पैसे के लालच में गांड मरवाई – Gay Sex Stories

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दोस्तों एक बार फिर से मैं आपके लिए एक और बेस्ट हिंदी गे सेक्स स्टोरी ले कर आया हूँ जिसमे मैं पैसो के लालच में अपनी गांड फड़वा ली, उम्मीद करता हूँ आपको ये कहानी बहुत पसंद आएगी। तो चलिए चलते है अपनी कहानी पर।

मैं दिल्ली गया था वहां मुझे यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला था। काफी लेट एडमिशन की वजह से मुझे हॉस्टल में जगह नहीं मिली।

आख़िर मुझे एक निजी फ्लैट में जगह मिल गई बस वहां मसला ये था के वहां मुझे एक और बंदे के साथ रूम शेयर करना था। वो पहले से वहीं रह रहा था।

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जब मैं उसे मिला तो 6 फीट 3 की हाइट का जिम फिट आदमी मेरे सामने खरा था। उसकी उम्र 38 प्लस थी, वो नॉएडा से था और यहां मॉडलिंग वेगेरा का काम करता था।

उसका नाम मिन्टू था, उसके सामने मेरा मोटा-मोटा जिस्म देख के शरम आती थी। अब वो अक्सर घर में अंडरवियर में घूम रहा था। सारा दिन एक्सरसाइज वगेरा में बिजी हो जाता था।

आहिस्ता-आहिस्ता उसने मुझे भी वर्कआउट करने की आदत डाल दी। हम दोनों फिर साथ में वर्कआउट करते थे। मैं उनको बड़ा भाई बोलता था लेकिन वह मुझसे 18 साल बड़ा था।

मैं और वो अक्सर अंडरवियर में घर पे घूमते रहते थे और एक दूसरे के साथ काफी आरामदायक थे। मेरा कोई आकर्षण नहीं थी उसकी तरफ और मैं बिल्कुल सीधा था।

उसके साथ कुछ ही महीनों में मेरा काफी वजन कम हुआ था और मेरी गांड भी काफी उभर गई थी। और जिस्म बिल्कुल गोरा और चिकना था तो हर कोई सिर्फ मेरी गांड को देखता तो समझता की Delhi Escort Service देने वाली लड़की की गांड है।

अब उन दिनों हुआ यूं कि सोहन भाई ने कहा उनको वापस जाना पड़ेगा। उसने बोला कोई बात हो गयी है तो इसके लिए उन्हें वापस जाना होगा।

अब असल में हुआ कुछ ऐसा था कि सोहन जहा काम करता था वहां एक बंदे की रंडी थी। वो वहां का कोई लोकल था और सोहन को चोदता था और खर्चा पानी भी देता था।

सोहन ने उसे थोड़ा उधार लिया था और भाग गया था। मैं इस बंदे से काफ़ी बार घर पे मिल चुका था। उसका नाम दिलीप था. उसकी लम्बी हाइट थी और काफ़ी डरावना दिखता था।

सोहन भाई के जाने के 1 महीने बाद वो घर पे आया। मैंने उसे बताया के सोहन नहीं है। वो वापस चला गया और फिर एक महीने बाद आएगा।

सोहन ने उसका फ़ोन उठाना भी बंद कर दिया था। मुझे इसकी फिक्र नहीं थी क्यों ये मेरा उससे कोई मतलब नहीं था।

काफ़ी महीने गुज़रने के बाद एक दिन दिलीप बिल्कुल गुस्से में आया। मैं उस समय वर्कआउट कर रहा था और मैंने अंडरवियर में ही दरवाजा खोला।

दिलीप बहुत गुस्से में था, मैंने उसे अंदर बुलाया और चाय पानी दिया। मैं आपको बता दूं कि अभी भी अंडरवियर में ही घूम रहा था क्योंकि वहां रहकर तो शर्म ही ख़तम हो गई थी ना।

दिलीप मेरी गांड पर नज़र घूमा रहा था। मैंने फिर शॉवर लेना शुरू कर दिया और दिलीप वही बैठा था लाउंज में। मुझे पता नहीं क्यों लगा के दरवाजा खोलने की कोशिश की हो किसी ने।

शॉवर में मैंने ध्यान नहीं दिया। शावर करके में बाहर आया तो दिलीप बैठा टीवी देख रहा था। हमने बात की और सोहन से भी बात करने की कोशिश की।

दिलीप को मैंने समझाया की अब वो शायद नहीं आएगा वो तुम्हारे पैसे लेके भाग गया है। दिलीप ने मुझे फिर सच बताया के वो सोहन भाई को पैसे क्यों देता था।

मैं तो हेरान हो गया के सोहन भाई गांड मरवाता था और पैसे लेता था। दिलीप ने बताया की उसे देसी लड़के बहुत पसंद हैं। वो असल में कोशिश कर रहा था मुझे फंसाने की।

सच बताऊं जब मैं सोच रहा था कि गांड मरवाने के सोहन भाई को कितने पैसे मिलते थे तो मेरे मुंह में भी पानी आ गया था। लेकिन में गांडू नहीं था।

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दिलीप ने आख़िर मुझे बोला “अगर तुम कभी सेक्स करना चाहो तो आ जाओ मैं तुम्हें ढेर सारे पैसे दूंगा, मुझे देसी लड़को की गांड बहुत पसंद हैं”।

ये बोलके वो उठके चला गया, मैं गे तो नहीं था लेकिन धीरे-धीरे मेरा मन उसकी तरफ जा रहा था। हर वक्त दिमाग में बस वही चल रहा था।

मैंने आहिस्ता-आहिस्ता गे पोर्न देखना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद मैं खुद ही अपनी गांड में उंगली करने लगा। फिर आहिस्ता आहिस्ता सेक्स टॉयज और डिल्डो भी लेके आ गया।

मैं 6 इंच का डिल्डो अपनी गांड में आराम से लेने लगा था और मुझे मजा भी आ रहा था। मैं अब असल चीज़ ट्राई करना चाहता था। एक दिन मैंने दिलीप को संदेश भेजा और उसने वीकेंड को मिलने का प्लान बनाया।

उसने मुझे पता दिया। मैं वहां जगह पे रात के 10 बजे गया। वो एक क्लब था जो दिलीप का अपना था। क्लब के पीछे साइड पे रंडी खाना था, मुझे लगा के मुझे सिर्फ दिलीप से चुदवाना होगा लेकिन ये मेरी गलती थी।

मैं दिलीप के ऑफिस में बैठा और दिलीप ने पहले मुझसे पैसे पूछे कितने लूंगा। अब मुझे इसका कुछ नहीं पता था तो मैंने बोला के जितना सोहन भाई को उतना दे दो।

दिलीप ने पहले पेमेंट दे दी और फिर ऑफिस का दरवाजा लॉक करा दिया। मुझे कपड़े उतारने को बोला, वो माल चेक करना चाहता था। मेरी गांड पकडी और दबाने लगा और फिर मुझे टेबल के साथ लगाया।

मेरी गांड फेलाई और थूक लगाई, मुझे उसका लंड अपनी गांड पे फील हुआ, अब मुझे पता नहीं था उसका लंड कितना बड़ा होगा।

6 इंच का तो मैं आराम से लेता हूँ मुझे सेक्स टॉयज से आदत हो गई थी। लेकिन दिलीप का 8 इंच का लंड था। उसने जैसे ही झटका दिया, मेरी चीख निकल गई।

दिलीप ने मेरे मुँह पर हाथ रखा और ज़ोरदार झटका दिया। उसका मोटा लंड मेरी गांड फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। मेरी आँखों से आँसू निकल आये। दूसरे झटके में पूरा लंड अंदर घुसा दिया।

उससे कोई परवाह ना किया और बस चुदाई करने लगा। उसे मेरे दर्द से फ़र्क ही नहीं पड़ रहा था। वो मेरी गांड स्पीड से मर रहा था और टेबल पे दर्द में मर रहा था।

मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे और मुंह पर हाथ की वजह से चिल्ला भी नहीं पा रहा था। मेरी 25-30 मिनट तक दर्दनाक चुदाई हुई मेरी। फिर उसने लंड निकाला और मुझे ज़मीन पे ढकेल दिया और मेरे मुँह पे माल निकल दिया।

मैं वहीं चादर पर 15 मिनट तक रहा। जब उठा तो गांड दर्द से दुख रही थी। मुझे लगा बस यही था और मैं तैयार होके निकलने लगा। दिलीप ने मुझे रोका और बोला अभी तो रात शुरू हुई है तुमने पूरी रात के पैसे लिए हैं।

मेरी तो फट गयी, खैर मैंने सोचा के पहली चुदाई में दर्द हुआ था आगे नहीं होगा। दिलीप मुझे फिर निचे ले गया और वहां एक कमरा था। पूरा लाल रंग का कमरा था और वहां बीडीएसएम वाला सामान पर था।

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पैसो के लालच में अपनी गांड फड़वा ली

मेरी ये देख के फट गई, दिलीप से पूछा तो उसने बताया के सोहन को ऐसे चोदते थे। मैंने बोला ये नहीं करूंगा बस नॉर्मल चुदाई। उसने फिर क्लियर किया के ये चीज़े इस्तेमाल नहीं करेंगे बस मेरे हाथ पांव बांधेंगे।

मैंने बोला चलो ये स्वीकार्य है, मैने कपडे उतारा और बिस्तर पर लेट गया। वहां जंजीरों से मेरे हाथ और पांव बिस्तर के कोनों से बांध दिया। मैं उल्टा लेटा हुआ था।

दिलीप ने मेरे पेट के नीचे एक तकिया टाइप चीज रख दी और मेरी गांड उठा दी। दिलीप ने फिर मेरे मुँह में एक बॉल गुसा दिया। उसका कहना था कि मैं चिल्लाऊं ना।

मुझे तो मज़ा आ गया था, दिलीप फिर बिस्तर पर चढ़ा और मेरी गांड पे अपना लंड सेट किया और एक झटके में पूरा घुसा दिया। उफ्फ इतना दर्द हुआ था के मेरे आंसू फिर से निकल आये।

मुहं में बॉल गैग था तोह में चिल्ला ना पाया। दिलीप ने मेरी दूसरी चुदाई शुरू की, वो मेरी गांड पर थापड मर रहा था और मेरे निपल्स भी दबा दबा के लाल कर दिए थे।

बहुत रफ चुदाई की उसने मेरी, इस बार चुदाई में मुझे आहिस्ता-आहिस्ता मजा आ रहा था। जल्दी ही इतना मजा आया और मेरे लंड से पानी बहना लग गया। उफ्फ क्या मजा आया।

दिलीप ने 30 मिनट और चोदा और मेरी गांड भर दी। मेरी गांड खुल गई थी उसका पानी मेरी गांड के छेद से बह रहा था। मुझे लगा फिर से आराम करेगा और चोदेगा लेकिन ऐसा ना हुआ।

दिलीप अपनी पैंट पहनके रूम से बाहर गया और अभी भी उस पोजीशन में वहीं पर था। मेरी गांड से उसके लंड का पानी लीक हो रहा था।

15 मिनट बाद एक गंजा आदमी घुसा रूम में। मेरी फट गई, उसने जल्दी से कपड़े उतारे और लंड मेरी गांड पे रखदिया। वो बोल रहा था के दिलीप प्यारा माल लाया है और ऐसी बातें कर रहा था।

मैं डर गया के ये कौन है भाई लेकिन मैं ना हिल पा रहा था और ना कुछ बोल पा रहा था। गांजे का लंड छोटा था दिलीप से तो आराम से गांड में घुसा।

उसने 15-20 मिनट स्पीड से चोदा और गांड के ऊपर माल निकल दिया। फिर वो अपने कपडे पहनके निकल गया। फिर कुछ देर बाद एक और बंदा आया फिर एक और फिर एक साथ 3 लोग।

सुबह के 5 बजे तक मुझे 9-10 लोगों ने चोद दिया था। मुझे फिर समज आया के इतने पैसे एक रंडी बनने के मिल रहे थे। मुझे सुबह 8 बजे दिलीप ने आज़ाद किया।

पहले तो मैंने उससे पूछा के इतने लोगों से क्यों चुदवाया। तो उसने बोला के सोहन भी यही करता था। मुझे गुस्सा ज़रूर आया था अंजान लोगों से चुदवाने पे लेकिन मुझे इतना मज़ा आया था के में खुद 4-5 बार पानी निकाल चूका था।

मैंने तो सोचा था कि ये फिर से नहीं करूंगा। लेकिन आपको पता है गांड की खुजली और पैसे की भूख ने आख़िर मजबूर कर दिया। मैं एक हफ्ते बाद वापस वहां गया और काफी लोगों से चुदवाया।

फिर मैं वहां की रेगुलर रंडी बन गया। दिलीप मुझे काफी लोगों से चुदवाता है। कुछ अमीर लोग अपने घर भी पूरी रात के लिए ले जा कर मुझे खूब चोदता था।

मेरी बहुत चुदाई हुई, मेरी गांड में हर वक़्त किसी ना किसी का लंड होता था। पैसे भी बहुत अच्छे मिल जाते थे, 6 महीने हो गए हैं इस बात को और मैं आज भी चुदवा रहा हूं दिलीप के अड्डे पे।

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