पहला और आखिरी सेक्स प्रेमी संग- Antarvasna Sex Story
मैं चंडीगढ़ की रहने वाली हूं मेरा नाम सिमरन है मेरे जीवन में मैंने कई सपने देखे लेकिन मेरे माता-पिता की वजह से मेरे सपने कभी पूरे हो ही नहीं पाए क्योंकि वह लोग चाहते हैं कि मैं शादी कर के अपना घर बसा लूं।
मेरी पढ़ाई को अभी पूरे हुए दो वर्ष हुए हैं लेकिन मैं नहीं चाहती कि मैं शादी करूं इसीलिए मैंने अपने माता पिता से कहा कि मैं शादी नहीं करना चाहती। मेरे ताऊ जी की लड़की की शादी कुछ समय बाद होने वाली थी और वह अपनी शादी से बहुत खुश थी मैं और वह दोनों साथ बैठे हुए थे मैंने उससे पूछा क्या तुम अपनी शादी से खुश हो तो वह मुझे कहने लगी कि हां मैं अपनी शादी से बहुत खुश हूं।
वह जैसा लड़का चाहती थी उसे बिल्कुल वैसा ही लड़का मिल मिला इसी वजह से वह खुश थी लेकिन मेरे सपने कुछ और ही थे मैं चाहती थी कि मैं मुंबई जाकर जॉब करूं और मैं अपने सपनों को पूरा करना चाहती थी इसके लिए मैंने जब अपने माता-पिता से बात की तो वह कहने लगे कि बेटा हमारे घर में लड़कियां जॉब नहीं करती।
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आज भी वह लोग रूढ़िवादी विचारधारा को अपनाए हुए हैं जिस वजह से मैं अपनी कॉलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद भी घर पर ही थी मेरा दम घुट रहा था और मैं बिल्कुल भी खुश नहीं थी।
मैं हमेशा यह सोचती कि कैसे मैं मुंबई जा पाऊंगी मैंने अपनी मम्मी से बात की लेकिन वह भी इस बात के लिए तैयार नहीं थी काफी समझाने के बाद वह लोग मेरी बात माने। जब वह लोग मेरी बात माने तो मैंने उन्हें कहा कि आप मुझे सिर्फ एक वर्ष के लिए मुंबई जाने दीजिए मैंने उन्हें मना तो लिया लेकिन मेरे लिए मुंबई जाना इतना आसान भी नहीं था।
मैंने अपनी सहेली को फोन किया वह मुंबई में ही रह रही थी वह काफी वर्षों से मुंबई में रह रही थी इसलिए मैंने उसे कहा कि मैं मुंबई आ रही हूं तो उसने मुझे कहा कि ठीक है तुम मुंबई आ जाओ।
मैं अपनी सहेली के पास चली गई और जब मैं मुंबई गई तो मेरे लिए सब कुछ इतना आसान होने वाला नहीं था मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी और उस तरीके से मुझे मैनेज करने में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था।
मेरी सहेली राधिका के साथ उसकी ऑफिस की ही एक दोस्त रहती है हम तीनों साथ में रहने लगे मेरे पास जॉब नहीं थी और मैं अभी भी इंटरव्यू दे रही थी। मुझे मुंबई आए हुए करीब एक हफ्ता होने को था एक हफ्ते में मेरे पास कोई जॉब नहीं थी मेरे माता-पिता मुझे हर रोज फोन करते और मुझसे मेरी जॉब के बारे में पूछते लेकिन मेरे पास कोई जवाब नहीं होता।
मैं सोचने लगी कि किस प्रकार से मैं मुंबई में रहूंगी क्योंकि मेरे पास ज्यादा पैसे भी नहीं थे और मैंने अपने मम्मी पापा से कहा था कि मैं एक वर्ष तक मुंबई में रहना चाहती हूं उन्होंने मुझे इसी शर्त पर भेजा था कि मैं एक वर्ष बाद घर लौट आऊंगी। इतनी मेहनत के बाद आखिरकार मेरी जॉब लग ही गई मेरी जॉब जिस कंपनी में लगी उस कंपनी में मेरी मुलाकात सुशील से हुई।
सुशील से जब मेरी मुलाकात हुई तो सुशील मेरा अच्छा दोस्त बन गया और सुशील के साथ मैं ऑफिस में काफी अच्छा समय बिताती। मेरे जीवन में सब कुछ अच्छे से चल रहा था मैं भी इस बात से बहुत खुश थी कि मेरी जॉब लग चुकी है और मैं अपने तरीके से अपनी जिंदगी जी पा रही हूं मुंबई में अब मेरे दोस्त बनने लगे थे।
एक दिन सुशील ने मुझे कहा कि आज मैं तुम्हें अपने दोस्तों से मिलवाता हूं सुशील ने मुझे उस दिन अपने दोस्तों से मिलवाया और जब मैं पहली बार राजेश को मिली तो राजेश को मिलकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा मैंने कभी सोचा नहीं था कि राजेश और मेरे बीच में प्रेम संबंध बन जाएंगे और हम दोनों एक दूसरे को इतना पसंद करने लगेंगे कि हम दोनों एक दूसरे के बिना रह ही नहीं पाएंगे।
इसी बीच पापा की तबीयत खराब हो गई और मुझे कुछ दिनों के लिए चंडीगढ़ जाना पड़ा मैं जब चंडीगढ़ वापस लौटी तो पापा को मम्मी ने ही संभाला घर में मैं एकलौती हूं।
मेरी मम्मी कहने लगी कि बेटा अब हम चाहते हैं कि तुम्हारी शादी हो जाए लेकिन पापा ने कहा कि सिमरन को मुंबई में रहने दो अगले साल हम लोग उसकी सगाई कर देंगे।
पापा की तबीयत अब ठीक होने लगी थी और मैं थोड़े दिनों बाद ही मुंबई लौट आई जब मैं मुंबई लौटी तो मैंने राजेश को यह बात नहीं बताई थी कि मेरे और उसके बीच शायद रिश्ता हो ही नहीं सकता लेकिन मुझे यह बात तो राजेश को बतानी ही थी। मैंने जब यह बात राजेश को बताई तो राजेश मुझे कहने लगा कि सिमरन मैं तुमसे प्यार करता हूं और मैं तुमसे शादी कर के ही रहूंगा।
मैंने उसे समझाया की मेरे माता-पिता पुराने ख्यालातो के हैं वह हम लोगों के रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेंगे और मुझे नहीं लगता कि वह लोग मेरी बात मानेंगे। राजेश ने कहा कि हम लोग सब समय पर छोड़ देते हैं कि क्या होता है हम लोग एक दूसरे के साथ अच्छा समय बिताते जब भी मैं राजेश के साथ होती तो मुझे ऐसा लगता कि जैसे दुनिया की सारी खुशियां मेरे कदमों में है।
राजेश मेरा बहुत ध्यान रखता और वह मुझे बहुत प्यार भी करता समय के साथ-साथ अब मुझे एक वर्ष पूरे होने आए थे और मैं इसी ख्याल में डूबी हुई थी कि जब मैं चंडीगढ़ वापस चली जाऊंगी तो क्या मैं राजेश को कभी मिल भी पाऊंगी।
मुझे यह बात अच्छे से मालूम थी कि राजेश के साथ मेरे पिताजी मेरी कभी शादी नहीं करवाएंगे और ना ही मेरे परिवार वाले इस बात के लिए मानेंगे लेकिन मैं चाहती थी जितना समय भी मैं राजेश के साथ रहूं उतना समय मैं अच्छे से बिताऊं। राजेश और मैं एक दूसरे को अच्छे से समय देने की कोशिश करते मैंने राजेश को यह बात भी बता दी थी कि मैं कुछ दिनों बाद चंडीगढ़ लौट जाऊंगी तो राजेश कहने लगा कि मैं तुम्हारे पापा मम्मी से तुम्हारा हाथ मांग लेता हूं।
मैंने राजेश को कहा देखो राजेश यह सब इतना आसान नहीं है हम लोग जितने भी समय साथ में है उतना समय कम से कम हम लोग अच्छे से बिता सकते हैं बेवजह तुम इस समय को बर्बाद ना करो। राजेश भी मेरी बात को समझ चुका था तो हम लोग एक दूसरे के साथ बड़े ही अच्छे से समय बिताते मैं राजेश के साथ समय बिता कर बहुत खुश थी और मेरे लिए यह बड़ी खुशी की बात थी कि कम से कम राजेश मेरे साथ है और वह मुझे प्यार करता है।
जब रात को मैं सोती तो मेरी आंखों के सामने सिर्फ राजेश का चेहरा था और मुझे लगता कि क्या मैं राजेश के बिना रह पाऊंगी परंतु अब मुझे चंडीगढ़ जाना था और मैं चंडीगढ़ जाने की तैयारी कर चुकी थी। मैं जब चंडीगढ़ जाने की तैयारी में थी तो मैं चाहती थी मैं राजेश के साथ अच्छा समय बिताऊ राजेश को मैंने घर पर बुला लिया राजेश घर पर आया तो हम दोनों साथ में बैठे हुए थे मेरी दोनों रूममेट घर पर नहीं थी।
राजेश के साथ मुझे अकेले में समय बिताने का मौका मिल चुका था इससे पहले हम दोनों ने एक दूसरे के बारे में कभी भी कुछ सोचा नहीं था लेकिन आज जब मैं चंडीगढ़ जाने की तैयारी में थी तो राजेश ने मुझे गले लगाया।
जब उसने मुझे गले लगाया तो वह मेरे होठों को चूमने लगा मैं भी राजेश के लिए तड़प रही थी मैं भी कहां अपने आपको रोकने वाली थी और जैसे ही मैंने कपड़ों को उतारना शुरू किया तो राजेश भी अब कहां पीछे रहने वाला था राजेश ने अपने कपड़े उतार दिए हम दोनों एक दूसरे के साथ एक दूसरे की गर्मी को महसूस कर रहे थे।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था राजेश ने मेरे होठों का रसपान बहुत देर तक किया उसने मेरे स्तनों का रसपान भी करना शुरू किया वह जिस प्रकार से मेरे स्तनों का रसपान कर रहा था मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और मैं काफी देर तक उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मुझे उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने में बड़ा आनंद आ रहा था वह भी बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहा था।
मैंने जब अपने दोनों पैरों को खोला तो उसने मेरी चूत पर अपनी जीभ को लगाया मेरी चिकनी चूत पर पहली बार ही किसी ने अपनी जीभ को लगाया था वह मेरी चूत को बड़े अच्छे से चाट रहा था उसने मेरी चूत का मजा बहुत देर तक लिया और आखिरकार वह क्षण आ ही गया जब वह मेरी कोमल और मुलायम चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता था जैसे ही उसने अपने लंड को मेरी चूत के अंदर प्रवेश करवाया तो मुझे बहुत अच्छा लगा और मेरी चूत के अंदर अब राजेश का लंड जा चुका था मेरी चूत से खून निकलने लगा था।
मेरी चूत से निकलता हुआ खून अब इतना बढ़ने लगा कि उस से वह उत्तेजित होने लगा वह मेरे दोनों पैरों को खोल कर बड़ी तेज गति से मुझे धक्के दे रहा था। जिस प्रकार से वह मुझे धक्के मार रहा था उससे मैं बहुत ही ज्यादा खुशी थी उसने काफी देर तक मुझे चोदा। उसने मेरी चूत के अंदर से खून निकाला और मेरी चूत के अंदर अपने माल को गिराया उससे मैं बहुत ज्यादा खुश हो गई थी।
मैं चाहती थी कि एक बार और मैं राजेश के साथ सेक्स संबंध बनाऊ हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से बात करते रहे और एक दूसरे की बाहों में हम लोग लेटे हुए थे। दोबारा से हम दोनों के अंदर गर्मी बढ़ने लगी और मैंने राजेश के लंड को अपने मुंह में समा लिया जब मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो मुझे मज़ा आ रहा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था मैंने अपने दोनों पैरों को खोल और अपनी चूत पर राजेश के लंड को लगाते हुए अपनी चूत के अंदर डाल दिया। राजेश के लंड को लेने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी।
राजेश का लंड मेरी चूत के अंदर जा चुका था और जैसे ही उसका लंड मेरी चूत के अंदर गया तो मैंने अपनी चूतड़ों को ऊपर नीचे करना शुरू किया राजेश बहुत ज्यादा खुश हो रहा था और मेरी चूतडे जब राजेश के लंड से टकराती तो राजेश का लंड तन कर खड़ा हो जाता।
राजेश का लंड छिल चुका था मैं बहुत देर तक अपनी चूतड़ों को हिलाती जा रही थी करीब 10 मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे के बदन की गर्मी को महसूस किया और मेरी चूत में जैसे ही राजेश का वीर्य गिरा तो मैंने उसको कहा आई लव यू राजेश शायद हम अब कभी मिल ना पाए लेकिन उसके बाद भी मैं तुमसे हमेशा प्यार करती रहूंगी। राजेश ने कहा तुम मुझसे ऐसी बात ना करो और मैं वापस चंडीगढ़ चली गई आज तक मैं राजेश से नहीं मिल पाई हूं।
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