ट्रेन किसी स्टेशन पर रुकी| मैंने देखा और उतर कर चाय ले आया| मैं भी पी और भाभी को भी पिलाई|

ट्रेन चल दी और हम दोनों फिर से चुदाई के लिए तैयार थे| लेकिन इस बार मेरे दिमाग में कुछ अलग था|

मैं अपने साथ हमेशा एक एनर्जी बढ़ाने वाला पाउडर रखता था, जो कि खाने में मीठा होता है| उसे मैंने अपने बैग से निकला| उसे मैंने खाया और कुछ भाभी को भी खिलाया|

भाभी ने पूछा कि ये क्या है|
मैंने कहा- स्पेशल पंजीरी है | प्रसाद में मिली थी|

भाभी ने बड़ी श्रद्धा से पाउडर खा लिया|

इसको खाने से किस करने में और भी मजा आता है| हम दोनों वापस लेट गए और एक ही चादर में लेटे हुए एक दूसरे को किस कर रहे थे| पाउडर ने काम दिखाना शुरू कर दिया था| मेरा लंड खड़ा हो गया था| भाभी उसे हिला रही थीं|

अब मैंने उनसे घूमने को कहा, वो पलट कर घूम गईं| मेरे लंड के सामने उनके मोटे मोटे चूतड़ थे|

मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और भाभी की गांड पर लगा दिया| एक हाथ से मैंने भाभी की एक टांग को उनके सीने की तरफ की और दूसरी अपने टांग के नीचे दबा ली| लंड ने भाभी की गांड के छेद को खोज लिया था|

तभी ट्रेन ने एक झटका लिया और मैंने मौके का फायदा उठा कर लंड अन्दर पेल दिया| इससे भाभी को बहुत दर्द हुआ| वो उछल कर आगे को हो गईं और बैठ गईं| वो मेरी तरफ गुर्रा कर देखने लगीं, तो मैंने उनकी चुची को पकड़ कर मसल दिया और सोने को कहा|

वो लेट गईं, लेकिन गांड में लंड नहीं डालने का इशारा करके लेट गईं| मैंने उन्हें प्यार से फिर से गर्म किया| भाभी के मम्मों को दबाकर और चुत में उंगली करके उसे कामुकता के शिखर पर ला दिया| अब मैंने भाभी से गांड मरवाने को कहा, वो गरम हो गई थीं, तो ये कहते हुए लेट गईं कि धीरे करना|

मैं धीरे धीरे करके अपना लंड भाभी की गांड में डालने लगा और मम्मों दबाने लगा| कुछ पल के दर्द के बाद उन्हें भी मजा आने लगा| हल्का दर्द भी हो रहा था| तब भी हम दोनों धीरे धीरे ऐसे ही गांड चुदाई करते रहे|

ऑटो वाले ने तोड़ी मेरी सील

कुछ देर बाद मैंने भाभी की गांड से लंड खींचा और उनको सीधा लिटा कर अपने सामने कर लिया| भाभी ने अपनी एक टांग उठा कर मेरे ऊपर की और मैंने उनकी चूत में लंड पेल दिया| लंड पेल कर मैं भाभी को किस करने लगा| वो भी मजे से आगे पीछे होकर चुत चुदवा रही थी|

इस तरह से हम दोनों ने 3 बार चुदाई का खेल खेला और सो गए| अगली सुबह उठे तो ट्रेन में भीड़ उतनी ही थी| जब ट्रेन गोरखपुर पहुंची, तो भीड़ कम हुई और हम नीचे सीट पर आ कर बैठ गए|

मैंने एक हाथ पजामे के ऊपर से उनकी चुत पर रख हुआ था| भाभी की चुत को सहला रहा था, मेरे हाथ के ऊपर उनका बैग था, तो किसी को पता नहीं चल रहा था| फिर मैंने देखा कि ट्रेन छपरा से सोनपुर के 3 घंटे के सफर में 7 ट्रेन थीं तो मैंने भाभी से पूछा कि अगर आप चाहें तो हम इधर उतर कर किसी होटल या रूम में एक घंटे चुदाई का मजे कर सकते हैं|

भाभी ने कुछ पल सोचा, फिर बोलीं- आपको तो आगे जाना है|

मैं बोला कि आगे एक स्टेशन जाने की 6-7 ट्रेन हैं | मैं उनमें से किसी भी ट्रेन से चला जाऊंगा|

वो बोलीं कि मैं अपने पति को क्या बोलूंगी?
मैंने कहा- बोल देना कि बस या कोई ट्रेन में जगह ही नहीं मिली| भीड़ के कारण आज आना नहीं हो पा रहा है| आज यही रुक जाना सुबह चली जाना|

इस पर वो मान गईं|

मैंने ट्रेन से उतर कर बाहर आकर एक होटल में एक रूम ले लिया| हम दोनों होटल के कमरे में घुसते ही किस करने लगे|

मैंने कहा- भाभी, हम पहले फ्रेश हो जाते हैं फिर मजा लेंगे|

पहले मैंने भाभी से एक साथ ही नहाने का कहा, मगर वो मना करने लगीं कि बाथरूम छोटा है| एक एक करके आराम से नहा लेना|

वो वाशरूम चली गईं, तो मैंने वहीं एक दूसरे कमरे में नहाने के लिए मैनेजर से कहा| उसने हां कह दिया| मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं था| जब मैं नहा कर जब रूम में गया, तो भाभी भी नहा कर बाहर आ गई थीं| उन्होंने अब साड़ी पहन ली थी| मैं कैप्री और बनियान में था|

फिर मैंने अपना मुँह उसकी तरफ कर दिया और भाभी को किस करने लगा| वो मेरा पूरा साथ दे रही थीं| मैंने अपने हाथ से उनका ब्लाउज खोल दिया और मम्मों को दबाने लगा| वो गर्म सिसकारियां लेने लगीं| हम दोनों बेड पर लेट गए| और किस करते करते अपने कपड़े भी उतार दिए|

वो सिर्फ पैंटी में थीं| काले रंग की पैंटी में भाभी क्या मस्त सेक्सी माल लग रही थीं| मैं उन्हें नीचे लेटा कर उनके सारे बदन को पागलों की तरह चूमने लगा और उनकी पेंटी निकाल दी|

उनकी चुत पर छोटे छोटे से रेशम से बाल थे| ऐसा लग रहा था, जैसे 3-4 दिन पहले ही झांटों को साफ़ किया हो|

मैंने 69 की पोजिशन ली और उनकी चुत पर जीभ लगा कर चुत चाटने लगा| उन्हें भी चुत चटवाने में मजा आ रहा था| वो पूरी तरह से गर्म हो गयी थीं|

तभी उनका पूरा शरीर अकड़ गया और वो झड़ गईं|

फिर हम दोनों सीधे होकर लिप किस करने लगे| उसके बाद भाभी फिर से 69 में हो गईं और वो मेरे लंड को चूसने लगीं|

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कुछ टाइम बाद वो सीधी लेट गईं और लंड पेलने का इशारा करने लगीं| मैंने उनकी टांगें चौड़ी कीं और अपना पूरा लंड चुत में पेल दिया| वो सिसकारियां भर रही थीं और मुझे किस कर रही थीं| दस मिनट की चुदाई के बाद हम झड़ गए और किस करते हुए लेटे रहे|

दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया| मैंने उन्हें अब पीछे गांड में लंड लेने को कहा, तो वो मना करने लगीं| मेरे समझाने पर वो मान गईं|

मैंने थूक लगा कर लंड को उनकी गांड में पेला और गांड मारने लगा| उसे इस बार कम दर्द हो रहा था| मैं एक बार में लंड पेल कर रुक गया|

कुछ पल बाद वो खुद आगे पीछे होने लगीं| तो मैंने झटके मार मार कर भाभी की गांड चुदाई की|

अब हम दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिए तैयार हो गए|

भाभी ने जाते जाते मेरा फोन नम्बर ले लिया| भाभी उसी रूम में रुक कर दूसरे दिन अपने गांव जाने वाली थीं|

दोस्तो, ये मेरी सच्ची और पहली सेक्स कहानी थी| आपको कैसी लगी, जरूर बताएं| धन्यवाद|

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