संजना की चुदाई जो भूले नही भूलती- Antarvasna Sex Story
- By : Admin
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मेरा भी ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था और मैं अब नौकरी की तलाश में था मैंने कई कंपनी में इंटरव्यू दिए लेकिन मेरा कहीं भी अभी तक सिलेक्शन नहीं हो पाया था लेकिन जल्द ही मेरा सिलेक्शन एक कंपनी में हो गया।
जब वहां पर मेरी जॉब लगी तो कुछ समय के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ा मैं दिल्ली गया और दिल्ली में कुछ दिनों तक मुझे ट्रेनिंग करनी थी। दिल्ली में हम लोग करीब एक हफ्ते तक रहे और उसी बीच मुझे महेश मिला महेश से मेरी काफी अच्छी दोस्ती हुई।
महेश और मैं एक ही कंपनी में जॉब करते हैं हम दोनों एक ही शहर के रहने वाले थे इसलिए महेश और मैं एक दूसरे के साथ काफी बात किया करते।
महेश मेरे ऑफिस में ही जॉब करता है और हम दोनों जयपुर के ही रहने वाले हैं महेश जिस जगह रहता है वहां पर मेरी मौसी भी रहती थी।
मैंने महेश को इस बारे में बताया कि मेरी मौसी भी तो तुम्हारे पड़ोस में ही रहती है तो वह मुझे कहने लगा कि मैं उन्हें अच्छे से पहचानता हूं और वह लोग भी हमारे घर पर आते जाते हैं हम लोगों का उनसे काफी अच्छा फैमिली रिलेशन है।
मैं काफी दिनों के बाद अपनी मौसी को मिलने के लिए गया था मैं जब अपनी मौसी को मिलने के लिए गया तो वहां पर मुझे महेश भी मिला महेश ने मुझे अपने घर पर चलने के लिए कहा तो मुझे भी महेश के घर पर जाना पड़ा और मैं महेश के घर चला गया।
जब मैं महेश के घर पर गया तो उस दिन महेश ने मुझे अपने पापा मम्मी से मिलवाया, महेश के बड़े भैया जो कि उस दिन घर पर ही थे महेश ने मुझे उनसे भी मिलवाया। उस दिन मैं महेश के साथ करीब एक घंटे तक था और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था।
मैं जब घर लौटा तो मैंने मां से कहा कि मां मैं आज मौसी से मिला था तो वह कहने लगी कि बेटा लेकिन तुमने तो मुझे कुछ इस बारे में बताया ही नहीं था। मैंने मां से कहा कि मां मैं आज अपने दोस्त को मिलने के लिए भी गया था और मैंने सोचा कि आज मौसी के से भी मुलाकात कर लेता हूं।
मां पूछने लगी तुम्हारी मौसी कैसी हैं तो मैंने उनसे कहा कि मौसी तो ठीक है और वह आपको भी याद कर रही थी। मां मुझे कहने लगी कि काफी दिन हो गए हैं तुम्हारी मौसी से भी मैं मिल नहीं पाई हूं घर के कामकाजो में मैं इतनी ज्यादा उलझी रहती हूं कि बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता है।
मैंने मां से कहा कि मां हम लोग अगले हफ्ते मौसी के घर चलते हैं मेरी उस दिन छुट्टी होगी तो मैं आपको मौसी के घर ले चलूंगा मां कहने लगी ठीक है बेटा अगले हफ्ते हम लोग तुम्हारी मौसी के घर हो आते हैं।
अगले हफ्ते हम लोग मेरी मौसी के घर चले गए जब हम लोग मौसी के घर गए तो मैं कुछ देर तक मौसी के साथ ही था और उसके बाद मैं महेश के घर पर चला गया। जब मैं महेश के घर गया तो महेश भी घर पर ही था लेकिन महेश और उसकी फैमिली को कहीं जाना था तो मैंने महेश को कहा कि अभी मैं चलता हूं और फिर मैं मौसी के घर पर लौट आया।
मैं जब मौसी के घर पर आया तो काफी ज्यादा देर भी हो चुकी थी तो मैंने मां से कहा कि मां अब हम लोग चलते हैं मां कहने लगी ठीक है बेटा। उसके बाद हम लोग घर लौट आए थे जब हम लोग घर लौट रहे थे तो रास्ते में मेरी बाइक अचानक से बंद हो गई तो मैंने थोड़ी देर बाइक को रोक कर रखा और फिर बाइक स्टार्ट हो गई उसके बाद हम लोग घर लौट आए थे।
जब हम घर लौटे तो पापा भी घर आ चुके थे और वह मुझे कहने लगे कि आकाश आज तुम कहां चले गए थे तो मां ने कहा कि हम लोग आज मेरी छोटी बहन के घर चले गए थे।
मैंने मां से कहा कि मां मैं अपने कमरे में जा रहा हूं और मैं अपने रूम में चला आया और अपने रूम में ही मैं कुछ देर आराम कर रहा था फिर मैंने सोचा कि क्यों ना अपने फेसबुक पर अपने फ्रेंडों से बात कर लूँ।
मैंने भी अपने फ्रेंड से फेसबुक पर बात की और जब उस दिन फेसबुक पर मेरी बात संजना के साथ हुई तो मुझे उस दिन बहुत अच्छा लगा। संजना ने पहली बार ही मुझसे इतनी बातें की थी इससे पहले संजना और मेरे बीच इतनी बातें नहीं होती थी। संजना ने मुझसे काफी बातें की और उस दिन हम लोगों ने करीब एक घंटे तक चैटिंग पर बात की।
मैंने उस दिन संजना का नंबर ले लिया था संजना मेरे साथ ही पढ़ा करती थी लेकिन कॉलेज के दौरान हम दोनों की ज्यादा बातें नहीं होती थी हम लोग सिर्फ हाय हेलो तक ही सीमित थे लेकिन अब हम लोगों की काफी बातें होने लगी थी।
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मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि संजना और मैं इतनी बातें करने लगेंगे संजना और मेरे बीच की बातें काफी ज्यादा बढ़ने लगी थी इसलिए और मैं संजना एक दूसरे से मिलना चाहते थे।
हम दोनों जब एक दूसरे को मिले तो मुझे संजना से मिलकर काफी अच्छा लगा संजना के अंदर काफी बदलाव आ चुका था वह बहुत बदल चुकी थी इसलिए मुझे संजना के साथ बात करना अच्छा लग रहा था।
संजना मुझसे मिलकर बहुत खुश थी उसके बाद तो हम दोनों की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता ही चला गया और हम दोनों एक दूसरे को अक्सर मिलने लगे।
जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो मुझे और संजना को बहुत ही अच्छा लगता और फिर संजना से मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया था। जब संजना से मैंने अपने प्यार का इजहार किया तो संजना बहुत खुश थी वह भी मेरे प्यार को एक्सेप्ट कर चुकी थी और अब हम दोनों रिलेशन में थे।
हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चल रहा था और हम दोनों को बहुत खुशी थी कि हम दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में है। मेरे और संजना के बीच प्यार दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था और हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे।
जब भी मेरी मुलाकात संजना से नहीं होती तो मुझे ऐसा लगता जैसे कि मेरा दिन अधूरा है और मैं अपने आपको काफी ज्यादा अकेला महसूस किया करता।हम दोनो का रिलेशन तो चल रहा था।
एक दिन मैने संजना को घर पर बुला लिया संजना घर पर आ गई। मैं और संजना ज्यादा से ज्यादा समय साथ में बिताने की कोशिश किया करते थे। उस दिन जब मैने संजना के नरम होठो को चूमा तो वह अपने अंदर की जवानी को रोक ना सकी। संजना डर रही थी वह बोली कही कोई आ गया तो मैने उसे कहा कोई नहीं आएगा। संजना अब रिलेक्स हो चुकी थी।
उसने मेरी पैंट को खोलते हुए मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरु किया। मुझे भी अब अच्छा लग रहा था संजना ने अब मेरे लंड को मुंह के अंदर ले लिया था।
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वह मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर उसे चूसने लगी वह मेरे लंड को सकिंग करती तो मुझे मजा आ रहा था। संजना बड़े अच्छे से मेरे लंड को चूस रही थी उसने मेरे लंड से पानी बाहर निकाल दिया था।
अब मेरे अंदर की गर्मी को उसने बढ़ा कर रख दिया था। मैंने संजना को अब बिस्तर पर लेटा दिया था। अब संजना को मजा आ रहा था। जब मैंने उसे बेड पर लेटाया तो मैंने उसके कपड़े उतारकर उसकी ब्रा को खोला।
जब मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया तो अब मैं उसके स्तनो को अपने मुंह में लेकर उन्हें चूसने लगा था। मैंने जब संजना के बूब्स को अपने मुंह के अंदर लिया तो मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी बड़ा आनंद आ रहा था। मै बहुत देर तक संजना के बूब्स को चूसता रहा। मैंने संजना के स्तनों से दूध निकाल दिया था।
मेरी गर्मी भी अब पूरी तरीके से बढ़ चुकी थी मैं बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो गया था। संजना बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी। मैंने अब संजना की पैंटी को उतार दिया था उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ निकल आया था।
उसकी गुलाबी चूत पर मैंने अपनी जीभ का स्पर्श किया वह तडप उठी थी, उसे बहुत ही अच्छा लग रहा था और मुझे भी बहुत मजा आने लगा था। मैं संजना की योनि को अच्छे से चाट रहा था मैंने संजना की योनि को चाटकर गिला कर दिया था अब मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था।
संजना को बहुत ही अच्छा लगने लगा था अब मैंने उसके दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था। संजना के पैरों को चौड़ा करने के बाद जब मैने संजना की चूत मे अपने मोटे लंड को डाला तो मुझे मजा आ गया संजना जोर से चिल्लाई उसकी चूत से खून निकल आया था।
संजना की चूत के अंदर बाहर मैंने अपने लंड को धक्का मारना शुरू किया तो वह मचलने लगी थी। संजना मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है तुम मुझे ऐसे ही धक्के मारते रहो।
मैं संजना को तेजी से धक्के मार रहा था वह मेरा साथ बड़े अच्छे से दे रही थी। मुझे अब लग रहा था उसकी चूत से बहुत ही ज्यादा खून निकलने लगा है। अब संजना बहुत ही ज्यादा तडपने लगी थी।
मैने संजना के दोनों पैरों को ऊपर किया मैंने उसके दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया था। मै संजना को बहुत ही तेजी से धक्के मार रहा था। मैं संजना की गोरी चूत के अंदर बाहर लंड को करता तो मुझे बहुत ही मजा आता और उसे भी बड़ा आनंद आने लगा था।
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वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैंने संजना के पैरो को आपस मे मिलते हुए कहा मजा तो मुझे भी बहुत ज्यादा आ रहा है अब मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं।
मैंने संजना के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखने के बाद उसको बडी तेजी से चोदना शुरू किया। मेरा माल जब बाहर की तरफ गिरा तो मैं खुश हो गया था। हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बने मै बहुत खुश था। मैने और संजना ने जमकर चुदाई की।
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