हाथ पकड़ा तो बोली चलो कमरे मे- Girlfriend ki Chudai

Girlfriend ki Chudai

मेरी मोटरसाइकिल खराब थी इसलिए मुझे बस स्टॉप पर बस का इंतजार करना पड़ रहा था। मैं बस स्टॉप पर बस का इंतजार कर रहा था कि तभी मेरा दोस्त आकाश मुझे दिखा आकाश ने मुझे देखते ही अपनी मोटरसाइकिल रोक ली और कहने लगा रोहित तुम अभी कहां जा रहे हो।

मैंने उसे बताया कि मैं अपने ऑफिस जा रहा हूं वह कहने लगा चलो मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफिस छोड़ देता हूं। मैंने आकाश को कहा ठीक है तुम मुझे मेरे ऑफिस तक छोड़ दो और आकाश ने उस दिन मुझे मेरे ऑफिस तक छोड़ा। आकाश हमारे पड़ोस में ही रहता है उस से मेरी मुलाकात करीब दो वर्ष पहले हुई थी दो वर्ष पहले आकाश का परिवार हमारे पड़ोस में रहने के लिए आया और आकाश के साथ मेरी अच्छी दोस्ती हो चुकी थी।

एक दिन मैं अपने घर पर ही था उस दिन शाम के वक्त मैं अपने कॉलोनी के पार्क में चला गया मैंने वहां देखा कि आकाश किसी लड़की के साथ सामने से आ रहा था मैंने उस लड़की को पहली बार देखा था। जब आकाश मेरे नजदीक आया तो उसने मुझे देखते हुए कहा की तुम यहां अकेले बैठे हुए हो तो मैंने उससे कहा बस ऐसे ही मैं यहां अकेला बैठा हुआ था।

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उसने मुझे उस लड़की से मिलवाया और कहा कि यह हमारे रिश्तेदार हैं यह यहां जॉब करने के लिए आई हुई हैं और कुछ दिनों यह हमारे साथ ही रहेंगे। मैं जब पहली बार मनीषा से मिला तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैं उसके बाद मनीषा से बात करने लगा था।

एक दिन मैं अपने घर से निकला ही था कि मैंने देखा मनीषा पैदल ही हमारी कॉलोनी के गेट से बाहर की तरफ जा रही थी तो मैंने उसे देखते हुए अपनी बाइक रोकी और मनीषा को कहा कि मैं तुम्हें छोड़ देता हूं। मनीषा कहने लगी कि नहीं मैं चली जाऊंगी मनीषा मुझे कहने लगी कि मुझे आप बस स्टॉप तक छोड़ दीजिए। मैंने उसे कहा ठीक है मैं तुम्हें बस स्टॉप पर छोड़ देता हूं और मैंने उसको बस स्टॉप तक छोड़ दिया।

उस दिन भी हम लोगों की ज्यादा बात नहीं हो पाई क्योंकि बस स्टॉप हमारे घर से बस कुछ ही दूरी पर है अब मैं अक्सर मनीषा को आते-जाते देखा करता। मनीषा को करीब आकाश के घर पर एक महीना हो चुका था कुछ दिनों से मनीषा आकाश के घर पर दिखाई नहीं दे रही थी और ना ही मुझे वह सुबह के वक्त दिखाई दी मेरी मुलाकात आकाश के साथ भी काफी दिनों से हो नहीं पाई थी।

जब मैं उस दिन आकाश को मिला तो मैंने आकाश से पूछा तुम कैसे हो तो वह मुझे कहने लगा कि मैं तो ठीक हूं तुम बताओ रोहित तुम कैसे हो और तुम्हारी जॉब कैसी चल रही है। मैंने उससे कहा मेरी जॉब भी अच्छी चल रही है और मैं भी ठीक हूं हम दोनों बात कर रहे थे तो मैंने उससे पूछा कि आजकल मनीषा नजर नहीं आ रही।

वह मुझे कहने लगा कि मनीषा अब अपने ऑफिस कि किसी लड़की के साथ रहती है मैंने उससे कहा लेकिन कुछ समय पहले तो मैंने उसे तुम्हारे घर पर ही देखा था वह कहने लगा कि हां लेकिन अब वह वहां रहने के लिए जा चुकी है। हम दोनों बात कर रहे थे हम लोगों ने काफी देर तक बात की उसके बाद आकाश कहने लगा अब मैं चलता हूं मैंने आकाश को कहा ठीक है और फिर आकाश चला गया।

मैं अपने घर वापस लौट आया था मैं जब घर लौटा तो उस दिन मां मुझे कहने लगी कि रोहित बेटा चलो हम लोग घर का कुछ सामान ले आते हैं मैंने मां से कहा ठीक है मां। मैं और मां उस दिन सामान लेने के लिए हमारे घर के पास ही डिपार्टमेंट स्टोर में चले गए वहां से हम लोगों ने सामान लिया और फिर हम लोग घर वापस लौटे।

जब हम लोग घर वापस लौटे तो पापा भी उस वक्त घर पर आ चुके थे। मनीषा को गए हुए काफी समय हो गया था मुझे इस बात का पता नहीं था कि वह कहां रहती है और ना ही मेरी उससे मुलाकात हो पाई थी। हम लोगों की किस्मत में शायद मिलना लिखा था तो एक दिन मैं अपने ऑफिस के कुछ दोस्तों के साथ मॉल में गया हुआ था और जब मैं मॉल में गया था तो उस वक्त मेरी मुलाकात मनीषा के साथ हुई। काफी समय बाद मैं मनीषा से मिल रहा था तो मनीषा मुझे कहने लगी कि रोहित आप कैसे हो।

मैंने उससे कहा मैं तो ठीक हूं लेकिन मैंने सुना है कि तुम अपनी सहेली के साथ रहती हो मनीषा कहने लगी कि हां मैं अब अपनी सहेली के साथ रहती हूं। मैं और मनीषा एक दूसरे के साथ बात कर रहे थे तो मनीषा के साथ उसकी एक सहेली थी वह कहने लगी चलो मनीषा देर हो रही है मैंने मनीषा को कहा मनीषा हम लोग फिर कभी मिलते है।

मैं भी आगे बढ़ा और मनीषा भी वहां से जाने लगी लेकिन तभी मनीषा ने मुझे आवाज दी और कहा कि रोहित क्या तुम मुझे अपना नंबर दे सकते हो। मैंने मनीषा से कहा ठीक है मैं तुम्हें अपना नंबर दे देता हूं मैंने मनीषा को अपना नंबर दिया और उसने मेरा नंबर अपने फोन में सेव कर लिया मैंने उसका नंबर नहीं लिया था मुझे लगा कि वह मुझे कॉल जरूर करेगी।

उस दिन मैं अपने दोस्तों के साथ मॉल में शॉपिंग करने के बाद जब अपने घर वापस लौट आया तो मुझे लग रहा था कि मनीषा मुझे फोन करेगी मैं मनीषा के फोन का इंतजार कर रहा था लेकिन मनीषा का फोन मुझे एक हफ्ते तक नहीं आया।

एक हफ्ते बाद जब उसका मुझे फोन आया तो मनीष और मैंने काफी देर तक बात की मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं सिर्फ उससे ही बात करता रहूं मेरा फोन रखने का बिल्कुल भी मन नहीं था। मैंने उस दिन तो फोन रख दिया था लेकिन उसके बाद भी मैं मनीषा से बात किया करता।

मैं और मनीषा एक दूसरे से बातें किया करते तो हमें अच्छा लगता मनीषा और मेरे बीच दोस्ती हो चुकी थी। मनीषा को जब भी किसी चीज की जरूरत होती तो वह मुझे जरूर कह दिया करती एक दिन मनीषा मुझसे कहने लगी रोहित मुझे तुमसे मिलना है मैंने उसे कहा ठीक है हम लोग आज मिलते हैं वैसे भी आज मेरे ऑफिस की छुट्टी है तो मनीषा ने मुझे अपने घर के पास ही एक रेस्टोरेंट है वहां पर बुला लिया।

मैं भी उसे मिलने के लिए चला गया जब वहां पर मैं उसे मिलने गया तो मनीषा को देख उस दिन में बहुत ज्यादा खुश था क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही थी। जब मनीषा मेरे पास आकर बैठे तो मैंने मनीषा को कहा आज तुम बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही हो मनीषा इस बात से खुश हो गई और कहने लगी रोहित लगता है आज तुम मेरी कुछ ज्यादा ही तारीफ कर रहे हो। मैंने उसे कहा नहीं मनीषा वाकई में तुम बहुत सुंदर लग रही हो।

हम दोनों की कुछ देर तक बात हुई मैं मौका ढूंढ रहा था कि किसी तरह मै मनीषा का हाथ पकड़ लूं तभी मैंने मनीषा का हाथ पकड़ लिया। जब मैंने उसका हाथ पकड़ा तो हम लोग रेस्टोरेंट में काफी देर तक बैठे हुए थे लेकिन मनीषा भी समझ चुकी थी कि मुझे क्या चाहिए।

मैने जैसे ही बिल दिया तो उसके बाद मनीषा और मैं मनीषा के फ्लैट में चले गए। हम लोगों के लिए बहुत ही अच्छा मौका था हम दोनों एक दूसरे के साथ समय बिता पाए मैंने मनीषा को देखते ही उसकी जांघों को सहलाना शुरु कर दिया जब मैं ऐसा कर रहा था तो उसके बदन की गर्मी बढ़ती जा रही थी और मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी।

मैंने उसको कहा मैं पूरी तरीके गरम हो चुका हू जब मनीषा ने मेरे होठों को चूमना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा और मेरे अंदर की गर्मी अब इस कदर बढ़ चुकी थी कि मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था।

मैंने उससे कहा मेरे अंदर कि गर्मी आज बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं अब हम दोनों को ही लगने लगा था कि हम दोनों एक दूसरे के लिए बहुत ज्यादा तड़पने लगे थे। मैंने जब अपन लंड को बाहर निकाला तो उसे मनीषा ने तुरंत अपने मुंह में ले लिया और जिस प्रकार से वह चूस रही थी मुझे बहुत ही अच्छा लगा।

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जब मेरे मोटे लंड को वह अपने मुंह में ले रही थी तो मुझे बहुत अच्छा लग रहा थावह लगातार ऐसे ही कर रही थी उसने मेरे लंड से पानी भी बाहर निकाल दिया था लेकिन मुझे एहसास हो चुका था कि उसकी गर्मी भी बहुत ही ज्यादा बढ़ चुकी है इसलिए वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही है।

मैंने भी उसके कपड़े उतारकर उसे अपने सामने नंगा कर दिया जब वह मेरे सामने नग्न अवस्था में थी तो मैंने उसे बिस्तर में लेटाया और उसके स्तनों को मैं अपने मुंह में लेकर उनका रसपान करने लगा मुझे बहुत अच्छा लग रहा था जब मैं उसके स्तनों का रसपान कर रहा था।

मेरे अंदर की गर्मी पूरी तरीके से बढ़ने लगी और मुझे बहुत अच्छा लगने लगा था मैंने मनीषा की चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसके गुलाबी चूत से पानी बाहर की तरफ को निकलने लगा और कुछ देर तक मैंने उसकी चूत को चाटा फिर मैंने जैसे ही अपने लंड को उसकी चूत के अंदर धकेलते हुए डाला तो वह बड़ी जोर से चिल्लाई और मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।

अब मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मैंने उससे कहा मेरे अंदर कि आग बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है मैंने उसे तेज गति से धक्के दिए उसकी सील पैक चूत थी इसलिए उसकी चूत से खून बाहर निकल आया था।

मनीषा की मोटी जांघो को मैंने अपने हाथों में उठा लिया था वह भी मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ने की कोशिश करने लगी थी लेकिन मैं उसको जैसे चोद रहा था उस से वह पूरी तरीके से खुश हो चुकी थी मैंने उसकी चूत से पूरी तरह पानी को बाहर निकाल कर दिया था वह संतुष्ट हो गई थी और मैं भी संतुष्ट हो चुका था।

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